जाति व क्षेत्र के आधार पर बिछी चुनावी बिसात

देश के अन्य हिस्सों की तरह राजधानी की चुनावी राजनीति में भी जातीयता व क्षेत्रीयता हावी है। इसकी बानगी पार्टियों के उम्मीदवारों की सूची है। सभी पार्टियों ने उम्मीदवारों के चयन में जातीय व क्षेत्रीय समीकरण का ध्यान रखकर उनमें संतुलन साधने की कोशिश की है। यही कारण है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों को अपने उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने में भारी मशक्कत करनी पड़ी है। भाजपा को सात नाम तय करने के लिए तीन सूची जारी करनी पड़ी। अंतिम नाम की घोषणा तो नामांकन का समय खत्म होने के कुछ घंटे पहले हुई है। कांग्रेस ने भी दो सूची में सभी सात उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक किए थे। आम आदमी पार्टी (आप) ने काफी पहले अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी लेकिन उसने भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाले समीकरण को ध्यान में रखा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Apr 2019 09:00 PM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 06:28 AM (IST)
जाति व क्षेत्र के आधार पर बिछी चुनावी बिसात
जाति व क्षेत्र के आधार पर बिछी चुनावी बिसात

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली

देश के अन्य हिस्सों की तरह राजधानी की चुनावी राजनीति में भी जातीयता व क्षेत्रीयता हावी है। इसकी बानगी पार्टियों के उम्मीदवारों की सूची है। सभी पार्टियों ने उम्मीदवारों के चयन में जातीय व क्षेत्रीय समीकरण का ध्यान रखकर उनमें संतुलन बनाने की कोशिश की है। यही कारण है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों को अपने उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने में भारी मशक्कत करनी पड़ी है।

भाजपा को सात नाम तय करने के लिए तीन सूची जारी करनी पड़ी। अंतिम नाम की घोषणा तो नामांकन का समय खत्म होने के कुछ घंटे पहले हुई है। कांग्रेस ने भी दो सूची में सभी सात उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक किए थे। आम आदमी पार्टी (आप) ने काफी पहले अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी, लेकिन उसने भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाले समीकरण को ध्यान में रखा है।

भाजपा ने इस बार गौतम गंभीर (पूर्वी दिल्ली) व मीनाक्षी लेखी (नई दिल्ली) के साथ ही आरक्षित सीट उत्तर पश्चिमी दिल्ली से भी पंजाबी उम्मीदवार हंसराज हंस को टिकट दिया है। वहीं, चांदनी चौक से उसने फिर से डॉ. हर्षवर्धन को टिकट देकर वैश्य समाज को साधने की कोशिश की है। पंजाबी व वैश्य भाजपा के परंपरागत समर्थक माने जाते हैं। आप की नजर भाजपा के इसी वोट बैंक पर है। उसने वैश्य समाज को अपने साथ जोड़ने के लिए चांदनी चौक से पंकज गुप्ता व नई दिल्ली से बृजेश गोयल को मैदान में उतारा है। जबकि पंजाबी मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने के लिए राघव चड्ढा (दक्षिणी दिल्ली) को सामने किया है। वहीं, कांग्रेस ने अजय माकन को नई दिल्ली से चुनाव मैदान में उतारा है। उनकी गिनती बड़े पंजाबी नेताओं में होती है। वहीं, पूर्वी दिल्ली से अरविदर सिंह लवली की जिम्मेदारी 1984 के सिख विरोधी दंगे से नाराज सिखों को कांग्रेस के साथ जोड़ने की है।

जाट व गुर्जर नेताओं की भी दिल्ली की सियासत में दखल रही है। तुलनात्मक रूप से इनकी संख्या कम है, लेकिन पश्चिमी व उत्तर पश्चिमी दिल्ली के साथ ही दक्षिणी दिल्ली में कई स्थानों पर इनकी अच्छी तादाद है। इसे ध्यान में रखते हुए पश्चिमी दिल्ली से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र व वर्तमान सांसद प्रवेश वर्मा को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। आप ने यहां से बलवीर सिंह जाखड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने पश्चिमी दिल्ली के बजाय दक्षिणी दिल्ली से ओलंपियन मुक्केबाज विजेंदर सिंह को टिकट दिया है। पार्टी को इससे जाट के साथ ही युवा मतदाताओं में अपनी पकड़ मजबूत होने की उम्मीद है। भाजपा ने गुर्जरों को अपने पाले में करने के लिए दक्षिणी दिल्ली से रमेश बिधूड़ी को फिर से मैदान में उतारा है। अन्य दोनों पार्टियों ने किसी गुर्जर को टिकट नहीं दिया है।

ब्राह्मणों की भी यहां अच्छी तादाद है। इसे ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व आप ने दिलीप पांडेय पर दांव लगाया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी फिर से मैदान में उतरे हैं। दिल्ली में रह रहे पूर्वाचल के लोगों को भी अपने साथ जोड़ने की होड़ तीनों ही पार्टियों में है। भाजपा तिवारी के सहारे पूरबिया वोटरों को साध रही है। आप को दिलीप पांडेय से सहारा है। कांग्रेस ने पूर्वाचल के लोगों को अपने पाले में लाने के लिए पश्चिमी दिल्ली से महाबल मिश्रा को चुनावी अखाड़े में उतारा है। तीनों पार्टियों ने एक-एक महिला नेताओं को भी टिकट दिया है। दिल्ली में विभिन्न जाति व वर्ग की स्थिति:

सिख-चार फीसद

ब्राह्मण- दस फीसद

अनुसूचित जाति- 17 फीसद

वैश्य- साढ़े आठ फीसद

पंजाबी- दस फीसद

जाट- साढ़े पांच फीसद

गुर्जर- चार

ओबीसी-19

पूर्वाचली-30 फीसद

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