ट्रस्ट से संचालित अस्पतालों का फॉरेंसिक ऑडिट कराने से हाई कोर्ट का इन्कार

रियायती भूमि पर धर्मार्थ ट्रस्टों द्वारा चलाए जा रहे निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना मरीजों से मोटी रकम वसूलने का आरोप लगाते हुए इन अस्पतालों का फोरेंसिक ऑडिट कराने की मांग को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई से इन्कार करते हुए याचिकाकार्ता को मामले में सभी अनिवार्य जानकारी के साथ नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 Aug 2020 09:19 PM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2020 09:19 PM (IST)
ट्रस्ट से संचालित अस्पतालों का फॉरेंसिक ऑडिट कराने से हाई कोर्ट का इन्कार
ट्रस्ट से संचालित अस्पतालों का फॉरेंसिक ऑडिट कराने से हाई कोर्ट का इन्कार

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली

रियायती भूमि पर धर्मार्थ ट्रस्टों द्वारा संचालित निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना मरीजों से मोटी रकम वसूलने का आरोप लगाते हुए इन अस्पतालों का फॉरेंसिक ऑडिट कराने की मांग को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई से इन्कार करते हुए याचिकाकर्ता को मामले में सभी अनिवार्य जानकारी के साथ नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी है। इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका में यह अनिवार्य तथ्य नहीं है कि आखिर किस तरह और कैसे अस्पतालों ने ज्यादा रुपये वसूले। पीठ ने कहा कि हम जांच एजेंसी नहीं हैं और अगर कोई अपराध हुआ है तो शिकायत दर्ज कराएं। जब याचिकाकर्ता शोभा गुप्ता ने जरूरी तथ्यों को शामिल करने के लिए याचिका को जनवरी 2021 के लिए स्थगित करने की मांग की तो पीठ ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया।

वहीं, दिल्ली सरकार के स्टैंडिग काउंसल ने पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान पीठ को बताया था कि 4 जून को दिल्ली सरकार ने इस बाबत दो आदेश जारी किए थे। जिसके तहत रियायती दरों पर आवंटित की गई भूमि वाले 50 से अधिक निजी अस्पतालों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग वाले कोरोना व गैर कोरोना मरीजों के लिए 10 प्रतिशत बेड आरक्षित किए गए हैं। वहीं, दूसरे आदेश के तहत कोरोना इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग में पंजीकृत सभी निजी अस्पतालों और नर्सिग होम को रोगियों के इलाज के खर्च की जानकारी देने को कहा गया था।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि निजी अस्पतालों के सहयोग से ट्रस्ट निजी उद्देश्य के लिए बड़ी मात्रा में धन इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने ऐसे 11 निजी अस्पतालों का ऑडिट कराने के निर्देश देने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि ये मनमाने तरीके से बेड, किराये पर कमरे, पीपीई किट व सैनिटाइजर का दाम एमआरपी से अधिक वसूल रहे हैं।

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