जब भारत ने पहली बार अंग्रेजों को उन्हीं के घर में किया पराजित, टूटा था 54 साल का सिलसिला

भारतीय टीम ने आज ही के दिन अंग्रेजों का घमंड़ तोड़ा था क्योंकि 1986 में 10 जून को भारत ने पहली बार इंग्लैंड को उसी के घर में टेस्ट मैच में मात दी थी। हालांकि इससे पहले भारतीय टीम एकदिवसीय वर्ल्ड कप इंग्लैंड में जीत चुकी थी।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 09:18 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 09:18 AM (IST)
जब भारत ने पहली बार अंग्रेजों को उन्हीं के घर में किया पराजित, टूटा था 54 साल का सिलसिला
कपिल देव 1986 में भारत के कप्तान थे (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जेएनएन। लगभग 200 साल तक भारत पर अंग्रेजों ने राज किया। ऐसा ही कुछ क्रिकेट की दुनिया में भी देखने को मिला जब भारत को इंग्लैंड की सरजमीं पर अपना पहला टेस्ट मैच जीतने में एक या दो साल नहीं, बल्कि पांच दशक से ज्यादा का समय लगा। हालांकि, आज ही के दिन साल 1986 में 10 जून को भारतीय टीम ने वो कर दिखाया, जिसका इंतजार भारतीय क्रिकेट फैंस करीब आधी सदी से करते आ रहे थे।

दरअसल, भारत और इंग्लैंड के बीच साल 1932 में टेस्ट क्रिकेट का सिलसिला शुरू हुआ था। 1932 से 1947 तक अखंड भारत की टीम थी, जबकि साल 1947 के बाद भारत आजाद हो गया और एक अलग टीम बन गई। साल 1932 में भारतीय टीम ने पहली बार इंग्लैंड का दौरा किया था, जहां टीम को एक टेस्ट मैच की सीरीज में हार मिली थी। इसी हार का सिलसिला एक दो साल नहीं, एक दो दशक नहीं, बल्कि 54 साल तक चला।

भारतीय टीम ने आज से ठीक 35 साल पहले अंग्रेजों का घमड़ तोड़ा था। कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम ने न सिर्फ इंग्लैंड की टीम को उसी के घर में टेस्ट मैच में हराया, बल्कि साल 1986 में हुई इस सीरीज में भारत ने जीत भी हासिल की थी। 1932 से 1986 तक भारत ने इंग्लैंड की सरजमीं पर 32 टेस्ट मैच खेल लिए थे, जिनमें टीम 11 मैचों को ड्रॉ कराने में सफल रही, लेकिन 21 टेस्ट मैच हारने के बाद जीत का सूखा समाप्त हो सका।

10 जून 1986 को कपिल देव की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड को तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले मुकाबले में 5 विकेट से हराया था। इस तीन मैचों की सीरीज के दो मुकाबले भारत ने जीते थे और सीरीज 2-0 से अपने नाम की थी। इस तरह इस सीरीज को ऐतिहासिक सीरीज का दर्जा प्राप्त है, क्योंकि इंग्लैंड की धरती पर भारतीय टीम की ये पहली टेस्ट सीरीज जीत थी, जो आज भी पूर्व खिलाड़ियों के जहन में जिंदा है।

इस मुकाबले की बात करें तो भारतीय टीम के तत्कालीन कप्तान कपिल देव ने टॉस जीतकर गेंदबाजी चुनी थी और इंग्लैंड की पहली पारी को 294 रन पर रोक दिया था। इस पारी में ग्राहम गूच ने 114 रन की पारी खेली थी। वहीं, डेरेक प्रिंगल 63 रन बनाकर आउट हुए थे। भारत की तरफ से पांच विकेट चेतन शर्मा ने लिए थे और तीन सफलताएं रोजर बिन्नी को मिली थीं। एक विकेट कप्तान कपिल देव को भी मिला था।

वहीं, भारत ने अपनी पहली पारी में 341 रन बनाए और 47 रन की बढ़त हासिल की। भारत की तरफ से दिलीप वेंगसरकर ने 126 और मोहिंदर अमरनाथ ने 69 रन की पारी खेली थी। इंग्लैंड के लिए ग्राहम डिली ने 4 और डेरेक प्रिंगल को 3 विकेट मिले थे। इसके बाद इंग्लैंड की टीम अपनी दूसरी पारी में 180 रन बनाकर ढेर हो गई। कप्तान कपिल देव (4 विकेट) और मनिंदर सिंह (3 विकेट) ने किसी भी अंग्रेज को टिकने नहीं दिया।

इस तरह भारत को इंग्लैंड की सरजमीं पर अपना पहला टेस्ट जीतने के लिए 134 रन का लक्ष्य मिला, जिसे भारत ने 5 विकेट रहते हासिल कर लिया। भारत के लिए दूसरी पारी में सबसे ज्यादा 33 रन दिलीप वेंगसरकर ने ही बनाए। कपिल देव 23 और रवि शास्त्री 20 रन बनाकर नाबाद रहे थे। इंग्लैंड के लिए ग्राहम डिली ने दो विकेट जरूर चटकाए, लेकिन वो भारत की इंग्लैंड में पहली जीत को रोक नहीं पाए और टीम इंडिया ने इतिहास रच दिया था।

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