अस्पतालों में फैली अव्यवस्था पर दिल्ली सरकार को फटकार

- हाई कोर्ट ने विस्तृत प्रगति रिपोर्ट पेश करने के दिए आदेश - पीठ ने दी आखिरी चेतावनी,

By JagranEdited By: Publish:Wed, 26 Sep 2018 08:06 PM (IST) Updated:Wed, 26 Sep 2018 08:06 PM (IST)
अस्पतालों में फैली अव्यवस्था पर दिल्ली सरकार को फटकार
अस्पतालों में फैली अव्यवस्था पर दिल्ली सरकार को फटकार

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:

दिल्ली सरकार के अस्पतालों में सुविधाओं की कमी और अव्यवस्था के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई। मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने कहा कि आप छोटी सी जांच के लिए मरीजों को छह महीने का समय देते हैं। पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल की गई प्रगति रिपोर्ट पर भी कई सवाल उठाते हुए कहा कि रिपोर्ट में अस्पतालों को लेकर विस्तृत जानकारी नहीं है। पीठ ने एक विस्तृत पेश करने के आदेश दिए। साथ ही चेतावनी दी कि विस्तृत रिपोर्ट नहीं देने पर अस्पतालों की नियमित निगरानी के लिए एक कमेटी गठित की जाएगी। याचिकाकर्ता मधु बाला ने वकील प्रशांत मनचंदा की ओर से मई 2018 में जनहित याचिका दायर कर दिल्ली अस्पतालों की लापरवाही व सुविधाओं पर सवाल उठाया था। जीटीबी अस्पताल की लापरवाही के कारण मधु बाला के 9 महीने के बच्चें की दिसंबर 2015 में गर्भ में ही मौत हो गई थी। सुनवाई के दौरान मुख्य पीठ ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि एक साल से एक अस्पताल में एमआरआइ मशीन नहीं चल रही है। पीठ ने दिल्ली सरकार व अस्पताल के रजिस्ट्रार को एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए। पीठ ने गुरुतेग बहादुर अस्पताल, जीबी पंत अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, भीम राव अंबेडकर अस्पताल और लोक नायक अस्पताल के संबंध में रिपोर्ट मांगी है।

पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में जानकारी दी जाए कि कितने बेड, कितने मरीज हैं और दवाईयां कितनी हैं। इलाज के दौरान कितनों की मौत हुई। अस्पतालों में मशीनों की संख्या और कितने मशीनों की कमी है व कितनी मशीनें खराब पड़ी हैं। पीठ ने यह भी कहा कि इन समस्याओं को सुधारने के लिए क्या कार्रवाई की गई और समय-समय पर क्या कदम उठाया गया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत मनचंदा ने कहा कि अस्तपालों की स्थिति काफी दयनीय है और सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है।

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