बच्चों के भविष्य से खेल रहा है डीयू : हाई कोर्ट

दिल्ली विश्वविद्यालयों (डीयू) ने स्नातक के अंतिम वर्ष की परीक्षा एक बार फिर टाल दी। डीयू ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट को जानकारी दी कि आगामी 10 जुलाई से आयोजित होनी वाली ओपन बुक परीक्षा 15 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई है। डीयू ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की पीठ के समक्ष कहा कि कोरोना महामारी को देखते हुए अब वह परीक्षा का आयोजन 15 अगस्त के बाद करेगा। पीठ ने डीयू के इस फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि देखिए आप किस तरह से बच्चों के भविष्य से खेल रहे हैं। पीठ ने यह भी कहा कि ऑनलाइन परीक्षा को लेकर आप अदालत के

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 08:30 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 08:30 PM (IST)
बच्चों के भविष्य से खेल रहा है डीयू : हाई कोर्ट
बच्चों के भविष्य से खेल रहा है डीयू : हाई कोर्ट

- डीयू द्वारा 15 अगस्त तक अंतिम वर्ष की परीक्षा स्थगित करने के फैसले से जताई नाराजगी

- पीठ ने कहा, आप कह रहे हैं कि परीक्षा के लिए तैयार हैं, लेकिन बैठकों का निष्कर्ष इसके उलट है

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

डीयू ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट को जानकारी दी कि आगामी 10 जुलाई से आयोजित होनी वाली ओपन बुक परीक्षा 15 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की पीठ ने डीयू के इस फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि डीयू बच्चों के भविष्य से खेल रहा है। साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि ऑनलाइन परीक्षा को लेकर भी डीयू अदालत में निष्पक्ष जानकारी नहीं दे रहा है। पीठ ने कहा कि डीयू की तरफ से कहा जा रहा है कि परीक्षा की तैयारी पूरी है, लेकिन बैठकों के मिनट्स का निष्कर्ष इस दावे के उलट है।

परीक्षा के संबंध में कई छात्रों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने इस दौरान रिकॉर्ड पर लिया कि डीयू ने परीक्षा की तारीख एक जुलाई से 10 जुलाई करने पर भी ऐसा ही किया था और इसके लिए दो सदस्यीय पीठ ने डीयू को अवमानना नोटिस भेजा था। पीठ ने कहा कि डीयू ने बेवजह परीक्षा को टाल दिया। पीठ ने कहा कि आप तकनीकी गड़बड़ी का सामना कर रहे हैं और ऑनलाइन परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं।

सुनवाई के दौरान डीयू की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता सचिन दत्ता व मोहिदर पाल ने कहा कि डीयू ने परीक्षा को स्थगित करने का फैसला लिया है, लेकिन इसके लिए कोई विशिष्ट कारण नहीं बताया गया है। पीठ ने सुनवाई के बाद मामले को अवमानना मामले की सुनवाई कर रही पीठ के समक्ष स्थानांतरित करने का आदेश दिया।

बीते सेमेस्टर के आधार नतीजे देने की मांग : दो सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ता प्रतीक शर्मा की याचिका पर डीयू को अवमानना नोटिस जारी किया था। अंतिम वर्ष के कई छात्रों ने याचिका दायर कर स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने के संबंध में 14 मई, 30 मई और 27 जून की अधिसूचनाओं को रद करने की मांग की है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि डीयू को पिछले वर्षो के सेमेस्टर के परिणामों के आधार पर छात्रों का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया जाए।

यूजीसी ने कहा परीक्षा लेना अनिवार्य : वहीं, दूसरी तरफ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीठ के समक्ष कहा कि सोमवार को हुई बैठक में अंतिम वर्ष की परीक्षा के संबंध में संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और इसके तहत सभी विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष की परीक्षा लेना अनिवार्य किया गया है।

छात्र मानसिक तौर पर परेशान : छात्रों की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता आकाश सिन्हा ने कहा कि बार-बार परीक्षा स्थगित होने के कारण मानसिक परेशानी से जूझ रहे छात्रों के 500 से अधिक ई-मेल, ऑडियो और वीडियो उन्हें मिल चुके हैं। उन्होंने कहा कि अगर परीक्षा स्थगित करने की अनुमति दी जानी है तो फिर वे सार्वजनिक क्षेत्रों में रोजगार का आवेदन नहीं कर सकेंगे, जिसकी अंतिम तारीख 31 जुलाई है। वहीं, कुछ अन्य छात्रों की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता मानिक डोगरा ने कहा कि परीक्षा स्थगित होने पर छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे क्योंकि इसकी अंतिम तारीख अगस्त में है।

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यूजीसी से रुख स्पष्ट करने को कहा

पिछली तरीख पर हाई कोर्ट ने यूजीसी व मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) को नोटिस जारी कर अपना-अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया था। पीठ ने इसके साथ ही प्रोफेसर आरसी कुहाड़ की अध्यक्षता वाली यूजीसी की समिति को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में अंतिम दिशानिर्देश पर रिपोर्ट पेश करें। पीठ ने कहा था कि यूजीसी और केंद्र सरकार सहित विश्वविद्यालयों में परीक्षा आयोजित करने के प्रभारी प्रशासनिक अधिकारियों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कोरोना महामारी के कारण छात्रों को भारी मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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