हाई कोर्ट ने आरडब्ल्यूए को दीवार की मरम्मत की अनुमति दी
कोरोना मरीजों के लिए हॉटस्पॉट के रूप में घोषित किए गए जेजे क्लस्टर से लोगों को आने से रोकने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दक्षिण पश्चिम दिल्ली आवासीय कॉलोनीवासियों को अपनी सीमा में दीवार की मरम्मत करने की अनुमति दी है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
कोरोना संक्रमण का हॉटस्पॉट घोषित किए गए जेजे क्लस्टर से लोगों को आने से रोकने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दक्षिण पश्चिम दिल्ली आवासीय कॉलोनीवासियों को अपनी सीमा में दीवार की मरम्मत करने की अनुमति दी है। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने नगर निगम द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र देने पर दीवार की मरम्मत करने को लेकर नारायण विहार के एक रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) द्वारा दायर याचिका का निपटारा कर दिया।
जी-ब्लॉक आरडब्ल्यूए ने याचिका दायर कर दिल्ली सरकार, रेलवे और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को कॉलोनी से सटी दीवार की मरम्मत या निर्माण करने का निर्देश देने की मांग की थी।
आरडब्ल्यूए ने पीठ को बताया था कि बुध नगर झुग्गी झोपड़ी (जेजे) कॉलोनी और इंद्रपुरी दोनों ही पटरियों के दूसरी ओर स्थित हैं और दोनों को दिल्ली सरकार द्वारा कोरोना हॉटस्पॉट घोषित किया गया है। आरडब्ल्यूए ने कहा था कि नारायण विहार के चारों ओर की दीवार के टूटने के कारण रेलवे ट्रैक के पार रहने वाले लोग इस रास्ते का प्रयोग करते हैं। इसके कारण नारायण विहार के निवासियों को संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है, जिसमें बच्चे और वरिष्ठ नागरिक भी शामिल हैं। रेलवे ने अदालत को बताया था कि दीवार का निर्माण नगर निगम ने किया था और इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है। हाई कोर्ट ने सैनिक फार्म में अवैध निर्माण पर रिपोर्ट मांगी
सैनिक फार्म में नया अनधिकृत निर्माण किए जाने को लेकर दायर याचिका पर न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने दिल्ली पुलिस व दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) को कहा कि अगर सैनिक फार्म क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण चल रहा है तो दोनों एजेंसी अलग-अलग निरीक्षण कर स्थिति रिपोर्ट पेश करें।
एक स्थानीय निवासी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि मई 2019 में हाई कोर्ट द्वारा दिए गए मामूली मरम्मत की इजाजत के आदेश की आड़ में अनधिकृत निर्माण चल रहा है। पीठ ने सुनवाई के दौरान दोनों एजेंसियों को चेतावनी दी कि अगर मई 2019 के आदेशों का कोई भी उल्लंघन पाया गया, तो संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा। पीठ ने उक्त आदेशों के साथ सुनवाई 11 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। वर्ष 2015 में सैनिक फार्म के क्षेत्र विकास समिति के संरक्षक द्वारा अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण को लेकर दायर की गई मुख्य याचिका पर एक स्थानीय नागरिक ने आवेदन दाखिल किया है। मुख्य याचिका अभी भी हाई कोर्ट में लंबित है क्योंकि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार अब तक सैनिक फार्म को नियमित किए जाने पर फैसला नहीं ले सकी है।