कोविड अस्पतालों से स्थानातरित किए जा रहे अन्य मरीज

- गंगाराम मूलचंद व सरोज अस्पताल को किया गया है कोरोना के लिए अधिकृत - 69 निजी अस्पतालों ने की

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 12:25 AM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 12:25 AM (IST)
कोविड अस्पतालों से स्थानातरित किए जा रहे अन्य मरीज
कोविड अस्पतालों से स्थानातरित किए जा रहे अन्य मरीज

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :

राजधानी में कोरोना के मामले बढ़ने के साथ ही अस्पतालों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। बडे़ सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ अब ज्यादातर बडे़ निजी अस्पतालों में भी कोरोना के मरीज भर्ती किए जाने लगे हैं। गंगाराम, मूलचंद व सरोज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल कोरोना के इलाज के लिए अधिकृत किए जा चुके हैं। ऐसे में दिल के मरीजों के साथ ही अन्य रोगों से पीड़ित मरीज कोरोना के इलाज के लिए अधिकृत अस्पतालों से दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित किए जा रहे हैं।

ऐसे समय में जब ज्यादातर निजी अस्पताल कोरोना के इलाज में जुट चुके हैं, अस्पतालों के सामने बड़ी चुनौती यह भी है कि अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को कहां भेजें। हालाकि थोड़ी राहत की बात यह है कि अभी अस्पतालों में अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीज कम संख्या में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इस वजह से ज्यादातर अस्पतालों में सामान्य मरीजों के लिए बेड खाली भी पडे़ हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग ने 50 बेड से अधिक क्षमता वाले अस्पतालों में 20 फीसद बेड कोरोना के इलाज के लिए आरक्षित रखने का निर्देश दिया है। सरकार ने इन निजी अस्पतालों को यह सुविधा भी दी है कि यदि उनके पास स्थान है, तो वे 25 फीसद तक बेड बढ़ा भी सकते हैं। इससे उन्हें अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए और बेड उपलब्ध हो जाएंगे। इसके अलावा, दिल्ली के निजी क्षेत्र के बडे़ अस्पतालों में शामिल 600 बेड की क्षमता वाले गंगाराम अस्पताल को कोविड अस्पताल बना दिया गया है। इस अस्पताल में 20 फीसद बेड अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए आरक्षित रखे गए हैं। हालांकि 140 बेड की क्षमता वाले मूलचंद व 154 बेड की क्षमता वाले सरोज सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए बेड आरक्षित नहीं किए गए। लिहाजा यहां से अन्य मरीजों को किसी अन्य अस्पताल में भेजना होगा।

गंगाराम अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अन्य बीमारियों से पीड़ित करीब 300 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। मरीजों की हालत के अनुसार, सूची तैयार की जा रही है। जो मरीज ठीक हो चुके हैं और जिनकी हालत स्थिर है, उन्हें छुट्टी दी जाएगी। जिन मरीजों को अभी डॉक्टरों की निगरानी में रखना जरूरी है, उन्हें जरूरत के मुताबिक दूसरे अस्पताल में स्थानातरित किया जा सकता है। हालाकि, अस्पताल में 20 फीसद बेड अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए उपलब्ध रहेंगे और जैसी आवश्यकता होगी, उसके अनुरूप कदम उठाए जाएंगे। मूलचंद अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मधु हांडा से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो पाई।

बहरहाल, मौजूदा समय में 69 निजी अस्पतालों ने कोरोना के इलाज की व्यवस्था कर ली है। इनमें से 43 अस्पतालों ने कोरोना के मरीज भर्ती करना शुरू कर दिया है। द्वारका सेक्टर 12 स्थित आयुष्मान अस्पताल के निदेशक डॉ. राजकुमार ने कहा कि इस अस्पताल को पूरी तरह कोविड अस्पताल बना दिया गया है। यहा भर्ती गैर-कोविड मरीजों को द्वारका सेक्टर 10 स्थित अस्पताल की दूसरी शाखा में स्थानातरित कर दिया गया है। बीएलके अस्पताल में कोरोना के इलाज के लिए 93 बेड आरक्षित किए गए हैं। अस्पताल के अनुसार, कोरोना का इलाज शुरू होने के बाद ओपीडी में दूसरी बीमारियों के मरीज देखना कम कर दिया गया है।

कोरोना के सभी मरीजों का करना होगा इलाज : राजधानी में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, केंद्र सरकार के साथ ही दिल्ली सरकार भी यह मान रही है कि ये संख्या और बढ़ सकती है। ऐसे में दिल्ली सरकार ने कोरोना के इलाज के लिए बेड क्षमता बढ़ाना शुरू कर दिया है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी कहा है कि सरकार का ध्यान कोरोना के मरीजों की जान बचाने पर है। दिल्ली के लोगों की जान बचानी है, इसलिए अस्पतालों में बेड बढ़ाए जा रहे हैं, ताकि मरीजों को अस्पताल में आसानी से बेड मिल सकें। इसे देखते हुए निजी अस्पतालों को भी कोरोना के मरीजों के लिए 20 फीसद बेड आरक्षित करने का निर्देश दिया गया है। कई अस्पताल इसका पालन भी कर रहे हैं। इसका फायदा यह है कि इन अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए भी बेड उपलब्ध हैं, साथ ही अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भी ये अस्पताल इलाज से इन्कार नहीं कर सकते हैं।

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