डीयू बताए डिजिटल डिग्री के लिए शुल्क लेने का आधार क्या है : हाई कोर्ट

था कि डिग्री नहीं होने से वे विदेश में उच्च शिक्षा या आगे की पढ़ाई के लिए नामांकन नहीं कर पा रह हैं। ऐसे में डीयू को निर्देश दिया जाए कि वह उनकी डिग्री प्रदान करें। डीयू ने हाई कोर्ट को हलफनामा दाखिल कर यह भी बताया है कि जिन छात्रों ने वर्ष 2017 से पहले पास कर लिया है उनकी कागजी डिग्री संबंधित कॉलेजों को भेज दी गई है। हालांकि जिन छात्रों ने वर्ष 2017 में परीक्षा पास की है उनमें से 10550 छात्रों का कागजी डिग्री मिल चुका है और उसे संबंधित कॉलेज में भेज दिया जाएगा। साथ ही उसी वर्ष के लगभग 57496 छात्रों का अंकतालिका भी मिल चुका है। सभी को डिजिटल लॉकर में भेज दिया गया है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि 2017 के स्नातक व स्नातकोत्तर 5579

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 08:05 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 08:05 PM (IST)
डीयू बताए डिजिटल डिग्री के लिए शुल्क लेने का आधार क्या है : हाई कोर्ट
डीयू बताए डिजिटल डिग्री के लिए शुल्क लेने का आधार क्या है : हाई कोर्ट

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से पूछा कि हलफनामा दाखिल करके बताए कि डिजिटल डिग्री के लिए 750 रुपये वसूलने का आधार क्या है? न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने यह सवाल तब किया जब डीयू ने पीठ को सूचित किया कि डिजिटल डिग्री की मांग करने वाले छात्रों से 750 रुपये वसूले जा रहे हैं। याचिका पर अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।

अदालत के निर्देश देने के बाद भी छात्रों डिग्री नहीं उपलब्ध कराने को लेकर विभिन्न छात्रों की तरफ से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान छात्रों ने अदालत को बताया कि डिग्री नहीं मिलनी की वजह से वे विदेश में उच्च शिक्षा या आगे की पढ़ाई के लिए नामांकन नहीं कर पा रह हैं।

डीयू ने हाई कोर्ट को हलफनामा दाखिल कर यह भी बताया है कि 2017 से पहले उत्तीर्ण हो चुके छात्रों की कागजी डिग्री संबंधित कॉलेजों को भेज दी गई हैं। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि 2017 के स्नातक व स्नातकोत्तर 5579 छात्रों को डिजिटल डिग्री भी जारी कर दी गई हैं। उसी तरह से उसके अगले सत्र के छात्रों को भी जारी कर दिया जाएगा।

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