अजिंक्य रहाणे की सफलता से विराट कोहली पर बढ़ा दबाव, दिग्गज बोले- कप्तान बदलो

Ind vs Aus ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर भारतीय टीम के साथ कप्तान विराट कोहली नहीं थे। उनकी अनुपस्थिति में अजिंक्य रहाणे ने टीम की कप्तानी की और देश को 2-1 से सीरीज जिताई। यहां तक कि पहला मैच भारत ने विराट की कप्तानी में गंवाया था।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 09:26 AM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 10:12 AM (IST)
अजिंक्य रहाणे की सफलता से विराट कोहली पर बढ़ा दबाव, दिग्गज बोले- कप्तान बदलो
अजिंक्य रहाणे टेस्ट मैच नहीं हारे हैं (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, निखिल शर्मा। अजिंक्य रहाणे के अंदर युवा खिलाड़ियों के साथ एक कमजोर भारतीय टीम का नेतृत्व करने की क्षमता है, जिसके दम पर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीती है और अब उनके इस प्रदर्शन से नियमित कप्तान विराट कोहली पर फिर से खुद को कप्तान के रूप में सफल होने का दबाव बढ़ गया है। रहाणे अब तक अपनी कप्तानी में एक भी टेस्ट नहीं हारे हैं। रहाणे ने अब तक पांच टेस्ट में भारतीय टीम की कप्तानी की और चार टेस्ट में जीत दिलाई, जबकि एक टेस्ट ड्रॉ रहा।

भारतीय टीम के नियमित कप्तान विराट कोहली अपने पहले बच्चे के जन्म के लिए पहला टेस्ट खेलने के बाद स्वदेश लौट आए थे। उनके बाद रहाणे ने टीम की कमान संभाली थी और दूसरे टेस्ट में भारत को आठ विकेट से जीत दिलाई थी। इसके बाद सिडनी में मैच ड्रॉ रहा था और ब्रिसबेन में भारत ने तीन विकेट से ऐतिहासिक जीत के साथ सीरीज 2-1 से जीत ली थी। यहां तक कि पहले टेस्ट मैच में विराट कोहली की कप्तानी में भारत को करारी हार का सामना करना पड़ा था, जिसमें भारतीय टीम 36 रन पर ढेर हुई थी।

दिग्गजों ने उठाई मांग

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन हों या फिर पूर्व भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी, रहाणे की कप्तानी से काफी प्रभावित नजर आए हैं। वॉन ने ट्वीट कर कहा था कि भारत रहाणे की कप्तानी में बेहतर प्रदर्शन करेगा। वॉन को लगता है कि रहाणे चतुराई से एक अच्छे कप्तान हैं। वॉन ने ट्वीट कर कहा कि मुझे लगता है कि बीसीसीआइ निश्चित रूप से रहाणे को कप्तानी देने पर विचार करेगा। कोहली केवल एक बल्लेबाज के रूप में भारत को मजबूत बनाएंगे और रहाणे के पास अविश्वसनीय उपस्थिति और रणनीति है। वहीं, बिशन सिंह बेदी ने कहा था कि रहाणे की कप्तानी ने उन्हें पूर्व भारतीय कप्तान मंसूर अली खान पटौदी की याद दिला दी। बेदी ने कहा था कि रहाणे के अंदर गेंदबाजों को सही समय पर बदलने और शांतचित्त रहकर रणनीति बनाने की कारीगरी है।

मुश्किल सफर पर बड़ी सफलता

मुंबई में मुलुंड से आजाद मैदान तक धक्के खाकर ट्रेन से पहुंचने का रहाणे का सफर ही उनके संघर्ष से कठोर बनने की कहानी का गवाह है। चेहरे से शांतचित्त, लेकिन दिमाग से चालाक रहाणे अच्छे से जानते हैं कि उन्हें कौन सा दांव कब खेलना है। 2013 में दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जब वह पहली बार टेस्ट खेलने उतरे थे तो वह सफल नहीं रहे थे, लेकिन उसी साल डरबन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नाबाद 51 और 96 रनों की पारी खेलकर रहाणे ने अपने करियर को रफ्तार दी।

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