संक्रामक बीमारियों की रोकथाम में कारगर है कुंभ स्नान व कल्पवास

अर¨वद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली कुंभ स्नान व कल्पवास एक तरह का प्राकृतिक टीकाकरण है। जो लोग क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Dec 2018 08:23 PM (IST) Updated:Fri, 21 Dec 2018 08:23 PM (IST)
संक्रामक बीमारियों की रोकथाम में 
कारगर है कुंभ स्नान व कल्पवास
संक्रामक बीमारियों की रोकथाम में कारगर है कुंभ स्नान व कल्पवास

अर¨वद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली

कुंभ स्नान व कल्पवास एक तरह का प्राकृतिक टीकाकरण है। जो लोग कुंभ स्नान करते हैं और 45 दिन का कल्पवास करते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता और अधिक विकसित हो जाती है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू हो रहे कुंभ मेले के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को इन प्रभावों के बारे में बताने व उन्हें इसके प्रमाणित परिणाम दिखाने के लिए वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों ने तैयारी कर ली है। शुक्रवार को दिल्ली स्थित श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ में प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी मेमोरियल फाउंडेशन और केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) की ओर से एक ब्रेन स्टॉर्मिंग वर्कशॉप का आयोजन हुआ। फाउंडेशन के महासचिव डॉ. वाचस्पति त्रिपाठी ने बताया कि इस वर्कशॉप में देश भर के विभिन्न संस्थानों के अलग-अलग क्षेत्रों के विद्वान व वैज्ञानिक के साथ ही समाज विज्ञान, मनोवैज्ञानिक व प्राकृतिक विज्ञान के विशेषज्ञ शामिल हुए। वर्कशॉप के दौरान बीएचयू के वीसी के सामने कुंभ से संबंधित शोध केंद्र खोलने की बात की गई।

वर्कशॉप में विशेषज्ञों ने बताया कि कुंभ स्नान अमृतपान की तरह है। स्नान के दौरान जल में मौजूद नए-पुराने, ज्ञात-अज्ञात सूक्ष्म जीवाणु शरीर में प्रवेश करते हैं, इसलिए व्यक्ति इन सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रति रोग प्रतिरोध क्षमता अपने शरीर में विकसित कर लेता है। इसे प्रमाणित करने के लिए मेले में आने वाले कल्पवासियों का बीपी, शुगर लेवल, स्ट्रेस लेवल, उनका वजन, उनके खुश रहने का लेवल, बीएमआई आदि दर्ज किया जाएगा। कल्पवास के अंत में उनकी ये सभी जांच की जाएंगी। इनके परिणामों का वैज्ञानिक विश्लेषण होगा। वर्ष 2013 के कुंभ मेले में भी फाउंडेशन की ओर इस तरह का प्रयोग किया गया था। उस समय पाया गया कि जिन लोगों के मन में निराशा व तनाव के कारण आत्महत्या के विचार आते थे, कल्पवास के बाद वे भी पूरी ऊर्जा और आशा के साथ वापस गए। वर्ष 2013 में कल्पवास कर चुके श्रद्धालुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोत्तरी प्रमाणित हुई थी।

कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने कहा कि कुंभ स्नान राष्ट्रीय एकता को भी बढ़ावा देता है। बिना किसी निमंत्रण के यहां करोड़ों लोग आते हैं। तीन नदियों का पानी एक होकर अपने सारे गुणों को समग्र बनाता है। इससे भी लोगों में एकता का संदेश जाता है। विशेषज्ञों ने कहा कि कुंभ के दौरान संगम के पानी, आसपास के वातावरण आदि का भी सैंपल लेकर अध्ययन किया जाएगा। वर्कशॉप में बनारस ¨हदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वाइस चांसलर प्रो. राकेश भटनागर, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के वाइस चांसलर प्रो. रमेश कुमार पांडेय, भाजपा के राष्ट्रीय प्रशिक्षक सुनील पांडेय, बीएचयू की प्रो. यामिनी भूषण, बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. राजगोपाल ¨सह, नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ के वैज्ञानिक प्रो. रुद्रदेव त्रिपाठी व प्रो. संजय द्विवेदी, डीएसटी से वैज्ञानिक डॉ. देवप्रिय दत्ता, केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग से वैज्ञानिक डॉ. ¨सधु मुखर्जी, बालाजी यूनिवर्सिटी से डॉ. भास्कर त्रिपाठी, श्री साईं यूनिवर्सिटी से डॉ. प्रदीप, वाराणसी से डॉ. श्रीपति त्रिपाठी, केंद्र सरकार के संचारी रोग नियंत्रण विभाग के निदेशक समेत तमाम वैज्ञानिक व विशेषज्ञ मौजूद रहे।

chat bot
आपका साथी