पूरी तरह Tax Free नहीं रही PF से हासिल आय; एक वित्त वर्ष में 5 लाख से अधिक के अंशदान पर मिलने वाले ब्याज पर लगेगा टैक्स
नए वित्त वर्ष (2021-22) में इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में बदलाव हुआ है। एक अप्रैल से लागू नई प्रणाली के तहत पांच लाख रुपये से ज्यादा की जमा राशि पर मिलने वाला ब्याज इनकम टैक्स के दायरे में आ गया है।
रायपुर, नई दुनिया। नए वित्त वर्ष (2021-22) में इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में बदलाव हुआ है। एक अप्रैल से लागू नई प्रणाली के तहत पांच लाख रुपये से ज्यादा की जमा राशि पर मिलने वाला ब्याज इनकम टैक्स के दायरे में आ गया है। पिछले वित्त वर्ष के आखिर तक की व्यवस्था के मुताबिक प्रोविडेंट फंड (EPF) मद में जमा राशि से अर्जित ब्याज पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगता था। इस तरह कोई भी व्यक्ति एक वित्त वर्ष में ईपीएफ और अन्य बीमा में ढाई लाख रुपये तक के इंवेस्टमेंट पर टैक्स में छूट हासिल कर लेता था।
टैक्स बचाने का बढ़िया इंस्ट्रुमेंट रहा है EPF
EPF मद में जमा कराई जाने वाली रकम और उस पर अर्जित इंटरेस्ट को पूरी तरह टैक्स के दायरे के बाहर माना जाता था। अब सरकार ने पीएफ पर पांच लाख रुपये तक के वार्षिक अंशदान पर मिलने वाले ब्याज को एक खास वर्ग के लिए टैक्स फ्री कर दिया है। हालांकि, यहां एक और चीज देखने वाली है कि यदि ईपीएफ अकाउंट में कंपनी का अंशदान नहीं है तो सालाना ढाई लाख रुपये के जमा पर हासिल ब्याज ही टैक्स फ्री रहेगा।
इन सब्सक्राइबर्स पर पड़ेगा असर
Income Tax से संबंधित नियमों में इस परिवर्तन से ज्यादा वेतन पाने वाले करदाताओं पर ही सबसे ज्यादा असर होगा। वहीं, विलंब से यानि बिलेटेड और रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की समयसीमा अब घटा दी गई है। इसे अब 31 मार्च की जगह पर 31 दिसंबर कर दिया गया है। आम तौर पर किसी वित्त वर्ष में आयकर रिटर्न अगले वित्त वर्ष (आकलन वर्ष) के 31 जुलाई तक और विलंब शुल्क के साथ अगले साल के 31 मार्च तक फाइल करना होता था। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2020-21 का इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा 31 जुलाई है और विलंब शुल्क के साथ इनकम टैक्स रिटर्न 31 मार्च 2022 तक भरा जा सकता था। हालांकि, नियमों में बदलाव के बाद यह समयसीमा अब 31 दिसंबर, 2021 रह गई है।
इन नियमों में भी बदलाव
नए नियमों के अनुसार 2.5 लाख से ज्यादा वाले यूलिप लिंक्ड इंश्योरेंस पालिसी में टैक्स छूट नहीं मिलेगा। यानी यूलिप की सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक होने पर मैच्योरिटी की रकम टैक्स के दायरे में आएगी।