सट्टेबाज संजीव चावला का दावा, 'जिस मैच को लोग देखते हैं वो मैच फिक्स होता है'

मैच फिक्सर संजीव चावला ने दावा किया है कि जिस मैच को लोग देखते हैं वो मैच फिक्स होता है और ये एक ऐसी फिल्म है जिसे पहले ही निर्देशित किया गया है।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 02:22 PM (IST) Updated:Sun, 31 May 2020 02:22 PM (IST)
सट्टेबाज संजीव चावला का दावा, 'जिस मैच को लोग देखते हैं वो मैच फिक्स होता है'
सट्टेबाज संजीव चावला का दावा, 'जिस मैच को लोग देखते हैं वो मैच फिक्स होता है'

नई दिल्ली, जेएनएन। साल 2000 में साउथ अफ्रीकी क्रिकेटर हैंसी क्रोनिए ने मैच फिक्सिंग की थी, लेकिन इसके पीछे का चेहरा संजीव चावला का था। इस केस के मुख्य आरोपी संजीव चावला ने दिल्ली पुलिस को दिए अपने बयान में दावा किया है है कि "कोई भी क्रिकेट मैच निष्पक्ष रूप से नहीं खेला जाता है" और "सभी क्रिकेट मैच जो लोग देखते हैं, वह फिक्स होते हैं।" उन्होंने ये भी संकेत दिया है कि इसमें अंडरवर्ल्ड माफियाओं की भागीदारी होती है, जो सभी क्रिकेट खेलों को प्रभावित करते हैं। संजीव चावला के मुताबिक, क्रिकेट कुछ इस तरह है कि फिल्मों को पहले ही निर्देशित किया गया है।

बयान में अदालत को सौंपी गई एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट जिस पर आरोपी के हस्ताक्षर नहीं हैं, उसके मुताबिक चावला ने पुलिस के सामने खुलासा किया कि माफिया ने इस मामले के जांच अधिकारी डीसीपी (क्राइम ब्रांच) डॉ. जी राम गोपाल नाइक को निशाना बनाया था, जिससे उनका जीवन खतरे में था। नई दिल्ली में जन्मा और लंदन में रहने वाले इस बुकी ने ये भी कबूल किया है कि वह कई सालों तक मैच फिक्सिंग में शामिल रहा है।

इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, संजीव चावला ने ये भी जाहिर किया है कि वह मैच फिक्सिंग के बारे में ज्यादा नहीं बताएगा, क्योंकि इसमें "एक बहुत बड़ा सिंडिकेट/अंडरवर्ल्ड माफिया इस मामले में शामिल है और वे खतरनाक लोग हैं और अगर वह कुछ भी कहते हैं तो वे उसे मार देंगे।" हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इस बारे में कोई जानकारी शेयर नहीं की है, क्योंकि जांच अभी भी जारी है।

इस बीच दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने अपने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में यह भी कहा है कि संजीव चावला ने जांच में सहयोग नहीं किया है, जिससे अपराध में उनकी संलिप्तता साबित होती है। ट्रायल कोर्ट के जमानत आदेश पर हाईकोर्ट की रोक के अभाव में, चावला इस महीने की शुरुआत में तिहाड़ जेल से बाहर चले गए थे। इस राहत के बाद दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मामले की सुनवाई अगले महीने होगी।

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