सचिन तेंदुलकर ने दी बड़ी दलील, बोले- सिर्फ DRS से हो LBW आउट होने का फैसला

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने इस बात की दलील दी है कि LBW आउट होने का फैसला DRS से दिया जाना चाहिए।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 07:57 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 07:57 AM (IST)
सचिन तेंदुलकर ने दी बड़ी दलील, बोले- सिर्फ DRS से हो LBW आउट होने का फैसला
सचिन तेंदुलकर ने दी बड़ी दलील, बोले- सिर्फ DRS से हो LBW आउट होने का फैसला

नई दिल्ली, पीटीआइ। पूर्व भारतीय दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने विश्व क्रिकेट के लिए एक अहम सुझाव दिया है। सचिन तेंदुलकर का ये सुझाव खिलाड़ियों को पसंद जरूर आएगा, लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आइसीसी और मेरिलबोन क्रिकेट क्लब यानी एमसीसी इस पर विचार करेगी ये संभव नहीं लगता, क्योंकि सचिन तेंदुलकर ने ये दलील दी है कि LBW का फैसला सिर्फ और सिर्फ DRS से होना चाहिए। 

शनिवार को महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि अगर डीआरएस (डिसिजन रिव्यु सिस्टम) के मुताबिक गेंद स्टंप पर भी लग रही है तो मैदानी अंपायर के फैसले के बारे में नहीं सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर शून्य प्रतिशत गेंद भी स्टंप पर लग रही है तो यह मायने नहीं रखता। अगर डीआरएस हमें दिखा रह है कि गेंद स्टंप पर लगी तो यह आउट दिया जाना चाहिए। तब मैदानी अंपायर ने क्या फैसला किया था यह मायने नहीं रखता है।

सचिन का साफ तौर पर मानना ये है कि lbw का फैसला थर्ड अंपायर पर ही होना चाहिए। दरअसल, कई बार जब कप्तान या फिर बल्लेबाज डीआरएस के लिए कॉल करते हैं और अंपायर ने किसी खिलाड़ी को lbw आउट दे दिया है और टेक्नोलॉजी के माध्यम से देखा जा रहा है कि गेंद स्टंप को छूकर बाहर से होकर जा रही है तो फिर अंपायर का फैसला मान्य होता है, लेकिन अगर अंपायर खिलाड़ी को आउट नहीं देता है तो फिर नतीजा नॉट आउट होता है। 

बता दें कि खुद क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर अपने करियर में दर्जनों बार lbw के गलत फैसलों का शिकार हुए थे। हालांकि, उस समय इस तरह की तकनीक नहीं थी, लेकिन अब जब सभी के पास ये तकनीक है तो फिर इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सिर्फ सचिन ही नहीं, बल्कि तमाम पूर्व क्रिकेटर भी ये दलील दे चुके हैं कि lbw के नियम में कुछ बदलाव होने चाहिए। 

chat bot
आपका साथी