क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा कैसे बने शांत और निडर, उनके पिता ने किए कई खुलासे

Ind vs Aus भारतीय टीम की नई दीवार कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा कैसे इतने शांत और निडर हैं? इसका खुलासा हो गया है। उनकी मां ने उनको दिमागी संतुलन ठीक रखने की सलाह दी थी जो उनके काम आ रही है।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 07:34 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 01:22 PM (IST)
क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा कैसे बने शांत और निडर, उनके पिता ने किए कई खुलासे
चेतेश्वर पुजारा ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को जमकर थकाया था। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहुंची भारतीय टीम की योजना थी कि उसे एक और टेस्ट सीरीज जीतकर वापस जाना है, जबकि कंगारुओं की योजना थी कि किसी भी तरह उन्हें चेतेश्वर पुजारा को रोकना है। यही कारण था कि मिशेल स्टार्क, जोश हेजलवुड और पैट कमिंस सिर्फ पुजारा के शरीर को निशाना बना रहे थे। पूरी सीरीज, खासकर चौथे टेस्ट की दूसरी पारी में पुजारा ने हेलमेट, छाती, बांह, अंगुली और जांघों में गेंदें झेलीं, लेकिन वह डिगे नहीं।

सीरीज के दूसरे मुकाबले से ही पुजारा की धीमी बल्लेबाजी की आलोचना होने लगी, लेकिन न वह आलोचकों के सामने डिगे और न ही ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज उन्हें तोड़ पाए। उन्होंने चौथे टेस्ट की दूसरी पारी में 211 गेंद पर 56 रन रन बनाकर अपने करियर का सबसे धीमा अर्धशतक पूरा किया। उन्होंने इसी सीरीज में अपने सबसे धीमे अर्धशतक का रिकॉर्ड तोड़ा। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज उन्हें तोड़ने की कोशिश कर रहे थे और वह विपक्षी आक्रमण को थकाने में जुटे थे।

पुजारा ने चार टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा 928 गेंदें यानी 154.4 ओवर खेले। उन्होंने 274 रनों का योगदान भी दिया। अच्छी बात यह रही कि भारतीय टीम यह ऐतिहासिक सीरीज जीती और उनकी इन उपयोगी पारियों का मूल्य क्रिकेट को जीने वालों के साथ इस खेल के जानने वालों को भी पता चला गया। इसके साथ ही पता चल गया कि उन पर चाहे जितने हमले हों वह दिमागी संतुलन नहीं खोते। इसी ने उन्हें शांत होने के साथ निडर भी बनाया है।

चेतेश्वर के पिता और बचपन के कोच अरविंद शिवलाल पुजारा ने दैनिक जागरण से कहा कि हर एक इंसान की जिंदगी अलग-अलग होती है। बचपन से लेकर जब तक वह बड़ा होता है तो सबका व्यक्तित्व अलग-अलग होता है। व्यक्तित्व का ही असर आपके खेल पर भी पड़ता है। जब वह 18 साल का था तो उसकी मम्मी का देहांत हो गया था। उसके पैर में दो बार चोट लगी। एचसीएल उसका टूट गया। चोट ऐसी थी कि एक बार ऑपरेशन होने के बाद वह एक साल तक खेल नहीं सकता था।

मुझे भी एक बार हार्ट अटैक आ गया। तो उसमें कुछ अगर आप सीख सकते हैं, तो सीखते हैं। हालांकि, चेतेश्वर शुरू से शांत और अनुशासित बच्चा था। थोड़ा बहुत तो उम्र के हिसाब से बदलाव होता है। उसकी मम्मी ने उसे एक बहुत बड़ी बात सिखाई थी कि दिमागी संतुलन ठीक रखना। जो आदमी अपना दिमाग किसी भी परिस्थिति में संतुलित रख पाता है वह किसी भी क्षेत्र में वह काम कर सकता है जो वह करना चाहता है। ये उसकी मम्मी ने उसे सिखाया था, यह कोई विश्वविद्यालय भी नहीं सिखा सकता।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली विजय को लेकर उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक है। ऐसी जीत लंबे समय बात आती है। 20-25 साल में ऐसा कोई मैच होता है। यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं वैश्विक क्रिकेट के लिए भी बड़ा मैच है।

बचपन से लंबी पारी खेलने का शौक

सौराष्ट्र के लिए छह प्रथम श्रेणी मैच खेल चुके अरविंद ने कहा कि ऐसा नहीं है कि वह अभी ऐसा खेलने लगा। वह बचपन से ही लंबी पारी खेलता था। जब वह 13 साल का था तो उसने 306 रन बनाए थे। वह उस समय रिकॉर्ड था। बड़ौदा के मोती बाग पैलेस में हुए अंडर-14 टूर्नामेंट में वह लगातार तीन दिन तक मैदान में रहा था। उसने बल्लेबाजी की और लगातार क्षेत्ररक्षण किया। उस मैच की विशेषता था कि जितनी देर अंपायर मैदान में रहते हैं उतनी ही देर वह भी मैदान पर रहा। वह शुरू से ही टिककर बल्लेबाजी करना चाहता था।

आलोचकों का नजरिया अलग

चेतेश्वर के पिता ने धीमी बल्लेबाजी की आलोचना होने पर कहा कि जब कोई खेल रहा होता है तो एक को अच्छा लगेगा तो दूसरे को खराब। यह सब व्यक्तिगत बात होती है। जब किसी को लगता है कि पुजारा धीमी बल्लेबाजी कर रहा है तो यह उस व्यक्ति की सोच है। चेतेश्वर को देखने का नजरिया अलग-अलग है। सबसे ज्यादा मुश्किलें बल्लेबाज को होती हैं। आप कितना भी अभ्यास करो या मेहनत करो, एक गेंद आपने मिस की तो आपको दूसरा नहीं मिलेगा। अगर आप गेंदबाज हैं तो आपको विकेट लेने का दूसरा मौका मिलेगा।

अगर आप एक मैच में दूसरे या तीसरे गेंद में आउट हो गए तो आपके लिए जगह नहीं है। वह मैच आपके लिए पूरा गया। आपको ऊपर जाना है तो गलतियों से सीखना होगा। रन करने की बात बाद में आएगी। जब आप विकेट पर ही नहीं रहेंगे तो फिर कोई फायदा नहीं है। बल्लेबाजी को लेकर आपस में चर्चा होने पर अरविंद ने कहा कि हम हालात के हिसाब से बात करते हैं। कभी वह पूछ लेता है तो कभी मैं टेलीविजन पर देखकर बता देता हूं कि उसने कहां गलती की।

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