EXCLUSIVE: World Cup 2019 बादलों से रहे सावधान, तो इंग्लैंड में मारेंगे मैदान : सचिन तेंदुलकर
World Cup 2019 सचिन ने दैनिक जागरण से खास बातचीत में कहा कि यह भारतीय टीम काफी संतुलित है और उसके विश्व कप जीतने की संभावना अच्छी हैं।
विश्व कप में इंग्लैंड की परिस्थितियों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही। क्रिकेट के जानकारों का मानना है कि इंग्लैंड में हालात बादलों और पिच के मिजाज पर निर्भर करेंगे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अथाह अनुभव रखने वाले और छह विश्व में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का भी मानना है कि अगर इंग्लैंड में बादलों से सावधान रहकर खेला जाए तो वहां बल्लेबाजी करना आसान हो जाएगा। इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप और भारतीय टीम की उम्मीदों को लेकर अभिषेक त्रिपाठी ने सचिन तेंदुलकर से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश :
-भारतीय टीम से कैसे प्रदर्शन की उम्मीदें हैं और क्या आपको लगता है कि भारतीय टीम संतुलित है और लॉर्ड्स में ट्रॉफी उठाने के लिए सबसे योग्य टीम है?
-देखिए भारतीय टीम के खिताब जीतने की संभावनाएं बहुत अच्छी हैं। मुझे लगता है कि भारतीय टीम कम से कम सेमीफाइनल तक पहुंचेगी और इसके बाद उसके आगे का प्रदर्शन उस निश्चित दिन के उसके प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। नॉकआउट दौर में आपको अच्छे दिनों की जरूरत होगी। यह एक संतुलित टीम है लेकिन मैं इसे किसी दूसरी टीम से तुलना नहीं करना चाहूंगा क्योंकि हर टीम का अलग-अलग समय में अलग-अलग टीमों के खिलाफ अलग-अलग पिचों पर और अलग-अलग नियमों के बीच अलग-अलग दौर रहा है। ऐसे में मेरा मानना है कि दो अलग-अलग दौर की टीमों की तुलना करना सही नहीं है लेकिन यह भारतीय टीम काफी संतुलित है और उसके विश्व कप जीतने की संभावना अच्छी हैं।
-1983 में जब भारत ने कपिल देव की कप्तानी में विश्व कप जीता था तब 10 साल के सचिन के दिमाग में क्या चल रहा था ?
-1983 में मैं केवल 10 साल का था। ईमानदारी से कहूं तो तब मुझे क्रिकेट खेलना और देखना दोनों ही बेहद पसंद था लेकिन तब मुझे विश्व कप जीतने की अहमियत के बारे में नहीं पता था। मैं बस खेलता था और खेल का लुत्फ उठाता था। जब भारत ने विश्व कप जीता तो मेरी पूरी कालोनी जश्न मनाने लगी और तब मैं भी उनके बीच कूद गया और जश्न में शामिल हो गया लेकिन मुझे विश्व कप जीतने की अहमियत और उसके मायने के बारे में तब बिलकुल भी पता नहीं था। लेकिन एक 10 साल के लड़के के लिए ऐसा अनुभव करना खास था और वहीं से मेरा क्रिकेट करियर शुरू हुआ।
-आपने भारत के लिए छह विश्व कप खेले। इनमें से कौन सा विश्व कप सबसे मुश्किल रहा?
-मुझे लगता है कि मैंने जितने भी विश्व कप खेले, उनमें हमारे लिए 2007 का विश्व कप सबसे मुश्किल था। व्यक्तिगत तौर पर भी वह बहुत मुश्किल विश्व कप था क्योंकि तब कुछ खराब मुकाबलों के बाद आपके पास वापसी करने के ज्यादा मौके नहीं थे। हम कुछ खराब मुकाबलों की वजह से टूर्नामेंट से पूरी तरह बाहर हो चुके थे। 2019 विश्व कप की खूबी यह है कि यहां कुछ खराब मुकाबलों के बावजूद आपके पास टूर्नामेंट में वापसी करने के मौके होंगे जो कि इस विश्व कप के लिए बहुत अच्छी बात है। 2007 के संस्करण की बात करें तो ओवरऑल हमारा अनुभव अच्छा नहीं रहा था।
-वनडे क्रिकेट के सबसे अनुभवी बल्लेबाज होने के नाते आपको इंग्लैंड में खेलने का अच्छा खासा अनुभव है। ऐसे में वहां आप भारतीय बल्लेबाजों को कैसे खेलने की सलाह देंगे ?
-इंग्लैंड और पाकिस्तान के खिलाफ हालिया सीरीज में इंग्लैंड की विकेट का मिजाज देखकर कहा जा सकता है कि वहां की पिचें बल्लेबाजों के लिए मददगार और सपाट होंगी। मेरा मानना है कि पूरी पारी के दौरान गेंद की कठोरता बनी रहेगी। टीम को मेरा सुझाव यही होगा कि वहां जाकर समान्य क्रिकेट खेलें। मुझे नहीं लगता कि सीम वाली पिच वहां देखने को मिलेगी। अगर वहां बादल नहीं आते हैं तो पिच बल्लेबाजी के लिए अच्छी होगी। ऐसे में मेरा मानना है कि भारतीय बल्लेबाजों को समझदारी से खेलना होगा। जब मैदान के ऊपर बादल आएं, जिसकी वजह से पिच पर थोड़ी नमी आ सकती है तो उन्हें संभलकर खेलना चाहिए और सही समय का इंतजार करना चाहिए। अगर बादल नहीं हैं तो फिर आपको ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है और भारतीय पिचों की तरह जाकर खेलने की जरूरत है। परिस्थितियों का आकलन करें और एक बार सेट हो जाने के बाद आप अपना समान्य क्रिकेट खेलें।
-माना जाता है कि 2003 के विश्व कप फाइनल में कमजोर गेंदबाजी की वजह से हमें शिकस्त मिली थी लेकिन अब भारत के पास गेंदबाजों की अच्छी यूनिट है। आप भारत की मौजूदा गेंदबाजी को लेकर क्या कहेंगे ?
-मैं इससे इत्तेफाक नहीं रखता कि 2003 में हमारी गेंदबाजी कमजोर थी। हमारे पास अच्छे गेंदबाज थे। जवागल श्रीनाथ, जहीर खान, आशीष नेहरा, अनिल कुंबले और हरभजन सिंह को किसी भी लिहाज से कमजोर गेंदबाजों की श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता है। भारत भी दुनिया की दूसरी अच्छी गेंदबाजी टीमों में से एक था। 2003 के फाइनल में हम आत्मविश्वास से भरकर मैदान में उतरे थे लेकिन स्वीकार करना होगा कि ऑस्ट्रेलिया ने उस दिन बेहतरीन क्रिकेट खेली। फाइनल में शायद हमने भी अच्छा स्कोर बनाया था। अगर भारतीय टीम के गेंदबाजी के मौजूदा हालात की बात करें तो हमारे पास बहुत अच्छे गेंदबाजों की यूनिट है। हमारे पास तीनों तेज गेंदबाज अलग-अलग तरह की शैली वाले हैं। बुमराह का गेंदबाजी एक्शन थोड़ा अजीब है और उनके पास कई तरह की विविधताएं हैं। वह धीमी गेंद और सटीक यॉर्कर फेंकते हैं और साथ ही तेज बाउंसर भी डालते हैं। मुहम्मद शमी भी उम्मीद से बढ़कर आपके लिए प्रदर्शन करते हैं। वह पिच को जोर से हिट करते हैं जिससे उन्हें अच्छी आकार मिलती है और वह उन्हें आत्मविश्वास देता है। वहीं भुवनेश्वर की बात करें तो वह गेंद को बेहद खुबसूरती के साथ स्विंग कराते हैं। उनका अपनी गेंदबाजी पर बहुत अच्छा नियंत्रण है। वह गेंद को अंदर लाने के साथ-साथ बाहर भी निकालते हैं। हार्दिक और विजय शंकर इन तीनों प्रमुख तेज गेंदबाजों के लिए सहायक की भूमिका निभा सकते हैं। वहीं अगर आप स्पिनरों की बात करें तो हमारे पास कुलदीप यादव और युजवेंद्रा सिंह चहल के रूप में कलाई के दो अच्छे स्पिनर हैं और टीम में रवींद्र जडेजा के रूप में एक बायें हाथ के स्पिनर भी हैं। कुल मिलाकर मैं भारत की गेंदबाजी आक्रमण से खुश और संतुष्ट हूं। हालांकि मैं 2019 और 2003 की विश्व कप में भारतीय टीमों की गेंदबाजी यूनिट की तुलना नहीं करना चाहूंगा क्योंकि ये दोनों अलग-अलग दौर की टीमें हैं। मुझे लगता है कि हर दौर की टीम का उसके योगदान के लिए आदर किया जाना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे गेंदबाजों की बदौलत ही हम 2003 के विश्व कप फाइनल में पहुंचे थे।
-विराट और धौनी की जोड़ी के बारे में आपके क्या विचार है ?
-मुझे लगता है कि विराट और धौनी का संयोजन बहुत शानदार है। खासतौर से इसलिए क्योंकि धौनी विकेटों के पीछे खड़े होते हैं। मेरा मानना है कि जो विकेट के पीछे खड़ा होता है उसे मैच के बारे में सबसे ज्यादा अच्छे से पता चलता है। मुझे लगता है कि आप वहां से देख सकते हैं कि बल्लेबाज किस क्षेत्र में ज्यादा आक्रमण कर रहे हैं। ऐसे में आप जाकर कप्तान के सामने अपना नजरिया रख सकते हैं और मुझे लगता है कि वह सलाह मददगार साबित होती है। धौनी खुद लंबे समय से क्रिकेट खेल रहे हैं जो यह अच्छे से समझते हैं कि कब और कितनी सलाह देनी है। मुझे लगता है कि यह संतुलन भी बहुत अहम है। यही वजह है विराट और धौनी की जोड़ी विश्व कप में भारत की सफलता के लिए अहम साबित हो सकती है। इन दोनों का योगदान भारत के लिए काफी अहम होगा।
-आपके हिसाब से सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चार टीमें कौन होंगी?
-मुझे लगता है कि भारत तो पहुंचेगी ही। इसके अलावा इंग्लैंड की टीम काफी अच्छी है। उसे मेजबान होने का भी फायदा मिलेगा। प्रशंसक भी उनका सपोर्ट करेंगे। ऑस्ट्रेलिया ने अच्छी वापसी की है और ये टीम विश्व कप में एक अलग टीम नजर आती है। इसके अलावा न्यूजीलैंड और पाकिस्तान में से कोई एक टीम सेमीफाइनल में पहुंच सकती है।
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