फूलों की खेती पर पड़ी कोरोना की मार
जागरण संवाददाता बाहरी दिल्ली कोरोना काल में फूलों की खेती प्रभावित हुई है। उम्मीद थी ि
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली :
कोरोना काल में फूलों की खेती प्रभावित हुई है। उम्मीद थी कि त्योहारों के मौसम में कुछ मांग बढ़ेगी, लेकिन उस लिहाज से बात नहीं बन सकी। जब पहली बार फूल लगाया तब लागत भी नहीं निकल पाई तो दोबारा फिर से फूल के पौधे लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। बवाना के पूंठकलां गांव में फूलों की खेती से जुड़े लोग इन्हीं हालातों से गुजर रहे हैं। अब उनका मानना है कि फूल से बेहतर तो यह है कि कुछ सब्जी उगाकर ही अपना और परिवार का भरण-पोषण किया जाए। कोरोना के काल में अनगिनत शादियां स्थगित हुई, जिसके कारण फूलों की मांग खत्म हो गई। त्योहार शुरू तो हुए, लेकिन बड़े स्तर पूजा के आयोजन नहीं किए गए। इस वजह से भी फूलों का कारोबार मंदा ही रहा।
फूल उगाने वाले कामगारों के अनुसार जब लॉकडाउन की शुरुआत हुई तो मार्च-अप्रैल में खिले हुए फूल बेकार हो गए। वह खेत में ही सूख गए। इस वजह से उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी। मुख्य रूप से गेंदा, गुलाब और बेली व मोगरा के फूलों को यह उगाया करते थे, लेकिन आर्थिक तंगी झेलने के बाद अब इन्होंने सब्जियों को उगाना शुरू कर दिया है। कुछ कामगारों ने यह भी बताया कि आने वाले कुछ महीनों तक वह फूल की खेती नहीं करेंग,े क्योंकि उसमें उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
-------------------
इस बार बहुत कम फूल लगाए। जरूरत पड़ने पर बाजार से खरीदकर फूल बेचे। कुछ महीनों से हम आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। परिवार का खर्च निकालना मुश्किल हो गया है। इसलिए अब फूलों की जगह सब्जी की खेती शुरू कर दी।
-नरेश, फूल कारोबारी
शादी व बड़े धार्मिक आयोजन व समारोह नहीं होने से फूलों की मांग बहुत कम है। नवरात्र और दशहरे पर भी उम्मीद के अनुसार फूलों की बिक्री नहीं हुई। अब लगता नहीं कि दिवाली पर किसी प्रकार से मांग बढ़ेगी। इसलिए अब सब्जियों को उगाने का फैसला लिया है।
-वीरपाल, फूल कारोबारी