भारी टैक्‍स के कारण भारतीय विमानन सेक्‍टर वैश्विक स्‍पर्धा में है पीछे, सरकार दिलाए इससे मुक्ति : स्‍पाइसजेट

विमानन सेक्टर लंबे समय से सरकार से टैक्स में कटौती की मांग कर रहा है। टैक्‍स की दरें अधिक होने के कारण यह ग्लोबल मार्केट में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पर रहा है।

By Manish MishraEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 09:25 AM (IST) Updated:Tue, 22 Oct 2019 09:25 AM (IST)
भारी टैक्‍स के कारण भारतीय विमानन सेक्‍टर वैश्विक स्‍पर्धा में है पीछे, सरकार दिलाए इससे मुक्ति : स्‍पाइसजेट
भारी टैक्‍स के कारण भारतीय विमानन सेक्‍टर वैश्विक स्‍पर्धा में है पीछे, सरकार दिलाए इससे मुक्ति : स्‍पाइसजेट

वाशिंगटन, पीटीआइ। देश की अग्रणी निजी विमानन कंपनी स्पाइसजेट के चेयरमैन और एमडी अजय सिंह ने कहा है कि भारत नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में तेजी से बढ़ता हुआ बड़ा बाजार बनकर उभरा है। यह सही समय है जब सरकार को इस सेक्टर में टैक्स दरें घटाने सहित दूसरे सुधार करने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में सिविल एविएशन सेक्टर में टैक्स दरें बहुत अधिक हैं, जिससे यह ग्लोबल मार्केट में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पर रहा है।

सिंह ने कहा कि एविएशन सेक्टर को समग्र तौर पर नौकरियों के सृजन से जोड़कर देखा जाना चाहिए। टैक्स घटाने से यह सेक्टर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आ सकेगा। विश्व बैंक और आइएमएफ की बैठक में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका गईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुआई वाले डेलीगेशन में सिंह भी एक सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि एविएशन सेक्टर भारत सरकार से काफी समय से छूट की मांग कर रहा है। हम चाहते हैं कि हमारी लागत ग्लोबल पैमाने पर दूसरी एयरलाइन्स के समकक्ष रहे। 

दुनिया में भारत एकमात्र देश है, जहां एविएशन फ्यूल पर 35 परसेंट के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है। एविएशन के क्षेत्र में कोई दूसरा बड़ा देश ऐसा नहीं करता। इस तरह भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाता है।

एविएशन सेक्टर की दूसरी बड़ी समस्या का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि इस सेक्टर में रखरखाव और रिपेयर के लिए 18 परसेंट जीएसटी चुकानी पड़ती है, जबकि यह ऐसा क्षेत्र है जिसके लिए भारत में बहुत संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि विमानों के रिपेयर से संबंधित कार्य भारत में ही किए जा सकते हैं। इसके लिए हमारे पास इन्फ्रास्ट्रक्चर और कुशल लोग मौजूद हैं। लेकिन इसके बावजूद भारतीय विमानों के रिपेयर का अधिकतर काम विदेशों में होता है। इसकी मुख्य वजह यहां टैक्स दर अधिक होना है, जिसकी वजह से रिपेयर मंहगा हो जाता है। 

उन्होंने कहा कि इसको ठीक से समझने की जरूरत है, अगर टैक्स ज्यादा होगा तो कोई काम नहीं करना चाहेगा। जब काम नहीं तो टैक्स भी नहीं और फिर राजस्व भी नहीं जनरेट होगा। इसलिए यहां टैक्स कम करने की जरूरत है। इस तरह से भारत रिपेयर के लिए एक ग्लोबल बेस बन सकता है।

सिंह ने भारत में एयरपोर्ट हब बनाने की जरूरत की बात भी कही। उन्होंने कहा कि भारत को दुबई, अबूधाबी, दोहा और सिंगापुर की तरह इंटरनेशनल हब बनाने की जरूरत है, ताकि यूरोप, अमेरिका और सुदूर पूर्व जाने वाले यात्री दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद जैसे शहरों से सीधी उड़ाने भर सकें। गौरतलब है कि स्पाइसजेट ने पिछले कुछ समय के दौरान कई अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों तक अपने परिचालन का विस्तार देने की बात कही है।

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