IPL 2021: बड़े शाट लगाने के चक्कर में टीम पर दबाव बढ़ा रहे हैं खिलाड़ी- सुनील गावस्कर
टी-20 प्रारूप अनिश्चितताओं से भरा है। ये प्रशंसकों को अपनी सीट से उठने को मजबूर कर देता है और अंगुली के नाखून कुतरने पर भी। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि खुद के लिए प्रशंसनीय शाट खेलने का इरादा टीम को जीत दिलाने की जरूरत पर भारी पड़ जाता है।
पिछले साल के खराब प्रदर्शन को पीछे छोड़ते हुए जोरदार वापसी करने वाली दो टीमें इस साल खिताब के लिए एक-दूसरे के सामने होंगी। दोनों टीमें पहले ट्राफी अपने नाम कर चुकी हैं और जानती हैं कि फाइनल के दबाव से कैसे निपटा जाता है। दोनों टीमों की कमान ऐसे खिलाडि़यों के हाथ में है जो अपनी-अपनी राष्ट्रीय टीमों को आइसीसी विश्व कप जिता चुके हैं। हालांकि इनमें से एक खिलाड़ी यानी महेंद्र सिंह धौनी ऐसे हैं जिन्होंने भारत को सभी खिताब दिलाए हैं। दोनों ही बतौर बल्लेबाज काफी खराब फार्म में हैं। हालांकि उन्होंने ने एक बार विस्फोटक शाट से सजी अपनी दमदार बल्लेबाजी की झलक दिखाते हुए चेन्नई को फाइनल में प्रवेश दिलाया।
टी-20 प्रारूप अनिश्चितताओं से भरा है। ये प्रशंसकों को अपनी सीट से उठने को मजबूर कर देता है और अंगुली के नाखून कुतरने पर भी। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि खुद के लिए प्रशंसनीय शाट खेलने का इरादा टीम को जीत दिलाने की जरूरत पर भारी पड़ जाता है और इससे आसान चीज भी मुश्किल हो जाती हैं। आधुनिक खिलाड़ी इस मामले में खुशकिस्मत हैं कि उन्हें इस ताबड़तोड़ प्रारूप में जवाबदेही के बारे में ज्यादा नहीं सोचना पड़ता। ऐसे में जब काफी ज्यादा गेंदों पर कम रन भी बनाने होते हैं, तब भी खिलाड़ी बड़े शाट लगाकर दो-तीन गेंदों में ही मैच खत्म करने के बारे में सोचते हैं। बल्कि इसकी जगह सिंगल-डबल्स रन लेकर मैच को चतुराई से जीतने के बारे में नहीं सोचते। बड़ा शाट लगाने के चक्कर में आउट होकर खिलाड़ी टीम पर दबाव बढ़ा देते हैं।
ऐसा नहीं है कि इसके शिकार सिर्फ युवा क्रिकेटर ही हो रहे हैं जो अपना पहला या दूसरा ही टूर्नामेंट खेल रहे होते हैं। बल्कि कई दिग्गज भी ऐसा करते हैं जैसा कि हमें दिल्ली के खिलाफ कोलकाता के दिग्गज बल्लेबाजों की ओर से भी देखने को मिला। अब चूंकि कोलकाता की टीम मैच जीतने में सफल रही तो कोई भी उन पर अंगुली नहीं उठाएगा, लेकिन मैच ऐसे ही पड़ावों पर पलट जाते हैं। मैच को खत्म करने की जिम्मेदारी अब बीते समय की बात हो चुकी है। यही वो जगह है जहां महेंद्र सिंह धौनी अलग खड़े नजर आते हैं। पहले क्वालीफायर में जब चेन्नई को कम गेंदों पर बहुत रनों की जरूरत थी तब वह फार्म में चल रहे रवींद्र जडेजा से पहले बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतर गए। उन्होंने मैच खत्म करने की जिम्मेदारी उठाई और बिना जोखिम लिए ऐसा करके भी दिखाया। इस दौरान उन्होंने अंधाधुंध बल्ला नहीं चलाया। उनका स्वभाव उन्हें सबसे अलग करता है। अगर कोलकाता की टीम क्वालीफायर मुकाबले से सबक लेने में सफल रहती है तो यह यादगार फाइनल होगा।
(सुनील गावस्कर का कालम)