जेट एयरवेज हादसा: क्या चेतावनी अलार्म को भी नजरंदाज किया गया?

मुंबई में जेट एयरवेज के विमान में उड़ान के दौरान ऑक्सीजन का स्तर कम होने की घटना को लेकर विशेषज्ञ यह भी कयास लगा रहे हैं कि पायलट ने उड़ान भरने के दौरान ब्लीड बटन को बंद कर दिया होगा।

By Edited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 11:57 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 07:57 AM (IST)
जेट एयरवेज हादसा: क्या चेतावनी अलार्म को भी नजरंदाज किया गया?
जेट एयरवेज हादसा: क्या चेतावनी अलार्म को भी नजरंदाज किया गया?

नई दिल्ली (जेएनएन)। मुंबई से जयपुर जा रही जेट एयरवेज की फ्लाइट में कई यात्रियों के नाक और कान से खून निकलने के मामले में कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या चेतावनी अलार्म को भी नजरंदाज किया गया?

दरअसल, भौतिक विज्ञान का सिद्धात है कि ऊंचाई बढ़ने के साथ ही हवा का दबाव कम होता जाता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। इसलिए विमान के अंदर केबिन प्रेशर प्रणाली से हवा के दबाव को नियंत्रित किया जाता है। इस प्रणाली में गलती की जगह नहीं है, क्योंकि एक गलती जान पर भारी पड़ सकती है। विमानों में हवा के दबाव को नियंत्रित करने के लिए केबिन प्रेशर प्रणाली होती है।

अमेरिकी संस्थान स्मिथसोनियन की मैगजीन एयर एंड स्पेस में वर्ष 2002 में इस प्रणाली से संबंधित एक लेख प्रकाशित हुआ था। इसमें केबिन प्रेशर प्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई थी। यह भी बताया गया था कि इस प्रणाली से इंजन की क्षमता पर भी असर पड़ता है। यक्ह प्रणाली एक बटन से नियंत्रित होती है, जिसे ब्लीड स्विच कहा जाता है।

मैगजीन में प्रकाशित लेख के मुताबिक विमान का वजन अधिक होने पर पायलट इंजन का दबाव बनाने वाली प्रणाली को कुछ समय के लिए बंद कर देता है, जिससे कि वह अपना क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल विमान को उठाने में करे। निश्चित ऊंचाई पर पहुंचने पर ब्लीड स्विच ऑन कर दिया जाता है। गलती न हो इसलिए दस हजार फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर पहुंचने पर अलार्म बजता है, जो संकेत देता है कि ब्लीड स्विच ऑन नहीं है।

अलार्म की अनदेखी करने पर आपात स्थिति में सास लेने के लिए लगे ऑक्सीजन मॉस्क स्वत: खुल जाते हैं। किसी यात्री को परेशानी होने पर क्रू मेंबर इसे पहले भी खोल सकते हैं। इस प्रणाली के काम न करने पर विमान पर भी प्रभाव पड़ सकता है। दरवाजों को सील करने की प्रणाली खराब हो सकती है। अधिक समय तक यही स्थिति रही तो पूरे ढाचे को खतरा हो सकता है।

मुंबई में जेट एयरवेज के विमान में उड़ान के दौरान ऑक्सीजन का स्तर कम होने की घटना को लेकर विशेषज्ञ यह भी कयास लगा रहे हैं कि पायलट ने उड़ान भरने के दौरान ब्लीड बटन को बंद कर दिया होगा, लेकिन उसे दोबारा नहीं खोला। चेतावनी अलार्म को भी नजरंदाज किया गया। लेकिन, सच्चाई क्या है यह नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की जांच के बाद सामने आएगा।

गौरतलब है कि मुंबई से जयपुर जा रही जेट एयरवेज की फ्लाइट में पायलट के 'केबिन प्रेशर' नियंत्रित नहीं करने की वजह से कई यात्रियों के नाक और कान से खून निकलने की घटना के बाद पांच यात्रियों को सुनाई देने में थोड़ी दिक्कत हो रही है, हालांकि उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

जेट एयरवेज के प्रवक्ता ने बताया कि केबिन प्रेशर में कमी आने के कारण बोईंग 737 विमान को वापस मुंबई लौटना पड़ा। जांच पूरी होने तक विमान के पायलटों को ड्यूटी से हटा दिया गया है।  उन्होंने कहा कि विमान में 166 यात्री सवार थे, जिनमें से 30 यात्रियों को यह समस्या आई। कुछ की नाक से, जबकि कुछ अन्य के कान से खून बहने लगा,वहीं कुछ लोगों को सिर दर्द की परेशानी हुई।

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