गीता गोपीनाथ को मिला प्रमोशन, अब IMF में नंबर टू की हैसियत में देंगी सेवाएं

IMF की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ अगले महीने वाशिंगटन स्थित संस्‍था में नंबर दो अधिकारी बन जाएंगी। IMF ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। गोपीनाथ पहली उप प्रबंध निदेशक (FDMD) के रूप में जेफ्री ओकामोटो का स्थान लेंगी।

By Ashish DeepEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 09:14 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 12:01 PM (IST)
गीता गोपीनाथ को मिला प्रमोशन, अब IMF में नंबर टू की हैसियत में देंगी सेवाएं
ओकामोटो आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के बाद हैं।

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। IMF (अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष) की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ अगले महीने वाशिंगटन स्थित संस्‍था में नंबर दो अधिकारी बन जाएंगी। IMF ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। गोपीनाथ पहली उप प्रबंध निदेशक (FDMD) के रूप में जेफ्री ओकामोटो का स्थान लेंगी। ओकामोटो आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के बाद हैं। IMF में पहली बार दो महिलाएं शीर्ष नेतृत्व की भूमिका में रहेंगी। जॉर्जीवा ने इस लीडरशिप रोल के लिए गोपीनाथ को उपयुक्‍त बताया। आईएमएफ के अनुसार, गोपीनाथ 21 जनवरी, 2022 को एफडीएमडी के रूप में अपनी नई स्थिति शुरू करेंगी।

जॉर्जीवा ने कहा कि महामारी ने हमारे सदस्य देशों के सामने व्यापक आर्थिक चुनौतियों में बढ़ोतरी की है, ऐसे में मेरा मानना ​​​​है कि गीता इस जिम्‍मेदारी को निभाने के लिए सबसे सही चुनाव है। उनके पास जो कौशल है, वह उन्‍हें और होशियार बनाता है।

2018 में आई थीं IMF में गीता गोपीनाथ

गोपीनाथ को 2018 में चीफ इकोनॉमिस्‍ट के पद पर तैनात किया गया था। हालांकि उन्‍होंने बीते दिनों कहा था कि वह अपने पुराने संस्‍थान Harvard University लौटेंगी। वह जनवरी में वहा लौटने पर विचार कर रही थीं। वह भारत में पैदा हुईं लेकिन उनके पास अमेरिका की भी नागरिकता है। यहां आने से पहले गोपीनाथ हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन और अर्थशास्त्र के जॉन ज्वानस्ट्रा प्रोफेसर थीं।

गोपीनाथ पर IMF टीम को लीड करने के अलावा दुनिया की आर्थिक स्थिति पर नजर रखने का भी जिम्‍मा है। Covid 19 mahamari के दौरान दुनिया ने उनकी बुद्धिमता को परखा भी है। उनकी मदद से दुनिया वैशविक मंदी से उबर पाई।

गीता ने एक बयान में कहा, मैं आईएमएफ की अगली एफडीएमडी बनने के लिए सम्मानित और विनम्र हूं। जैसा कि महामारी ने हम पर अपनी पकड़ जारी रखी है, फंड का काम कभी भी अधिक महत्वपूर्ण नहीं रहा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कभी भी अधिक महत्वपूर्ण नहीं रहा है।

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