रोचक और चुनौतीपूर्ण होगा विश्व कप का बदला फॉर्मेट

1992 विश्व कप में पहली बार आयोजित किया गया था यह प्रारूप 46 दिन तक चलने वाले टूर्नामेंट में खेले जाएंगे 48 मुकाबले

By Jagran News NetworkEdited By: Publish:Thu, 21 Feb 2019 10:12 PM (IST) Updated:Fri, 22 Feb 2019 05:00 PM (IST)
रोचक और चुनौतीपूर्ण होगा विश्व कप का बदला फॉर्मेट
रोचक और चुनौतीपूर्ण होगा विश्व कप का बदला फॉर्मेट

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। क्रिकेट के जन्मदाता देश इंग्लैंड में 30 मई से क्रिकेट का महाकुंभ यानि विश्व कप (50 ओवर) का आगाज होने जा रहा है। क्रिकेट के इस बड़े तमगे को हासिल करने के लिए हर टीम अपनी जान झोंकने को तैयार है। इस विश्व कप के प्रारूप में बदलाव हुआ है और इस बार राउंड रॉबिन प्रारूप में टीमें खिताबी जंग के लिए जद्दोजहद करेंगी।

यहां हर टीम को विश्व कप में हिस्सा लेने वाली सभी टीमों से खेलना होगा। राउंड रॉबिन प्रारूप विश्व कप में दूसरी बार इस्तेमाल किया जा रहा। 

सबसे पहले 1992 में आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की संयुक्त मेजबानी में हुए विश्व कप में इसे इस्तेमाल किया गया था। विश्व कप के 12वें संस्करण में कुल 10 टीमें हिस्सा ले रही हैं और राउंड रॉबिन प्रारूप के हिसाब से हर टीम को नौ मैच खेलने हैं। यह प्रारूप आइपीएल में भी इस्तेमाल किया जाता है। 46 दिनों तक चलने वाले इस विश्व कप में कुल 48 मैच खेले जाएंगे।

अंकतालिका में शीर्ष-चार टीमें सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करेंगी और फिर दो टीमों की 14 जुलाई को क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉडर्स मैदान पर खिताबी जंग होगी। यह प्रारूप किसी भी टीम के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि इस प्रारूप की सबसे बड़ी खासियत या यू कहें पेचीदगी यह है कि टीम को अगले दौर में जाने के लिए निरंतर अच्छा प्रदर्शन करना होता है और अगर टीम राह भटकती है तो कई बार दूसरी टीमों के प्रदर्शन पर भी उसका अगले दौर का सफर टिका रहता है। 

भारत को अपना पहला मैच पांच जून को दक्षिण अफ्रीका से खेलना है। इसके बाद नौ जून को आस्ट्रेलिया, 13 जून को न्यूजीलैंड, 16 जून को पाकिस्तान, 22 जून को अफगानिस्तान, 27 जून को वेस्टइंडीज, 30 जून को इंग्लैंड, दो जुलाई को बांग्लादेश, छह जुलाई को श्रीलंका से भिड़ना है।

1992 के बाद ग्रुप प्रारूप ने दोबारा जगह ले ली थी। 1975 में खेले गए पहले विश्व कप से लेकर 1987 तक ग्रुप प्रारूप में ही मैच खेले गए थे। 1996 से एक बार फिर ग्रुप प्रारूप ने जगह ले ली थी। वहीं, 1999 में इंग्लैंड में ही खेले गए विश्व कप में ग्रुप-दौर के बाद सुपर-6 दौर को शामिल किया गया था, जो दक्षिण अफ्रीका में 2003 में खेले गए विश्व कप में भी जारी रहा था। 

2007 में हालांकि आइसीसी ने एक सुपर-6 को हटाकर सुपर-8 दौर को शामिल किया था और पहली बार विश्व कप में दो ग्रुप की जगह चार ग्रुप बनाए गए थे। सुपर-8 के बाद क्वार्टर फाइनल दौर की शुरुआत हुई थी। भारत में 2011 में खेले गए विश्व कप में एक बार फिर दो ग्रुप वाला प्रारूप लाया गया था और इसके बाद क्वार्टर फाइनल दौर की शुरुआत हुई थी। 2015 में भी इसी प्रारूप को जारी रखा गया था।

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