केंद्र ने राज्य सरकार पर साधा निशाना

By Edited By: Publish:Mon, 09 Sep 2013 04:13 PM (IST) Updated:Mon, 09 Sep 2013 04:13 PM (IST)
केंद्र ने राज्य सरकार पर साधा निशाना

रायपुर [ब्यूरो]। केंद्र सरकार हर राज्य में श्रमिकों के लिए अलग-अलग सुपर स्पेशयालिटी अस्पताल खोले हैं। छत्तीसगढ़ में एक भी ऐसा अस्पताल नहीं है। इसके लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार जिम्मेदार है। यह कहना है केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री के. सुरेश का। यह बात उन्होंने इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस [ इंटुक] के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में कही।

सुरेश ने कहा कि श्रम का मामला राज्य और केंद्र दोनों सरकारें देखती हैं। इसके लिए कानून बनाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, लेकिन उसका पालन करने का अधिकार संविधान में राज्य सरकारों को दिया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार मजदूरों के अधिकार और स्वास्थ्य के मामले में उदासीन है।

केंद्र सरकार और उनका मंत्रालय यहां मजदूरों के लिए सुपरस्पेशयालिटी अस्पताल मंजूर करने के लिए तैयार है। राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाकर जमीन मुहैया करानी होगी। यह काम अभी तक यहां की भाजपा सरकार ने नहीं किया।

उन्होंने कहा कि 92 फीसदी श्रमिक असंगठित क्षेत्र में हैं। केंद्र सरकार ने उनके लिए सामाजिक सुरक्षा कानून 2008 लाया है। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना सारे वर्ग के श्रमिकों के लिए लागू की गई है। कचरा बीनने वाले भी पहली बार इसमें शामिल हैं। असंगठित श्रमिकों को काम का अधिकार और पेंशन का अधिकार कानून लाने की योजना बना रहे हैं। ईएसआईसी के तहत भी कर्मचारियों को सुविधाएं सही तरीके से नहीं मिलतीं। ईएसआईसी की सुविधा ईएसआईसी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रिफर होकर अन्य अस्पताल में जाने पर मिलती है, यह राज्य सरकार की देखरेख में होना चाहिए। बडे़ अस्पतालों के लिए राज्यों से प्रस्ताव और जमीन मिलनी चाहिए। प्रस्ताव आने पर तत्काल मजूरी मिलेगी।

रेड्डी के नेतृत्व में जताई आस्था

देशभर से आए मजदूर यूनियन के लीडरों ने इंटुक के सम्मेलन में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी संजीव रेड्डी के नेतृत्व में आस्था जताई। सम्मेलन में सीटू के सांसद तपन सेन, एटक के सांसद गुरदास गुप्ता, एचएमएस के महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धू, पूर्व सांसद अवनि राय, यूटीयूसी एसपी तिवारी, टीयूसीसी और एलपीएफ के चंद्रशेखर झा शमिल थे। सभी ने डॉ. रेड्डी को अपना नेता घोषित किया।

विदेशों में श्रमिकों के हालत बताए

विदेशों से आए श्रम मामलों के विशेषज्ञों ने डेलीगेट सेशन में श्रमिकों के बारे में अपने देश के हालात पर विचार व्यक्त किए। विशेषज्ञों की राय में पूरी दुनिया में श्रमिकों की स्थिति खराब है। इसके सुधार के लिए अलग-अलग सुझाव भी दिए गए। इस सेशन में अमेरिका से क्रिस्टीन नाथन, एरियल कास्त्रो, चेरिटो रिलई, फ्रांस से टीनेस्टेयर मोस और मिसेल सेवेलियर, नेपाल से लक्ष्मण बासने शामिल हुए।

बस्तर में अस्पताल की मांग

इंटुक के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने बस्तर में श्रमिकों के हालात पर चिंता जताते हुए केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री से बस्तर में एक ईएसआईसी सुविधाओं वाला अस्पताल खोलने की मांग की। केंद्रीय मंत्री ने इस पर सहमति जताई। इस संबंध में राज्य सरकार पर दबाव बनाने कहा।

25 मेडिकल कॉलेज मजदूरों के नवनिहालों के लिए

विसलिंग वुड में बुलाई गई पत्रवार्ता में केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री के सुरेश ने कहा ईएसआईसी के बच्चों के लिए 25 मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव उनके मंत्रालय में तैयार किया गया है। ईएसआईसी के अंतर्गत आने वाले परिवार के बच्चों को मेडिकल कालेजों में 20 फीसदी आरक्षण दिया गया है। श्रमिकों को कम से कम 10 हजार रुपए महीना और बोनस मिलना चाहिए। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को हादसे में 1.20 लाख रुपए की सहायता, स्थाई क्षति होने पर 1.40 लाख रुपए मुआवजा राशि तय की है। असंगठित मजदूरों के लिए पेंशन की योजना भी लाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि संगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए 44 कानून हैं, जबकि असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई कानून नहीं है। इस पर केंद्र सरकार गंभीरता से पहल कर रही है। इसके लिए कमेटी बनाई है। खामियां दूर करने के लिए लगातार बैठकें हो रही हैं।

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