स्वास्थ्य विभाग के नियम को न करें दरकिनार : डॉ. रजनी वर्मा
कोरोना संक्रमण को मात देने के लिए विश्व का सबसे बड़ा टीकाक
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : कोरोना संक्रमण को मात देने के लिए विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान अब धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगा है। धीरे-धीरे स्वास्थ्यकर्मियों में विश्वास बढ़ रहा है और वे टीकाकरण के लिए आगे आ रहे है। होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. रजनी वर्मा बताती हैं कि मेरा अभी तक टीकाकरण नहीं हुआ है, लेकिन मैं काफी उत्साहित हूं। वैक्सीन लाभार्थियों के अनुभवों से मुझे पूरा विश्वास हो चला है कि वैक्सीन के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं। हल्का बुखार, उच्च रक्तचाप, चक्कर आना, इंजेक्शन वाले स्थान पर सूजन व दर्द, उल्टी आना, कमजोर महसूस होना आदि यह सभी आम लक्षण हैं। शिशु का भी जब टीकाकरण होता है तो उसे भी इस तरह की समस्या होती है। जितने भी स्वास्थ्यकर्मियों ने अब तक टीका लगवाया है, सभी स्वस्थ हैं और अपनी नियमित दिनचर्या का पालन कर रहे हैं। हालांकि भारत के कुछ हिस्सों में एकाद मामले ऐसे सामने आए हैं, जिसमें वैक्सीन लगने के बाद स्वास्थ्यकर्मियों की मौत का दावा किया गया है। यह एक गंभीर विषय है और स्वास्थ्य विभाग मृत्यु के कारणों की पहचान करने में जुटा है। जब तक असल कारणों की पहचान नहीं हो जाती है, तब तक के लिए वैक्सीन पर अविश्वास दिखाना गलत है। क्योंकि हमारे समक्ष लाखों ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने टीकाकरण करवाया और उनमें कोई दुष्प्रभाव नहीं है। जहां तक दुष्प्रभाव की बात है, यह व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता पर भी निर्भर करता है। जिन स्वास्थ्यकर्मियों की मृत्यु हुई है, उन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी की समस्या हो सकती है। ऐसे में वे लोग जिन्हें कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, फेफड़ों, सांस लेने की समस्या, आदि जैसी समस्या है तो वे फिलहाल के लिए वैक्सीन लगवाने से परहेज कर सकते हैं। पर वैक्सीन को लेकर भ्रांतियां मन में लाना गलत है। इसके अलावा टीकाकरण के बाद भी मास्क, दो गज की दूरी व हाथों की समय-समय पर सफाई के नियम का पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ पालन करने की आदत को जारी रखना है।