Mutual fund कंपनियों की विदेशी परिसंपत्तियों में हुई बढ़ोतरी, 2.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का हुआ फॉरेन एसेट्स
Mutual fund कंपनियों की विदेशी परिसंपत्तियां इस साल मार्च के अंत तक कई गुना बढ़कर 2.9 बिलियन अमरीकी डॉलर या 20982 करोड़ रुपये हो गई थी। ऐसा होने के पीछे प्रमुख कारण इक्विटी या शेयर के मूल्य में वृद्धि का होना माना जा रहा है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। Mutual fund कंपनियों की विदेशी परि संपत्तियों में इस साल काफी अधिक बढ़ोतरी देखने को मिली है। Mutual fund कंपनियों की विदेशी परिसंपत्तियां इस साल मार्च के अंत तक कई गुना बढ़कर 2.9 बिलियन अमरीकी डॉलर या 20,982 करोड़ रुपये हो गई थी। ऐसा होने के पीछे प्रमुख कारण इक्विटी या शेयर के मूल्य में वृद्धि का होना माना जा रहा है।
Reserve Bank Of India (RBI) के एक बयान की मानें तो "Mutual fund कंपनियों के विदेशी देनदारियों और परिसंपत्तियां के एक सर्वेक्षण के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, यूएसए और सिंगापुर ने मिलकर नॉन रेसिडेंट के पास अंकित मूल्य के साथ-साथ बाजार में कुल Mutual fund इकाइयों का लगभग 45 फीसद हिस्सा लिया था।"
इसके अलावा रिजर्व बैंक ने अपने बयान में यह भी कहा कि "इस दौरान इक्विटी सुरक्षा और अन्य विदेशी परिसंपत्तियों में वृद्धि के कारण Mutual fund कंपनियों की विदेशी परिसंपत्तियों में वृद्धि हुई और मार्च 2021 के अंत में यह 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो पिछले वित्त वर्ष के अंत में 778 मिलियन अमेरिकी डॉलर थी। रुपये के लिहाज से यह 5,864 करोड़ रुपये से बढ़कर 20,982 करोड़ रुपये हो गया।"
इसके साथ ही अपने सर्वेक्षण में केंद्रीय बैंक ने यह जानकारी भी दी है कि, "44 भारतीय Mutual fund कंपनियों और उनकी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को कवर किया, जिन्होंने 2020-21 के दौरान विदेशी परिसंपत्ति और देनदारियों को रखा या हासिल किया।"
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि मार्च 2021 में एएमसी की विदेशी देनदारी 5.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जबकि उनकी विदेशी संपत्ति 0.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। एएमसी द्वारा अपेक्षाकृत छोटे विदेशी निवेश बड़े पैमाने पर ग्वेर्नसे, सिंगापुर और मॉरीशस में आयोजित किए गए थे। Mutual fund कंपनियों के विदेशी इक्विटी निवेश काफी हद तक संयुक्त राज्य अमेरिका और लक्जमबर्ग में केंद्रित थे।