न्यूजीलैंड से आए अर्चित लॉकडाउन में फंसे, अब कर रहे समाज सेवा

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By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 08:00 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 08:00 PM (IST)
न्यूजीलैंड से आए अर्चित लॉकडाउन में फंसे, अब कर रहे समाज सेवा
न्यूजीलैंड से आए अर्चित लॉकडाउन में फंसे, अब कर रहे समाज सेवा

मनीषा गर्ग, पश्चिमी दिल्ली

सरकार ने आइएलबीएस में प्लाज्मा बैंक की शुरुआत भले ही कर दी है, लेकिन डोनर की तलाश करना अभी भी तीमारदारों के लिए चुनौती बना हुआ है। ऐसे जरूरतमंदों को प्लाज्मा डोनर तक पहुंचाने में पश्चिम विहार निवासी अर्चित गुप्ता महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम कर रहे हैं। अर्चित न सिर्फ कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल में बेड दिलाने में मददगार साबित हुए हैं, बल्कि जरूरतमंद मरीजों को प्लाज्मा उपलब्ध कराकर उनकी परेशानियों को कम रहे हैं। वे अभी तक 119 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराकर उनका इलाज करवा चुके हैं और 52 लोगों को प्लाज्मा दान करने के लिए प्रेरित कर चुके हैं। प्रशासन व निजी संस्थाओं की मदद से अर्चित आगे भी इस मुहिम को जारी रखना चाहते हैं।

2017 से न्यूजीलैंड में नौकरी कर रहे 29 वर्षीय अर्चित इस वर्ष होली पर परिवार से मिलने के लिए घर आए थे और लॉकडाउन के चलते यही फंस गए। इस दौरान उन्होंने ट्विटर पर देखा कि लोग मदद के लिए आग्रह कर रहे हैं, पर उनकी आवाज सही जगह नहीं पहुंच पा रही है। कई लोग सोशल मीडिया से परिचित नहीं है तो कई लोगों को यह पता ही नहीं है कि किसी समस्या के लिए कहां आग्रह करना उचित है। अर्चित ने जिला प्रशासन की मदद से लोगों तक मदद मुहैया कराना आरंभ किया। प्रशासन ने भी अर्चित के हौसले को देखते हुए उनकी पूरी मदद की। लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में जरूरतमंदों को राशन नहीं मिल पा रहा था। प्रशासन व निजी संस्था की मदद से उन्होंने ऐसे लोगों तक राशन पहुंचाने का काम शुरू किया। इसके बाद संक्रमण के मामले जैसे-जैसे बढ़ते गए, अस्पताल में बेड के अभाव में मरीजों को भर्ती नहीं करने की शिकायतें सामने आने लगी।

अर्चित बताते हैं कि समय की नजाकत को देखते हुए मैंने कोरोना को हराकर घर लौटे लोगों से संपर्क कर उन्हें प्लाज्मा दान के लिए प्रेरित करना शुरू किया। वे कहते हैं कि परिवार के लोग अक्सर उनसे एक सवाल पूछते हैं कि इन कामों से उन्हें क्या और किस तरह का फायदा हो रहा है। उस समय वे उन्हें केवल एक ही जवाब देते हैं कि अगर हर कोई ऐसा सोचने लगेगा तो लोगों का इंसानियत से विश्वास उठ जाएगा। इंसानियत को जीवित रखने के लिए हमें मदद के लिए हर समय तत्पर रहना पड़ेगा। हर तरह की मदद को तत्पर हैं अर्चित : अर्चित बताते हैं कि नर सेवा नारायण सेवा के बराबर है। वे अपने स्तर पर जितना संभव हो पाता है, लोगों की समस्या का समाधान कराने का पूरा प्रयास करते हैं। अर्चित पारस संस्था के साथ जुड़कर जरूरतमंद बच्चों को ऑनलाइन अंग्रेजी पढ़ाते हैं। वे रोजाना दिल्ली यातायात पुलिस की वेबसाइट से जानकारी जुटाने के बाद अपने तमाम वाट्सएप ग्रुप पर लोगों को अपडेट करते हैं कि दिल्ली में कहां-कहां जाम की समस्या है, ताकि लोग उस रास्ते से गुजरने से बचें। होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों के घरों से नियमित रूप से कूड़ा उठे, इसके लिए वे निगम के अधिकारियों के साथ समय-समय पर संपर्क करते रहते हैं। सीवर जाम, आंधी में पेड़ टूटकर गिरने की समस्या से भी प्रशासन को अवगत कराके उसका समाधान कराने में अर्चित अपना सहयोग दे चुके हैं।

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