सौरव गांगुली का खुलासा, पहली गेंद ना खेलनी पड़े इसके लिए सचिन तेंदुलकर हमेशा तैयार रखते थे दो जवाब

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने कहा कि पारी की शुरुआत करते हुए पहली गेंद से बचने के लिए सचिन तेंदुलकर के पास हमेशा दो जवाब होते थे।

By Viplove KumarEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 05:57 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 05:57 PM (IST)
सौरव गांगुली का खुलासा, पहली गेंद ना खेलनी पड़े इसके लिए सचिन तेंदुलकर हमेशा तैयार रखते थे दो जवाब
सौरव गांगुली का खुलासा, पहली गेंद ना खेलनी पड़े इसके लिए सचिन तेंदुलकर हमेशा तैयार रखते थे दो जवाब

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की जोड़ी बेमिसाल थी। भारतीय पारी की शुरुआत करते हुए सौरव और सचिन की जोड़ी ने कई यादगार पारियां खेली है। टीम इंडिया को इस जोड़ी ने लंबे समय तक शानदार शुरुआत दिलााई है। गांगुली ने अब जाकर इस बात का खुलासा किया है कि सचिन उनको हमेशा पारी की पहली गेंद खेलने के लिए मजबूर किया करते थे। वह पहली गेंद ना खेले इसके लिए हमेशा ही दो जवाब तैयार रखते थे। 

भारतीय टीम को मौजूदा ओपनर मयंक अग्रवाल से बात करते हुए पूर्व कप्तान ने इस बारे में बात की। इस दौरान गांगुली ने याद किया कि किस तरह से दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर उन्हें हमेशा पहली गेंद का सामना करने के लिए मजबूर करते थे क्योंकि उन्हें नॉन स्ट्राइकर बनना पसंद था।

Sachin Paji always forced you to take the strike while opening with you in ODIs? Myth ? Reality ?

Listen to what Dada has to say 😄#DadaOpensWithMayank episode coming up soon on https://t.co/uKFHYe2Bag" rel="nofollow @mayankcricket @SGanguly99 pic.twitter.com/YM0yEatMcE

— BCCI (@BCCI) July 6, 2020

गांगुली से पूछा गया कि जब उनकी और तेंदुलकर की जोड़ी वनडे क्रिकेट की मशहूर सलामी जोड़ी हुआ करती थी तो क्या तब सचिन उन्हें पहली गेंद खेलने के लिए स्ट्राइक लेने के लिए मजबूर करते थे, उन्होंने कहा, वह हमेशा ऐसा करते थे और इसके लिए उनके पास जवाब भी होता था।

गांगुली और तेंदुलकर ने वनडे में 136 पारियों में पारी का आगाज किया जिसमें 6609 रन बनाए जिसमें 21 शतकीय और 23 अर्धशतकीय साझेदारियां शामिल हैं। पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि पहली गेंद से बचने के लिए तेंदुलकर के पास हमेशा दो जवाब होते थे। पहला उनका मानना था कि अगर उनकी फॉर्म अच्छी है तो वह जारी रहनी चाहिए और उन्हें नॉन स्ट्राइकर छोर पर ही खेलना चाहिए। उन्होंने कहा, और अगर उनकी फॉर्म अच्छी नहीं है तो वह कहते, मुझे नॉन स्ट्राइकर छोर पर ही खेलना चाहिए, क्योंकि इससे उन पर से दबाव कम हो जाएगा।

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