पिच का मायाजाल, टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में 22 बार दो दिन में खत्म हुए हैं मुकाबले

दुनिया के सबसे बड़े नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में भारत और इंग्लैंड के बीच डे-नाइट टेस्ट भले ही दो दिन में खत्म हो गया हो लेकिन पूरे विश्व में चाय पर चर्चा के लिए मशहूर हुआ गुजरात अब पिच पर चर्चा का केंद्र बन गया है।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 07:48 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 07:48 PM (IST)
पिच का मायाजाल, टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में 22 बार दो दिन में खत्म हुए हैं मुकाबले
मोटेरा में खेला गया डे-नाइट टेस्ट मैच सिर्फ दो दिनों तक चला (एपी फोटो)

अभिषेक त्रिपाठी, अहमदाबाद। ये दर्शकों के साथ धोखा है या बल्लेबाजों की घटिया तकनीक.. यह पिच की खराबी है, या स्पिन का भ्रमजाल.. यह स्किड करती गुलाबी गेंद है, या सीधी गेंदों पर उड़ते विकेट.. दुनिया के सबसे बड़े नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में भारत और इंग्लैंड के बीच डे-नाइट टेस्ट भले ही दो दिन में खत्म हो गया हो, लेकिन पूरे विश्व में 'चाय पर चर्चा' के लिए मशहूर हुआ गुजरात अब 'पिच पर चर्चा' का केंद्र बन गया है। हालांकि इतना तय है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) और गुजरात क्रिकेट संघ चार मार्च से शुरू होने वाले सीरीज के चौथे व आखिरी टेस्ट मैच में पिच को लेकर और सावधानी बरतेगा। बीसीसीआइ यह सुनिश्चित करेगा कि आखिरी टेस्ट कम से कम तीन या चार दिन चले।

भारत ने गुरुवार को इंग्लैंड के खिलाफ खत्म हुआ तीसरा टेस्ट मैच दूसरे ही दिन 10 विकेट से जीत लिया था। भारतीय टीम ने चौथी पारी में जीत के लिए जरूरी 49 रन बनाकर मैच अपने नाम किया और सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली। यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहला टेस्ट मैच है जो इतने कम गेंदों में हुआ। मैच में 140.2 ओवर फेंके गए। इस मैच में गिरने वाले 30 में से 28 विकेट स्पिनरों ने हासिल किए। इंग्लैंड पहली पारी में 112 और दूसरी पारी में 81 रन ही बना पाया। भारत ने पहली पारी में 145 रन बनाए, जिसके बाद मेजबानों ने 49 रन के लक्ष्य को 7.4 ओवर में हासिल कर लिया।

ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है कि कोई टेस्ट मैच दो दिन में खत्म हुआ है। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में यह 22 बार हो चुका है। हालांकि इस बार क्रिकेट जगत बंटा हुआ है। कुछ लोग इसे टेस्ट क्रिकेट का गलत प्रचार बता रहे हैं तो कुछ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) से इस ओर कदम उठाने के लिए गुहार लगा रहे हैं। हालांकि अपेक्षा के विपरीत इस बार पूर्व इंग्लिश खिलाडि़यों और इंग्लिश मीडिया ने भी मिला-जुला रुख अपनाया है।

पहले बात करते हैं विरोध में राय देने वालों की। इंग्लिश कमेंट्रेटर डेविड लॉयड का मानना है कि जब मैच इस तरह की लॉटरी हो तो सही मायनों में मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन जीत रहा है। यह कोई मुकाबला नहीं था। हां, तकनीक खराब रही है, लेकिन अगर यह पिच आइसीसी को स्वीकार्य है तो ऐसा और होगा। इसका विश्व टेस्ट क्रिकेट पर काफी गहरा असर होगा। बोर्ड, खास तौर इंग्लैंड में, काफी कमाई इस बात से होती है कि मैच कितना लंबा चलता है। छोटे टेस्ट मैचों से आर्थिक तौर पर काफी नुकसान होता है।

पहले दिन मैंने इस पिच को बेनेफिट ऑफ डाउट दिया, लेकिन माफी चाहता हूं यह पिछली पिच जैसी ही खराब थी। ऐसे में एक बार फिर सवाल आइसीसी से पूछा जाना चाहिए। क्या आप खेल को ऐसे चलते हुए देखना चाहते हैं? टेस्ट मैच समय से इतना पहले खत्म हो जाए। यह मैच तो दो दिन भी नहीं चला? मैं आइसीसी से जवाब मांगता हूं, लेकिन मुझे वहां से कोई जवाब नहीं मिलेगा।

हालांकि बुधवार को मैच खत्म होने के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा था कि पिच बल्लेबाजी के लिए काफी अच्छी थी। दोनों टीमों के बल्लेबाजों ने खराब प्रदर्शन किया। उन्होंने यह भी कहा था कि 30 में से 21 विकेट सीधी गेंद पर गिरे। वह यह बताना चाह रहे थे कि बल्लेबाज खासतौर पर इंग्लिश बल्लेबाज स्पिन के भ्रमजाल में फंस गए। वह स्पिन के हिसाब से बल्ला और पैर मूव कर रहे थे, जबकि सीधी गेंद उनका स्टंप ले उड़ रही थीं या उनके पैड में लगकर पगबाधा कर रही थीं। जब विराट दक्षिण अफ्रीका में केपटाउन में हरी पिच पर और ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में डे-नाइट टेस्ट में हारे थे तो उन्होंने पिच की बुराई नहीं की थी। भारतीय कोच रवि शास्त्री और विराट का यह पिछले कई सालों से स्टैंड रहा है कि हम विदेश में जैसी पिच मिलेंगे उसमें खेलेंगे। विदेशी टीम हमारे यहां आएं और हमारी परिस्थितियों के हिसाब से खेलें।

विराट ही नहीं, यह पूरी भारतीय टीम की राय बन गई है। तीसरे टेस्ट में भारत की तरफ से एकमात्र अर्धशतक जमाने वाले बल्लेबाज रोहित शर्मा ने भी कहा कि जब आप ऐसी पिच पर खेलते हो तो आपके अंदर इरादा होना चाहिए। आपको रन बनाने की कोशिश भी करनी चाहिए। आप सिर्फ ब्लॉक नहीं कर सकते। जैसा कि आपने देखा कि कोई-कोई गेंद टर्न भी ले रही थी और जब आप टर्न के लिए खेलते तो कोई गेंद स्टंप की ओर फिसल भी रही थी। अक्षर की स्टंप पर गेंद डालने की रणनीति कारगर साबित हुई।

अक्षर ने कमाल की गेंदबाजी की। अचानक से टीम में आकर इस तरह से प्रदर्शन करना आसान नहीं होता। वह चोटिल था, लेकिन चेन्नई में उसने वापसी करके उम्दा प्रदर्शन किया। यहां उसने सीधे स्टंप पर गेंद डाली, जिसे खेल पाना बल्लेबाजों के लिए आसान नहीं था। चेन्नई में हुए दूसरे टेस्ट में गेंद यहां से ज्यादा टर्न ले रही थी। वह पिच अधिक चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन अश्विन ने शतक जमाया और विराट ने भी अर्धशतक बनाया, इसलिए अपने बेसिक्स पर डटे रहकर आप रन बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि गुलाबी गेंद को खेलने के लिए बल्लेबाजों को काम करना होगा। डे-नाइट टेस्ट में ज्यादातर बल्लेबाज सीधी गेंद पर आउट हुए।

हालांकि इंग्लिश कप्तान जो रूट ने खुलकर इस पिच का विरोध नहीं किया, लेकिन उनका मानना है कि जो दर्शक इस मैच को देखने आए थे, उनके साथ धोखा हुआ और वे खुद को लुटा हुआ महसूस कर रहे होंगे। रूट ने गुरुवार को मैच खत्म होने के बाद कहा था कि यह शर्म की बात है क्योंकि यह एक शानदार स्टेडियम है और हजारों लोग इस उम्मीद से आए थे कि एक बेहतरीन और यादगार मैच देखने को मिलेगा। मुझे लगता है कि उनके साथ धोखा हुआ।

क्या कहते हैं आइसीसी के नियम

आइसीसी के अनुसार खराब पिच एक ऐसा ट्रैक होता है जहां गेंद और बल्ले के बीच संतुलित मुकाबला नहीं हो। अगर पिच बल्लेबाजों के ज्यादा मुफीद हो और गेंदबाजों को जरा भी मदद नहीं मिल रही हो, या फिर पिच में ज्यादा स्पिन या सीम हो और बल्लेबाजों को रन बनाने का मौका ना मिल रहा हो तो उसे खराब पिच कहा जाता है। अगर पिच में स्पिनरों को बहुत ज्यादा मदद मिल रही हो तो वो भी खराब पिच की श्रेणी में आती है। भारतीय उपमहाद्वीप में पहले दिन कुछ डिग्री तक गेंद घूमना गलत नहीं है, लेकिन उसके साथ असमान उछाल नामंजूर है।

आइसीसी द्वारा खराब पिच घोषित होने पर स्टेडियम पर दो साल तक का बैन लग सकता है। अगर कोई स्टेडियम पांच डीमेरिट अंक तक पहुंचता है तो आइसीसी उसकी मान्यता एक साल तक बैन करती है। वहीं 10 डीमेरिट अंकों पर दो साल तक उस स्टेडियम में मैच नहीं हो सकता।

इन पिचों को बताया गया खराब

साल 2018 में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच जोहानिसबर्ग टेस्ट मैच की पिच को खराब श्रेणी में रखा गया था। खेल के तीसरे दिन असमान उछाल की वजह से इस पिच पर सवाल खड़े हुए थे और खेल को रोकना तक पड़ा था। साल 2017 में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच पुणे टेस्ट में इस्तेमाल हुई पिच को भी खराब करार दिया गया था, जबकि उसपर स्टीव स्मिथ ने शतक भी लगाया था और तेज गेंदबाज उमेश यादव ने चार विकेट भी झटके थे। अब अगर अहमदाबाद टेस्ट की बात करें तो यहां तेज गेंदबाजों को 30 में दो विकेट मिले। 28 विकेट स्पिनरों ने लिए। 17 विकेट तो एक ही दिन में गिर गए।

पिच को लेकर क्रिकेटरों की राय

अगर इंग्लैंड ने यह टेस्ट मैच जीत लिया होता तो हम यहां बैठकर बात नहीं कर रहे होते। इस विकेट के बारे में कुछ भी खतरनाक नहीं था। अगर विकेट खतरनाक है, तो तब आइसीसी अंक घटाने का फैसला कर सकती है। हां, इस टेस्ट मैच में निश्चित रूप से बल्ले पर गेंद की जीत हुई और यह एकतरफा रहा। आप भारतीय उप-महाद्वीप में हैं। जब आप पर्थ जाते हैं, तो वहां क्या होता है?

-केविन पीटरसन, पूर्व इंग्लिश कप्तान

--------------------

पिच को लेकर काफी बात हो रही है, लेकिन बॉटम लाइन यह है कि महत्वपूर्ण टॉस जीतने के बाद इंग्लैंड का स्कोर एक समय 73/2 था। उसके बाद वह मैच हार गया। इंग्लैंड सिर्फ पिच का बहाना नहीं दे सकता।

-नासिर हुसैन, पूर्व इंग्लिश कप्तान

------------------

ऐसा किसी नियम में नहीं लिखा है कि किस तरह की पिच बनानी चाहिए। पिच पर टॉस जीतकर पहले खेलने का विकल्प हमें मिला, फिर भी वे जीत गए।

-सर ज्यौफ्री बॉयकॉट, पूर्व इंग्लिश कप्तान

-------------------

मुझे लगता है कि पिच चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन ऐसी भी नहीं थी कि इसमें खेला नहीं जा सके। इंग्लैंड पहली पारी में 112 रनों से ज्यादा बना सकता था। इससे उन्हें फायदा मिलता।

माइक अथर्टन, पूर्व इंग्लिश कप्तान

-------------------

मुझे नहीं पता कि दो दिन में खत्म हुआ मैच टेस्ट क्रिकेट के लिए अच्छा है या नहीं। अगर अनिल कुंबले और हरभजन सिंह इस तरह की पिच पर गेंदबाजी करते तो वह 1000 और 800 विकेट ले चुके होते?

-युवराज सिंह, पूर्व भारतीय ऑलराउंडर

----------------

मुझे लगता है कि अब चार दिनी टेस्ट एक खराब आइडिया है।

-संजय मांजरेकर, पूर्व भारतीय बल्लेबाज

----------------

पहले दिन मुझे लगा कि अच्छी तकनीक के साथ अहमदाबाद की पिच पर रन बनाए जा सकते हैं, लेकिन दूसरे दिन सब लॉटरी जैसा था।

-एंड्रयू स्ट्रॉस, पूर्व इंग्लिश कप्तान

chat bot
आपका साथी