75 साल के हुए पूर्व स्पिनर बिशन सिंह बेदी, गुस्से में पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से कर दिया था मना

स्पिन की कला में महारथ हासिल करने वाले बिशन सिंब बेदी का जन्म 25 सितंबर 1946 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। बेदी ने 67 टेस्ट मैचों में 266 विकेट और 10 वनडे में सात विकेट हासिल किए।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 10:39 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 09:44 AM (IST)
75 साल के हुए पूर्व स्पिनर बिशन सिंह बेदी, गुस्से में पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से कर दिया था मना
टीम इंडिया के पूर्व स्पिनर बिशन सिंह बेदी (एपी फोटो)

शुभम पांडेय, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कई धुरंधर खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने अपने प्रदर्शन और खेलने के तरीकों से एक नया मुकाम बनाया है। इसी सूची में बिशन सिंह बेदी का नाम भी शामिल हैं। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और बायें हाथ के दिग्गज स्पिनर बिशन सिंह बेदी शनिवार को 75 वर्ष के हुए। वह यारों के यार हैं और स्पिनरों के सरदार हैं।

स्पिन की कला में महारथ हासिल करने वाले बिशन का जन्म 25 सितंबर 1946 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। बिशन भारत के लिए 13 सालों तक 1966 से 1979 तक का हिस्सा रहे। बेदी ने 67 टेस्ट मैचों में 266 विकेट और 10 वनडे में सात विकेट हासिल किए। बेदी ने अपने करियर में कुल 370 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें उन्होंने 1560 विकेट झटके। इसके साथ ही वह घरेलू क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट चटकाने के मामले में सबसे आगे हैं।

पदार्पण से पहले कभी नहीं देखा टेस्ट क्रिकेट : बिशन सिंह बेदी ने अपना पदार्पण टेस्ट 31 दिसंबर 1966 को वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। जिसके बारे में द टेलीग्राफ में बिशन ने बताया था कि उन्होंने पहली बार टेस्ट मैच तभी देखा जब उन्होंने पदार्पण किया था। उससे पहले कभी भी टेस्ट क्रिकेट उन्होंने नहीं देखा था।

गुस्से से पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से कर दिया था मना : 1978 में पाकिस्तान के साहिवाल में बेदी के गुस्से की वजह से टीम इंडिया को मैच गंवाना पड़ा। दरअसल इस मैच में भारत को 18 गेंदों में 23 रन बनाने थे और उसके आठ विकेट बचे हुए थे। तभी पाकिस्तान के तेज गेंदबाज सरफराज नवाज ने लगातार चार बाउंसर फेंकी और किसी भी गेंद को अंपायर ने वाइड नहीं दिया। यह देख कप्तान बेदी बेदी भड़क उठे और उन्होंने अपने बल्लेबाज वापस बुला लिए। बेदी के इस फैसले के बाद पाकिस्तान को विजेता घोषित कर दिया गया। इसे लेकर उन्हें काफी विवाद का सामना करना पड़ा था।

खिलाड़ियों के हित में सबसे आगे बेदी : बेदी हमेशा खिलाडि़यों के हित में सबसे आगे रहते थे यही कारण है कि अपनी कप्तानी के दौरान उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए, जिससे उन्हें सवालों का सामना करना पड़ा। बिशन का हमेशा से कहना रहा है कि पहले अच्छा इंसान बनना सीखो, क्रिकेट तो बाद में भी सीख लोगे। इसका एक उदाहरण 1976 में वेस्टइंडीज दौरे पर भी देखने को मिलता है। इस दौरे पर कप्तान बने बेदी ने खराब पिच को देखते हुए टीम की दोनों पारियां घोषित कर दी थी। दौरे के तीसरे टेस्ट में ऐसी पिच बनाई गई थी कि वेस्टइंडीज तेज गेंदबाजों की घातक गेंदों ने भारत के पांच बल्लेबाजों को चोटिल कर दिया। जिस पर कप्तान बेदी ने विरोध में टीम की दोनों पारियां घोषित कर दी थीं। इसके बाद वेस्टइंडीज मैच का विजेता घोषित हुआ।

शेन वार्न मानते थे गुरु : दुनिया के महानतम गेंदबाजों में से एक पूर्व आस्ट्रेलियाई लेग स्पिनर शेन वार्न बेदी को अपना आदर्श मानते थे। वार्न का कहना था कि उन्होंने लेग स्पिन का ककहरा बेदी से ही सीखा।

बेदी के नाम अनोखा विश्व रिकार्ड: बेदी ने 60 ओवरों के वनडे में सबसे किफायती गेंदबाज का विश्व रिकार्ड बनाया है। 1975 के विश्व कप में, जब गेंदबाजों को 12 ओवर करने की अनुमति थी, तब बेदी ने हेडिंग्ले में पूर्वी अफ्रीका के खिलाफ 12 ओवर के स्पेल में आठ मेडन डालते हुए छह रन के साथ एक विकेट अपने नाम किया था। जो कि 60 ओवर के वनडे क्रिकेट का सबसे किफायती स्पेल है।

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