अक्षर पटेल के जयसूर्या से वसीम भाई बनने की कहानी, अब बन चुके हैं भारतीय टीम के सुपरस्टार
भारतीय टीम में पहली बार टेस्ट क्रिकेट के लिए अक्षर पटेल को चुना गया था। उस समय उनको भी नहीं लग रहा था कि वे प्लेइंग इलेवन में शामिल भी होंगे क्योंकि कई बेहतरीन गेंदबाज टीम का हिस्सा थे।
अभिषेक त्रिपाठी, अहमदाबाद। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण के आठ साल बाद टेस्ट क्रिकेट में खेलने का मौका पाने वाले 28 वर्षीय अक्षर पटेल ने शुरुआती दो टेस्ट मैचों की तीन पारियों में पांच या उससे ज्यादा विकेट लेकर बता दिया है कि उनकी काबिलियत को काफी देर से परखा गया। उन्होंने चेन्नई में अपने पहले टेस्ट मैच में सात और अहमदाबाद में अपने घरेलू मैदान नरेंद्र मोदी स्टेडियम में 11 विकेट झटके हैं। इस समय दुनिया को बायें हाथ के आर्थोडॉक्स स्पिनर का जलवा देखने को मिल रहा है, लेकिन कभी यह खिलाड़ी सनत जयसूर्या की तरह बल्लेबाजी करता था। उन्होंने इसकी झलक पिछले साल दिल्ली कैपिटल्स के लिए आइपीएल में कुछ छोटी पारियां खेलकर दिखाई भी थी।
अक्षर पटल ने पिछले दो टेस्ट मैचों में जिस तरह गेंदबाजी की है उससे वह अपने ही प्रदेश के सौराष्ट्र इलाके से आने वाले ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा के लिए खतरा बन गए हैं। जडेजा अभी चोटिल होने के कारण टीम से बाहर हैं। उनके वापस आते ही भारतीय कप्तान विराट कोहली के सामने एक और समस्या खड़ी हो जाएगी कि अंतिम-11 में किसका चुनाव किया जाए। रवींद्र जडेजा जब वापसी करेंगे तब उनकी बात कर लेंगे, फिलहाल बात करते हैं अक्षर की।
अहमदाबाद से 60 किलोमीटर दूर नादियाड़ में एक छोटे से बंगले 'राजकिरण' में अक्षर पटेल अपने परिवार के साथ रहते हैं। बाकी क्रिकेटरों की तरह अक्षर भी अपने क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। उनके घर तक पहुंचने के लिए आपको गूगल मैप का सहारा लेने की जरूरत नहीं। नादियाड़ पहुंचते ही आपको कोई भी उनके घर तक छोड़ देगा। हालांकि, वह इस समय अहमदाबाद में होने के बावजूद अपने घर नहीं जा सकते, क्योंकि टीम इंडिया बायो-बबल (खिलाड़ियों के लिए बनाए गए सुरक्षित माहौल) में हैं और कोई भी खिलाड़ी इसको तोड़कर बाहर नहीं निकल सकता। अहमदाबाद में ही चार मार्च से इंग्लैंड के खिलाफ चौथा टेस्ट होना है और उसमें भी अक्षर का रविचंद्रन अश्विन के साथ मैदान में उतरना तय है।
आजकल विकेट के पीछे कीपिंग से ज्यादा शोर मचाने के लिए प्रसिद्ध हो रहे भारतीय विकेटकीपर रिषभ पंत चेन्नई में अक्षर को बोल रहे थे 'जयसूर्या लेफ्ट में जा' तो अहमदाबाद में तीसरे टेस्ट में अक्षर जब गेंदबाजी कर रहे थे तो पंत वसीम भाई, वसीम भाई चिल्ला रहे थे। स्टंप में लगे माइक से यह बात साफ सुनाई दे रही थी। दूसरे टेस्ट के बाद जब अक्षर से वसीम भाई (वसीम अकरम) के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं तेजी से आर्म गेंद फेंकता हूं, इसलिए मुझे पंत वसीम भाई कहता है। वह गेंद बहुत तेजी से निकलती है।
पटेल ने बताया कि सबसे पहले अजिंक्य रहाणे ने मुझे यह कहना शुरू किया, जिसे अब पंत ने पकड़ लिया है। पंत के वसीम भाई बोलने का पर्दाफाश तो अक्षर ने कर दिया, लेकिन जयसूर्या का राज उनके पिता ने खोला। अक्षर के पिता राजेश भाई ने बताया कि जब अक्षर 12 साल के थे तो उनके सामने खेल या पढ़ाई में से एक को चुनने का विकल्प था, उन्होंने खेल को चुना। अगले दिन ही मैं उसे खेड़ा में एक क्रिकेट अकादमी ले गया, जिसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह स्पिन गेंदबाजी करता था और बल्लेबाजी करता था। वह टेनिस बॉल से जयसूर्या की तरह बहुत करारे शॉट मारता था। उसके कारण दोस्तों ने उसका नाम 'नादियाड़ का जयसूर्या' रख दिया। सब चाहते थे कि वह लोकल टीम से टेनिस बॉल क्रिकेट खेले, लेकिन पहले जिला और बाद में गुजरात के जूनियर क्रिकेट में चुने जाने के कारण उसने टेनिस बॉल क्रिकेट को छोड़ दिया।
हालांकि, अक्षर इन दो टेस्ट मैचों में सिर्फ सात रन ही बना पाए हैं और जब डे-नाइट टेस्ट खत्म होने के बाद कमेंट्रेटर मुरली कार्तिक ने उनसे पूछा कि टीम वाले आपकी बल्लेबाजी का मजाक तो नहीं बना रहे तो उन्होंने कहा था कि अभी विकेट मिल रहे हैं, इसलिए कोई मजाक नहीं बना रहा है। हालांकि, अक्षर ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 15 जून 2014 को ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ ही खेल लिया था और इसके एक साल बाद उन्हें हरारे में जिंबाब्वे के खिलाफ पहला अंतरराष्ट्रीय टी-20 खेलने को भी मिल गया।
38 वनडे और 11 टी-20 खेलने के बाद 2018 में उनके अंतरराष्ट्रीय करियर में ब्रेक लग गया। इस टेस्ट सीरीज से पहले उन्होंने 24 फरवरी 2018 को केपटाउन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आखिरी टी-20 खेला था। इसके बाद उनके अंतरराष्ट्रीय करियर में ब्रेक लग गया। आइपीएल और घरेलू क्रिकेट में दमदार प्रदर्शन के बाद उनकी इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में वापसी हुई और भारतीय कप्तान विराट कोहली ने चाइनामैन कुलदीप यादव की जगह उन पर विश्वास किया। अक्षर उस विश्वास पर खरे भी उतरे।
नादियाड़ में ही टेनिस बॉल क्रिकेट खेलने वाले अक्षर के साथी जिग्नेश ने कहा कि आज हम लोग उसकी गेंदबाजी देखकर खुश होते हैं, लेकिन शुरू में तो वह बल्लेबाज था। वह क्या कड़क शॉट मारता था। वह तो अंडर-19 के समय राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में जाकर स्पिनर बना। तब उसे पता चला कि वह यह भी कर सकता है। आज भी उसकी गेंदबाजी में स्पिन से ज्यादा दिमाग का खेल है। वह इतनी तेज आर्म गेंद फेंकता है कि बल्लेबाज भ्रमित हो जाता है।
मम्मी नहीं चाहती थीं क्रिकेटर बनाना
जहां एक ओर पिता जी अक्षर को क्रिकेट अकादमी लेकर गए और पूरा मोहल्ला उनके छक्कों पर सीटी बजाता था वहीं अक्षर की मम्मी प्रीति बेन पटेल नहीं चाहती थीं कि उनका लड़का क्रिकेट खेले। उन्होंने कहा कि मैं ही नहीं, उसकी दादी भी चाहती थीं कि वह क्रिकेट नहीं खेले। वह उस समय बहुत छोटा था, लेकिन उसकी जिद के आगे हमें झुकना पड़ा। अच्छा हुआ हमने उसकी बात मान ली। आज उसने हमारा ही नहीं, नादियाड़, गुजरात और पूरे भारत का सिर ऊंचा कर दिया है।