रायपुर में माय सिटी, मोर जिम्मेदारी...समाधान ने दी दस्तक
विशेषज्ञों ने रायपुर शहर की समस्याओं व जरूरतों को समझा। पूरी गंभीरता से ऐसे सुझाव दिए, जिसके पूरा होने पर जनता और शहर का फायदा है।
रायपुर। नई दुनिया जागरण समूह के माय सिटी, माय प्राइड अभियान को 82 दिन पूरे हो चुके हैं। इस दौरान रायपुर में नई दुनिया ने नौ राउंड टेबल कांफ्रेंस की। इसमें आए विशेषज्ञों और अतिथियों ने रायपुर शहर की समस्याओं व जरूरतों को समझा। पूरी गंभीरता से ऐसे सुझाव दिए, जिसके पूरा होने पर जनता और शहर का फायदा है। शहर का विकास होगा। इसके अतिरिक्त हेल्थ, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, इकॉनामी और सेफ्टी क्षेत्र में काम करने वालों के अनुभव भी सुनने को मिले। उनके सुझाव समस्या के निराकरण में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं।
पांच पिलरों पर चर्चा का दौर पूरा होने के बाद भी बहस जारी रही। निकले निष्कर्ष पर और भी लोगों की राय मांगी जाती रही। रायपुर नगर निगम के पार्षदों से अलग से चर्चा की गई। जनता और उनकी समस्याओं को नजदीक से देखने वाले पार्षदों ने जमीनी सुझाव दिए। साथ ही अपनी दिक्कतें भी बताईं। पार्षदों का सुझाव है कि पार्षद निधि की तरह जनता को भी राशि खर्च करने का अधिकार हो। उनकी मर्जी से एक सीमित राशि वॉर्ड के विकास पर खर्च हो।
कांफ्रेंस में चर्चा के दौरान ही कुछ जिम्मेदार लोगों व संगठनों ने समाधान में अपनी रुचि दिखाई। वे खुद आगे बढ़ कर इसका समाधान करना चाहते हैं। फिर बड़े सुझावों को समाधान के लिए प्रशासन व शासन के जिम्मेदार पदों पर बैठे जनप्रतिनिधि व अधिकारियों को भेजे गए हैं।
हेल्थ आरटीसी में आए ये सुझाव स्वच्छता के प्रति जागरुकता बढ़ानी होगी माना या पुलिस अस्पताल और धरसींवा या अभनपुर में सुविधाओं से लैस अस्पताल की जरूरत है। इससे बड़ी आबादी को शहर का रुख नहीं करना पड़ेगा और उन्हें वहीं इलाज मुहैया हो जाएगा। अस्पतालों के निचले क्रम के स्टाफ को तकनीकी प्रशिक्षण की जरूरत। बड़े अस्पतालों में बड़ी मशीनों के साथ छोटी बुनियादी सुविधाओं पर निगाह डालने की आवश्यक चुनौतियां। अस्पतालों में पैरा मेडिकल स्टाफ बड़ी संख्या में, इनको प्रशिक्षण देने में लगेगा लंबा वक्त। स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा को कोर्स में शामिल कर बच्चों को बुनियादी जानकारी देना।
निकले ये उपाय
रायपुर की सबसे बड़ी सब्जी मंडल में व्यापारी बड़े पैमाने पर खराब सब्जियों को जहां-तहां फेंक देते हैं। वहां के रहवासियों और व्यापारी संघ की मदद से व्यापारियों को जागरुक किया जा सकता है।
इंफ्रा आरटीसी में आए सुझाव
शिक्षा आरटीसी में आए ये सुझाव पालक संघ जिम्मेदारी ले कि वह पालकों को शिक्षा के प्रति जागरुक करेंगे। इससे पढ़ाई की निगरानी होगी, शिक्षक नियंत्रण में रहेंगे। सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी कमजोर है। बच्चों को सिखाने के लिए अंग्रेजी किट दिए जा सकते हैं। इससे बच्चे खेल-खेल में अंग्रेजी सीखेंगे। रिटायर्ड या जिम्मेदार नागरिक सप्ताह में एक दिन भी स्कूल में समय देंगे तो शिक्षकों की कमी दूर की जा सकती है। मोबाइल स्कूल चलाया जा सकता है। बड़े वाहन पर चलने वाला यह स्कूल बच्चों को पढ़ाई के प्रति आकर्षित करेगा और विषय विशेषज्ञों की कमी दूर करेगा।
इकॉनामी आरटीसी में आए ये सुझाव
सेफ्टी आरटीसी में आए ये सुझाव जनता की भागीदारी से पुलिस मित्र जैसे समूहों का गठन किया जाए हादसा स्थलों पर रेडियम से संकेतक लगाया जाए, इससे रात में घटना नहीं होगी आवारा मवेशियों के सींग पर रेडियम चिपका दिया जाए, इससे वाहन चालक बचेंगे स्कूलों में यातायात जागरुकता अभियान मालवीय रोड का वनवे किया जाए संडे मार्केट को रोड से हटा कर व्यवस्थित करें साइबर हेल्प लाइन नंबर जारी हो शांति समिति की बैठक हर दो माह में हो
पार्षद निधि की तरह जनता निधि की उठी मांग
रायपुर नगर निगम के पार्षदों ने मांग उठाई कि जनता की मर्जी से राशि खर्च करने के लिए भी जनता निधि बनायी जाए। इस निधि से जनता की राय पर ही विकास कार्य किया जाए।
अंडर ग्राउंड ड्रेनेज- रायपुर शहर की सबसे बड़ी समस्या है अंडर ग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम। नगर निगम के पास कोई प्लान है न ही रायपुर स्मार्ट सिटी के पास। जबकि हर बरसात में आधा शहर पानी में डूबा रहता है। इस बार तो हालात और भी बदतर थे। शहर की प्रमुख सड़कों पर घुटनों-घुटनों पानी था। बिना योजना के बसाहट भी पानी भरने की बड़ी वजह है। कई ऐसी नालियां हैं, जिनका चौड़ीकरण सिर्फ प्रस्तावित है।
खाली प्लॉट वालों पर कार्रवाई- बड़ी-बड़ी जमीनों को काट-काटकर बिल्डरों ने प्लाटिंग कर दी और लोगों ने निर्माण नहीं किया, जिसकी वजह से बरसात में इनमें पानी भरता है और फिर डेंगू, मलेरिया के मच्छर पनपते हैं। हालात बिगड़ते जा रहे हैं। निगम के पास ऐसे प्लॉट मालिकों के विरुद्ध कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है।