प्रदूषण पर ईपीसीए सख्त, कहा- नहीं सुधरे हालात तो दिल्ली में लागू होगा ODD-EVEN

EPCA ने सुझाव दिया है कि अगर शहर में प्रदूषण का स्तर फिर बढ़ता है तो ऑड-इवेन स्कीम लागू की जाए या फिर नॉन-सीएनजी प्राइवेट गाड़ियों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया जाए।

By Edited By: Publish:Wed, 14 Nov 2018 10:18 PM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 08:54 AM (IST)
प्रदूषण पर ईपीसीए सख्त, कहा- नहीं सुधरे हालात तो दिल्ली में लागू होगा ODD-EVEN
प्रदूषण पर ईपीसीए सख्त, कहा- नहीं सुधरे हालात तो दिल्ली में लागू होगा ODD-EVEN

नई दिल्ली, जेएनएन। दिवाली के बाद से लगातार जहरीली हवा में सांस ले रहे दिल्लीवासियों को राहत पहुंचाने के लिए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण (EPCA) ने अब सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। ईपीसीए का मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए गैर सीएनजी वाहन बंद करना या फिर बिना किसी छूट के ऑड-इवेन लागू करना ही है।

बता दें कि दिल्ली में हल्की बारिश के बाद प्रदूषण थोड़ा कम हुआ है। अब EPCA ने सुझाव दिया है कि अगर प्रदूषण का स्तर फिर बढ़ता है तो ऑड-ईवन स्कीम या फिर नॉन-सीएनजी प्राइवेट गाड़ियों पर पूरी तरह से बैन लगाया जाए। 

उधर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त EPCA ने सुझाव दिया है कि अगर शहर में प्रदूषण का स्तर फिर बढ़ता है तो ऑड-इवेन स्कीम लागू की जाए या फिर नॉन-सीएनजी प्राइवेट गाड़ियों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया जाए। आपको बता दें कि पिछले एक सप्ताह से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी का बना हुआ था।

ईपीसीए के अध्यक्ष डॉ. भूरेलाल ने बुधवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव प्रशांत गार्गवा को एक पत्र लिखा है। तीन पेज के इस पत्र में उन्होंने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए इस समय सख्त उपाय किए जाने बहुत जरूरी है। इसलिए जल्द से जल्द सीपीसीबी टास्क फोर्स में यह निर्णय करे और ईपीसीए को इसके बारे में बताए।

दरअसल, सीपीसीबी की टास्क फोर्स के सदस्य गैर सीएनजी गाड़ियों पर पूर्णतया रोक का निर्णय नहीं ले रहे हैं। टास्क फोर्स के कई सदस्य तो इस कदम को व्यवहारिक ही नहीं मान रहे। लेकिन, ईपीसीए अपने विचार पर अडिग है। इसीलिए सीपीसीबी को पत्र लिखा है।

इस पत्र में भूरेलाल ने सभी पक्ष देते हुए कहा है कि भले हाल फिलहाल बारिश की वजह से प्रदूषण कुछ कम हो गया हो, लेकिन बारिश के बाद हवा में नमी बढ़ती है और कोहरा बढ़ने के साथ स्मॉग भी बढ़ जाता है। इसलिए प्रदूषण से राहत के लिए कदम उठाना जरूरी है। उद्योगों, ट्रकों और निर्माण कार्यों पर अधिक समय तक रोक नहीं लगाई जा सकती। इससे बहुत से लोगों को काम मिलना भी बंद हो जाता है।

ईपीसीए अध्यक्ष ने बताया कि सफर इंडिया की शोध से भी साफ हो चुका है कि 40 फीसद प्रदूषण गाड़ियों का हैं। ट्रकों पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद बड़ी संख्या में डीजल व अन्य गाड़िया सड़कों पर हैं। इनकी वजह से पीएम और नॉक्स तेजी से बढ़ता है।

प्रदूषण की समस्या झेल रहे अन्य शहरों जैसे बीजिंग और पेरिस में भी निजी वाहनों पर रोक रहती है। यह रोक वाहनों के ईधन या नंबर प्लेट से तय होती है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने ईधन के अनुसार वाहनों पर अलग-अलग रंग के स्टीकर लगाने को कहा था, लेकिन दिल्ली सरकार अब तक इसे लागू नहीं कर पाई है। भूरेलाल के मुताबिक ऐसे में जरूरी है कि अब दिल्ली में या तो डीजल और पेट्रोल के वाहनों पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी जाए या फिर इस तरह के वाहनों को कम करने के लिए ऑड-इवेन शुरू किया जाए।

हालांकि ईपीसीए का कहना है कि ऑड-इवेन को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए उसमें सभी तरह के निजी वाहनों जैसे दोपहिया को भी शामिल किया जाए। ईपीसीए अध्यक्ष ने यह भी कहा कि ऐसे कदम उठाना आसान नहीं है, लेकिन पिछले कई सालों से हम दिल्ली- एनसीआर को सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने के लिए कहते आए हैं, जो नहीं किया गया। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) भी अधिसूचित होने के बावजूद अभी उसे लागू करने में भी हीलाहवाली ही नजर आ रही है।

ग्रेप के तहत उठाए गए कदमों का हो पालन
सीपीसीबी ने ईपीसीए के सुझावों के बाद बुधवार की शाम टास्क फोर्स की बैठक की। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि अभी स्थानीय निकाय ग्रेप के तहत उठाए गए कदमों का ही पालन करेंगे। ईपीसीए की तरफ से दिए गए सुझावों को ईपीसीए अपनी अगली बैठक में सभी के समक्ष रखें। बैठक में यह भी बताया गया कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार अभी 19 नवंबर तक प्रदूषण खराब या बेहद खराब स्तर पर ही रहेगा। इस दौरान लोगों से भी अपील की गई है कि वह निजी वाहनों का प्रयोग कर करें और कार पूल का इस्तेमाल अधिक करें।

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