खूबसूरत पार्क में तब्दील होगी ओखला लैंडफिल साइट

अरविद कुमार द्विवेदी दक्षिणी दिल्ली पूरी दक्षिणी दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाला कूड़े का पहाड़

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 10:26 PM (IST) Updated:Tue, 21 May 2019 06:29 AM (IST)
खूबसूरत पार्क में तब्दील होगी ओखला लैंडफिल साइट
खूबसूरत पार्क में तब्दील होगी ओखला लैंडफिल साइट

अरविद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली

पूरी दक्षिणी दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाला कूड़े का पहाड़ यानी ओखला लैंडफिल साइट खूबसूरत व हरे-भरे पार्क के रूप में नजर आएगा। इसकी लेवलिग व हरियाली का काम शुरू हो गया है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम इसे दिल्ली के सबसे ऊंचे पार्क के रूप में विकसित कर रहा है। पार्क बन जाने के बाद यह काफी आकर्षक लगेगा, जबकि अभी लोग इसके पास से गुजरने में भी परहेज करते हैं। अभी इस लैंडफिल साइट की ऊंचाई 50 मीटर से अधिक है। कुछ माह पहले तक इस पर एसडीएमसी के साउथ, सेंट्रल व नजफगढ़ जोन का हजारों टन कूड़ा रोजाना डाला जाता था। इस कारण यह अपनी क्षमता से कई गुना ऊंचा हो गया था। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह पार्क एक साल में तैयार हो जाएगा।

निगम ने इस पार्क को आइआइटी के विशेषज्ञों के साथ मिलकर विकसित करने का प्लान बनाया था। इसे खूबसूरत पार्क बनाने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल ने एसडीएमसी कमिश्नर डॉ. पुनीत कुमार गोयल व इंजीनियर इन चीफ उमेश सचदेवा के साथ इसका दौरा किया था। दरअसल, विशेषज्ञों ने निगम को आगाह किया था कि अब भी इस साइट पर और कूड़ा डाला गया तो इस पर भी गाजीपुर लैंडफिल साइट जैसा हादसा होने का खतरा रहेगा। वहीं, इससे सटा हुआ ईएसआइ अस्पताल व उसके आवासीय परिसर को भी कूड़े के इस पहाड़ से खतरा था। अब इस साइट के सामने ही 48 एकड़ क्षेत्र में नए सिरे से लैंडफिल साइट बनाई जाएगी।

कम होगा प्रदूषण व हादसे का खतरा

विशेषज्ञों के अनुसार बारिश, भूकंप, पानी, गैस और खड़ी ढलान के चलते कूड़े का पहाड़ टूटता है। ढलान को सपाट करने के साथ पानी व गैस को निकालने की समुचित व्यवस्था करके इस हादसे से बचा जा सकता है। निगम के एक अधिकारी ने बताया कि टेस्टिग की जा रही है। अगर गैस अब भी निकलेगी तो उसे एकत्र करने की भी व्यवस्था की जाएगी। गैस को नाले और पाइप से निकालने के लिए अतिरिक्त लेयर भी बनाई जा सकती है।

लैंडफिल साइटों पर इसलिए लगती है आग

लैंडफिल साइट पर सभी तरह का कूड़ा-कचरा एक साथ डाल दिया जाता है। इसमें पॉलीमर, प्लास्टिक, पॉलीथिन व थर्मोकोल आदि शामिल होते हैं। ये सभी चीजें क्रूड ऑयल से निकले पेट्रोल, डीजल व नेप्था आदि से तैयार की जाती है। कूड़े में जूते-चप्पल, टायर, आयरन व स्टील से लेकर किचन, अस्पताल व मीट की दुकानों से निकला कचरा भी डाल दिया जाता है, जो बहुत खतरनाक होता है। कूड़े के रूप में सभी चीजें जब डीग्रेड होती हैं तो इनसे ईथेन, मीथेन व प्रोपेन जैसी ज्वलनशील गैसें निकलती हैं, जिससे अक्सर डंप साइटों पर आग लग जाती है। घातक गैसों के कारण यह धुआं पर्यावरण समेत मनुष्यों व पशुओं के लिए हानिकारक है। इससे कैंसर समेत कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। सभी तरह के कूड़े को अलग-अलग डालने के नियमों का पालन होने के कारण ऐसा होता है।

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