स्कूल में क्रिकेट खेला तक नहीं, आज भारत को दिला रहा है जीत

कुछ लोगों के लिए जिंदगी की ट्रेन उस पटरी पर चलती है जहां कई स्टेशन होते हैं जबकि कुछ जब उसी ट्रेन पर सवार होते हैं तो वह एक्सप्रेस का रुख अख्तियार कर सीधे मंजिल पर जाकर ही रुकती है.. मध्यप्रदेश के युवा क्रिकेट इश्वर पांडे भी उन्हीं में से एक हैं। जहां एक तरफ बाकी युवा खिलाड़ी बचपन से ही मैदान में जुट जाते हैं ताकि एक दिन देश के लिए खेल सकें, वहीं दूसरी तरफ इश्वर जैसे खिलाड़ी भी होते हैं जिन्हें 12वीं की परीक्षा तक क्रिकेट से कोई लेना-देना तक नहीं था और आज वह दक्षिण्

By Edited By: Publish:Wed, 21 Aug 2013 09:58 AM (IST) Updated:Wed, 21 Aug 2013 10:38 PM (IST)
स्कूल में क्रिकेट खेला तक नहीं, आज भारत को दिला रहा है जीत

नई दिल्ली। कुछ लोगों के लिए जिंदगी की ट्रेन उस पटरी पर चलती है जहां कई स्टेशन होते हैं जबकि कुछ जब उसी ट्रेन पर सवार होते हैं तो वह एक्सप्रेस का रुख अख्तियार कर सीधे मंजिल पर जाकर ही रुकती है.. मध्यप्रदेश के युवा क्रिकेट इश्वर पांडे भी उन्हीं में से एक हैं। जहां एक तरफ बाकी युवा खिलाड़ी बचपन से ही मैदान में जुट जाते हैं ताकि एक दिन देश के लिए खेल सकें, वहीं दूसरी तरफ इश्वर जैसे खिलाड़ी भी होते हैं जिन्हें 12वीं की परीक्षा तक क्रिकेट से कोई लेना-देना तक नहीं था और आज वह दक्षिण अफ्रीका की कठिन पिचों पर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं।

पढ़ें: भारत 'ए' की दक्षिण अफ्रीका में शानदार जीत, पांडे बने नए हीरो

नाम- इश्वर पांडे, उम्र-24, जन्म स्थान- रीवा (मध्यप्रदेश)..भारत के सबसे बड़े राज्य के एक छोटे से शहर से आने वाले इश्वर पांडे दक्षिण अफ्रीका में दक्षिण अफ्रीका 'ए' के खिलाफ भारत 'ए' से खेलते हुए अपने डेब्यू पर हीरो बनकर उभरे हैं। इश्वर ने इस मैच की पहली पारी में 19 ओवरो में महज 46 रन देकर चार अहम विकेट लिए जबकि दूसरी पारी में 9.5 ओवर में उन्होंने 25 रन देकर तीन और विकेट हासिल किए। इश्वर पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक आज से पांच साल पहले इस क्रिकेटर का इस खेल से कोई लेना-देना भी नहीं था। स्कूल के आखिरी दिनों में गर्मियों की छुंिट्टयों में उन्होंने अपने दोस्तों के साथ सिर्फ मस्ती के लिहाज से एक क्रिकेट ट्राइल में मौका आजमाने का मन बनाया और फॉर्म भर डाला। दरअसल, वह क्रिकेट ट्राइल मध्यप्रदेश डीविजनल क्रिकेट की रीवा टीम के लिए था। यहां पर उनकी लंबी चौड़ी कद काठी और गेंद फेंकने की अद्भुत क्षमता से सब इतना प्रभावित हुए कि वह जल्द ही रीवा से खेलने भी लगे और कुछ ही दिनों में रणजी सीजन के एक खिलाड़ी ने इश्वर की गेंदों को देखा तो वह हैरत में रह गए और उन्होंने लोकल क्लब में इस खिलाड़ी की चर्चा शुरू की।

इश्वर के पिता (एक पूर्व सैनिक) चाहते थे कि इश्वर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें और उनका खेल से जुड़ना काफी मुश्किल नजर आ रहा था, हालांकि उनके यूनिवर्सिटी कोच ने इश्वर के पिता को मनाया और जल्द ही इश्वर मध्यप्रदेश की अंडर-19 टीम के लिए भी खेलने लगे। शुरुआती दौर खराब रहा लेकिन इश्वर को अब आगे बढ़ने का चस्का लग चुका था। पिताजी का दबाव जारी थी लेकिन अपने क्रिकेट के जोश की खातिर इश्वर ने पढ़ाई की स्ट्रीम ही बदल डाली और कॉलेज में विज्ञान से आ‌र्ट्स स्ट्रीम में नाम दर्ज करा दिया ताकि क्रिकेट को ज्यादा समय दे सकें।

इसी बीच पूर्व भारतीय क्रिकेटर व मध्यप्रदेश के खिलाड़ी अमय खुरसिया ने इश्वर की प्रतिभा देखी और उन्हें चेन्नई की एमआरएफ पेस अकादमी भेजने का फैसला लिया। इसके बाद जो बदलाव इश्वर में आए उसने सभी की आंखें खोल दीं। स्कूल के बाद पांच साल के अंदर आज इश्वर घरेलू क्रिकेट से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक हर जगह चर्चा में हैं। पिछले रणजी सीजन में वह टूर्नामेंट के सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी भी रहे। उन्होंने मध्यप्रदेश की तरफ से खेलते हुए 48 विकेट चटकाए और इस दौरान उन्होंने कुछ मैचों में बल्ले से भी अपना जलवा दिखाया। आइपीएल-6 में वह पुणे वॉरियर्स से खेले लेकिन ज्यादा कुछ कर नहीं पाए लेकिन कभी हार ना मानने वाले इस क्रिकेटर को दक्षिण अफ्रीका के भारत 'ए' दौरे पर चयनकर्ताओं ने मौका दिया और अपने इस डेब्यू में ही उन्होंने 7 अहम विकेट लेकर भविष्य का उभरता हुआ गेंदबाज बनने की दस्तक दे डाली। छह फुट दो इंच लंबे चौड़े इस गेंदबाज की रफ्तार और स्विंग इसका सबसे बड़ा हथियार है और जिस रफ्तार में पिछले पांच साल उनकी जिंदगी में अलग मोड़ लेकर आए हैं, ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जल्द ही हमें शायद टीम इंडिया के लिए एक और शानदार फर्राटा गेंदबाज मिल जाए।

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