हमने चॉकलेट की तरह नहीं बांटी ब्लू कैप, अब मिल रहा फायदा : एमएसके प्रसाद

मैं जब युवा खिलाडि़यों को मौके दे रहा था तो काफी आलोचनाओं का हमें सामना करना पड़ा। सब लोग कह रहे थे कि चयनकर्ताओं को अनुभव नहीं है और चॉकलेट की तरह ब्लू कैप (भारतीय टीम की पदार्पण टोपी) बांट रहे हैं।

By Viplove KumarEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 10:16 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 08:18 PM (IST)
हमने चॉकलेट की तरह नहीं बांटी ब्लू कैप, अब मिल रहा फायदा : एमएसके प्रसाद
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली- फोटो ट्विटर पेज

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विकेटकीपर और पूर्व मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद का मानना है कि उनके समय में कई युवा खिलाड़ियों को आजमाया गया। इसी वजह से बेंच स्ट्रेथ मजबूत हुई। यही वजह है कि इन दिनों दो भारतीय टीम चर्चा में हैं, जिनमें एक 18 जून से शुरू होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में खेलने के लिए इंग्लैंड में मौजूद है।

इस फाइनल का प्रसारण स्टार स्पो‌र्ट्स नेटवर्क पर होगा। इसके अलावा दूसरी भारतीय टीम श्रीलंका में सीमित ओवर की सीरीज खेलेगी। विशेषज्ञ दोनों ही टीमों को मजबूत मान रहे हैं। एमएसके प्रसाद से अभिषेक त्रिपाठी ने विभिन्न मुद्दों पर खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :--

आपने इंग्लैंड के खिलाफ न्यूजीलैंड का खेल तो देख ही लिया होगा। ऐसे में आपको क्या लगता है, भारत को किस गेंदबाजी लाइनअप के साथ उतरना चाहिए?

मेरे हिसाब से अपनी ताकत के अनुसार लाइनअप सेट करनी होगी। न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में विकेट के ऊपर थोड़ी घास रखी गई थी, जो इंग्लैंड के लिए ही नुकसानदायक रही। न्यूजीलैंड और भारत के बीच मैच तटस्थ स्थल पर खेला जा रहा है तो आइसीसी चाहेगी मैच पांच दिन तक चले और इसे ज्यादा से ज्यादा लोग देखें। इसलिए मुझे लगता है कि इतना ज्यादा मूवमेंट वाला विकेट नहीं होगा। शायद थोडा स्पोर्टिग विकेट होगा और ऐसा विकेट हुआ तो फिर हम तीन तेज गेंदबाज और दो स्पिनरों के साथ उतर सकते हैं।

न्यूजीलैंड ने इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज खेली, जबकि भारतीय टीम ने कोई अभ्यास मैच नहीं खेला। क्या यह टीम प्रबंधन की योजना रहती है या फिर अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम काफी व्यस्त होने के कारण ऐसा हो रहा है?

पहले का समय काफी अलग था। टीम वहां जाकर काउंटी टीमों के साथ पहले मैच खेलती थी, उसके बाद सीरीज खेलती थी। इस समय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कार्यक्रम इतना ज्यादा व्यस्त रहता है कि अभ्यास मैच का होना काफी मुश्किल है। मेरे समय में इंडिया-ए को ले जाकर दो से तीन मैच खेलते थे, जो अच्छा रहता था। अभी वहां की कोई स्थानीय टीम राजी नहीं हुई या क्या हुआ, मुझे नहीं पता। इंडिया-ए के साथ दो टीम बनाकर मैच खेलते तो अच्छा रहता था। ये लोग काफी खिलाड़ी लेकर गए हैं।

ज्यादातर खिलाड़ी आइपीएल से गए हैं और ऐसे में इन्हें टी-20 क्रिकेट से सीधे टेस्ट क्रिकेट की मानसिकता में जाना है। हालांकि खिलाड़ी काफी पेशेवर हैं, मगर प्रारूप के हिसाब से आपको बल्लेबाजी को ढालना तो पड़ेगा ही। आपको याद होगा कोहली ने आइपीएल 2016 में 900 से अधिक रन बनाए थे, उसके ठीक एक सप्ताह बाद टीम सीधे वेस्टइंडीज खेलने गई और वहां पर जाते ही सीरीज के पहले टेस्ट मैच में कोहली ने दोहरा शतक मारा। इस पारी के दौरान उन्होंने एक भी शाट हवा में नहीं मारा, इसलिए प्रारूप के हिसाब से बल्लेबाजी को ढालना भी चुनौतीपूर्ण होगा।

हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन चोटिल हो गए थे। क्या अभ्यास मैच और इस तरह के मैचों का होना सीरीज से पहले नुकसानदायक भी है कि आपके बड़े खिलाड़ी के चोटिल होने की संभावना बढ़ जाती है?

हां, यह भी ठीक है, लेकिन मैच में अभ्यास करने की बात अलग है क्योंकि उसमें जो भी खिलाड़ी विकेट लेता है या रन बनाता है, उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। न्यूजीलैंड को जहां इंग्लैंड के खिलाफ मैचों का फायदा मिलेगा तो भारत के लिए फायदे की बात यह है कि सभी खिलाड़ी तरोताजा और फिट होकर मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं।

क्या परिस्थितियों के हिसाब से न्यूजीलैंड के लिए थोड़ी आसानी रहेगी, क्योंकि उनके यहां भी इसी तरह की पिचें होती हैं।

मौसम खराब होता है तो विकेट पर घास ज्यादा होती है, इस लिहाज से न्यूजीलैंड फायदे में रहेगी, लेकिन मेरे हिसाब से वैसा विकेट नहीं बनाया जाएगा, क्योंकि आइसीसी चाहती है टेस्ट मैच पांच दिनों तक चले और रोमांच बना रहे, जिससे ज्यादा से ज्यादा प्रशंसक इसका आनंद ले सकें।

आप जब चयनकर्ता थे तब कई युवा खिलाडि़यों को खेलने का मौका मिला। अब एक भारतीय टीम इंग्लैंड में है, जबकि दूसरी श्रीलंका दौरे पर खेलने जा रही है। दोनों टीमों में शानदार खिलाड़ी हैं तो इसे जूनियर या बी टीम भी नहीं कह सकते। इसे कैसे देखते है कि भारतीय क्रिकेट इतना मजबूत बन चुका है कि प्रतिभाशाली खिलाडि़यों की कमी नहीं रही है?

यह बहुत खुशी की बात है कि हमारी दो टीमें बनकर आज खड़ी हुई हैं। मैं जब युवा खिलाडि़यों को मौके दे रहा था तो काफी आलोचनाओं का हमें सामना करना पड़ा। सब लोग कह रहे थे कि चयनकर्ताओं को अनुभव नहीं है और चॉकलेट की तरह ब्लू कैप (भारतीय टीम की पदार्पण टोपी) बांट रहे हैं। आज वही लोग कह रहे हैं कि नहीं बेंच स्ट्रेंथ काफी मजबूत है। हम लोग का यही था कि वर्तमान टीम इंडिया को किन्हीं और चयनकर्ताओं ने बनाया तो हमारा काम यह था कि इसके आगे क्या। हमने हमने एक-एक खिलाड़ी के पीछे तीन-तीन, चार-चार खिलाड़ी लगाए थे। हमारा कर्तव्य ही यही था। वह हमने पूरा किया।

आपकी चयनसमिति को काफी कम अनुभवी बताया गया और कहा गया कि चयनकर्ता बहुत ही कम अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। हालांकि टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया। तो क्या इस बात से दुख होता है कि चयनकर्ता की योग्यता उसके अंतरराष्ट्रीय मैचों की संख्या से तय की जा रही है?

इस तरह की आलोचना देखकर दुख तो होता है। आलोचनाओं से भागना नहीं चाहिए। एक उदारहण पेश करता हूं कि रोहित शर्मा चोटिल हो गए थे तो उनकी जगह पर संजू सैमसन को लाए थे। उसके बाद रोहित जब फिट हो गए तो संजू को बाहर करना पड़ा क्योंकि सीनियर खिलाड़ी फिट होकर वापस आया है। ऐसे में क्या सीनियर खिलाड़ी को बाहर रखें। इस तरह के बाद में सवाल उठे संजू को क्यों बाहर किया। ऐसा होता रहता है।

इंग्लैंड सीरीज में एक बार देखा कि टेस्ट सीरीज में कोई गेंदबाज चोटिल हो गया था और उसका बैकअप खिलाड़ी तैयार नहीं था। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए हम एक प्लान के तहत काम कर रहे थे, जिससे भारतीय टीम अगले पांच से छह साल तक बेहतरी से आगे बढ़ सके। 2000 के करीब मिलकर मैच खेले जाते हैं भारत में और वहां से खिलाड़ी निकल कर आगे आते हैं। सबको देखने के लिए एक सटीक प्लान और मानसिकता की जरूरत है। इतने मैच दुनिया में कहीं नहीं होते हैं। मेरे विचार से अगर ऐसा होता रहता है तो भारत क्रिकेट का सुपर पावर बन सकता है।

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