लेखक में संवेदना व चेतना का समावेश जरूरी

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : बिजवासन रोड स्थित उषा फार्म हाउस के प्रांगण में दैनिक जागरण की मुह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Aug 2018 08:54 PM (IST) Updated:Sat, 25 Aug 2018 08:54 PM (IST)
लेखक में संवेदना व चेतना का समावेश जरूरी
लेखक में संवेदना व चेतना का समावेश जरूरी

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : बिजवासन रोड स्थित उषा फार्म हाउस के प्रांगण में दैनिक जागरण की मुहिम '¨हदी हैं हम' के तहत आयोजित दैनिक जागरण मुक्तांगन कार्यक्रम में लेखक व पाठक के बीच बढ़ती दूरियों पर विद्वानों ने गंभीर ¨चता जताई। सभी ने एक स्वर में माना कि हर लेखक साहित्यकार तभी हो सकता है जब वह पाठक वर्ग को ध्यान में रखकर साहित्य की रचना करे। इनका मानना है कि साहित्य का दायरा बढ़ना चाहिए। गंभीर पाठक वर्ग भी तैयार होने चाहिए।

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए भावना शेखर ने कहा कि लिखने वाले को जब पाठक पढ़ता है तब वह साहित्यकार बनता है। उन्होंने कहा कि पहले पुस्तकें लोगों के सिरहाने होती थीं। अब स्मार्ट फोन के माध्यम से हाथों में होती हैं। प्रेम भारद्वाज ने कहा कि एक लेखक को राजा की तरह लोकप्रिय होना चाहिए, जिसमें संवेदना और चेतना दोनों हो। ममता कालिया ने कहा कि प्रेमचंद के समय में साधन कम थे, फिर भी उनके साहित्य को पढ़ने वालों की लंबी कतार है। उन्होंने कहा कि छात्र बहुत बड़ा पाठक वर्ग है। लेखकों को युवा पीढ़ी की समस्या व सरोकारों को उठाना चाहिए। अल्पना मिश्र ने कहा कि पाठक अदृश्य होता है। एक पाठक एक पुस्तक को 10-10 बार पढ़ता है। एकांत में मन से पढ़ने वाले दूसरे वर्ग के पाठक होते हैं। तीसरा पाठक चलते-चलते पढ़ता है। पाठक हैं तभी लेखकों को ऊर्जा मिल रही है। कार्यक्रम के दूसरे भाग में समाचार के अतिकाल पर चर्चा की शुरुआत विनीत उत्पल ने करते हुए कहा कि प्रतिदिन दो करोड़ कंटेंट लिखे जा रहे हैं, वहीं एक चैनल सुबह से शाम तक एक ही खबर दिखाता है, जिसकी कोई जरूरत नहीं है। यह अतिवादी है। अनिल पांडे ने कहा कि गांवों की खबरों को एक फीसद जगह इसलिए नहीं मिलती, क्योंकि यहां से खबर लाने के लिए पैसा खर्च करना पड़ता है। उम्मीद है कि यह तस्वीर बदलेगी। सर्जना शर्मा ने कहा कि अति हमारे समाज में मान्य नहीं है। निजी न्यूज चैनलों ने ये मान्यताएं तोड़ी हैं। डॉक्टर प्रवीण कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया ने निजी न्यूज चैनलों को दिन-रात न्यूज दिखाने को मजबूर किया है। हमारा स्वाद भी बदल रहा है। मानवीय मूल्यों की जगह उपभोक्ता वर्ग तैयार करने का एजेंडा चलाया जा रहा है। भवतारिणी झा ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस मौके पर अनुराधा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

chat bot
आपका साथी