दिलीप साहब को अविनाशी मानते थे सुनील गावस्कर, बोले- उनके जाने से मन ही मन रोया

महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने महान कलाकार दिलीप कुमार को लेकर बड़ा दावा किया है। गावस्कर का कहना है कि वे अपनी जिंदगी में दो ही लोगों को अविनाशी मानते थे और दोनों ही दिग्गजों ने दुनिया छोड़ दी।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Mon, 12 Jul 2021 07:36 AM (IST) Updated:Mon, 12 Jul 2021 07:36 AM (IST)
दिलीप साहब को अविनाशी मानते थे सुनील गावस्कर, बोले- उनके जाने से मन ही मन रोया
सुनील गावस्कर इस समय इंग्लैंड में हैं

सुनील गावस्कर का कॉलम। यह वास्तव में दुखद समय चल रहा है। कोरोना जैसी भयानक महामारी ने जहां कई लोगों की जिंदगी निगलकर उनके परिवारों को तबाह कर दिया है, वहीं लोगों के पास नौकरियां नहीं हैं और सबकी जेब में कटौती हुई है। इस गमगीन माहौल में भारतीय सिनेमा के महानायक दिलीप कुमार के देहांत ने हम सबको मन ही मन रोने पर मजबूर कर दिया, जबकि कुछ दिन पहले ही बीसीसीआइ टीवी प्रोडक्शन टीम ने भी अपने एक स्टार सितेंदर (सोनी) निरंकारी को खो दिया। हालांकि, इन दोनों के निधन कोरोना की वजह से तो नहीं हुए, लेकिन इन दोनों घटनाओं ने चौंका जरूर दिया है।

इस दुनिया में सिर्फ दो ही लोग थे, जिन्हें मैं अविनाशी समझता था। उनमें से एक मेरे मामा माधव मंत्री थे, जिनका सात साल पहले निधन हो गया और सितंबर में उनकी जन्म शताब्दी है, जबकि दूसरे दिलीप साहब थे। भारतीय सिनेमा में उनके समय ऐसा लगता था कि वह काफी जिंदादिल इंसान हैं। ऐसा प्रतीत होता था कि बढती उम्र भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी और ऐसे ही उनका जलवा कायम रहेगा। हालांकि, अफसोस कि सर्वशक्तिमान को शायद अपने पास उनकी जरूरत पड़ी तो उन्होंने हमसे इस महानायक को छीन लिया।

मैंने क्रिकेट के प्रति अनुशासन और इस खेल की इज्जत करना अपने मामा या नाना, जो भी मैं उन्हें कहकर बुलाता था, माधव मंत्री से सीखा। उन्होंने मुझे सिखाया कि कोई भी टीम की कैप (टोपी) हो उसे हासिल करना सीखो। इसके अलावा भी उन्होंने मुझे बताया था कि गेंदबाज के सामने अपना विकेट कभी मत फेंको। खेल और इसकी परंपराओं का भी सम्मान करना होगा।

वहीं दिलीप साहब से मैंने नम्रता सीखी। एक पल मुझे याद आता है कि मैं मरीन लाइंस स्टेशन से ठीक पहले अपनी स्कूल बस में था और हमारी बस के ड्राइवर ने उत्साह से बताया कि दिलीप कुमार हमारे सामने कार में थे। हम सभी स्कूली बच्चे बस में आगे आ गए व उनका नाम चिल्लाने लगे और दिलीप साहब अपनी सीट पर मुड़े, हमारी तरफ देखा और इतनी बड़ी मुस्कान बिखेर दी कि हम सब उनके प्रशंसक हो गए। सायरा बानो जी और उनके परिवार व भारतीय सिनेमा के प्रति मैं संवेदना प्रकट करता हूं, जिन्होंने अपना महान नायक खो दिया।

दूसरी तरफ अचानक ही बीसीसीआइ टीवी प्रोडक्शन ने भी एक दिग्गज निर्देशक सितेंदर (सोनी) निरंकारी को खो दिया। सोनी की आवाज तब सुनने को मिलती थी जब वह कमेंटेटरों, कैमरामैन और तकनीकी कर्मचारियों का निर्देशन करते थे। लंबे समय तक सबसे अच्छे दोस्त देव श्रीयान से सीखने के बाद सोनी ने हाल के वर्षो में अपने दम पर शानदार तरीके से निर्देशन करना शुरू कर दिया था। देव बीसीसीआइ प्रोडक्शन के साथ प्रशासनिक भूमिका में पहंच गए थे, लेकिन प्रोडक्शन निर्देशक टीम का कप्तान होता है। भगवान उनकी आत्मा को शांति मिले।

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