नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश की बना रहे हैं योजना, तो आपको ये पांच बातें जाननी चाहिए

नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) सरकारी कर्मचारियों के लिए जनवरी 2004 में शुरू की गई एक एक सरकार प्रायोजित पेंशन योजना है

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Sun, 09 Dec 2018 08:51 PM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 01:13 PM (IST)
नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश की बना रहे हैं योजना, तो आपको ये पांच बातें जाननी चाहिए
नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश की बना रहे हैं योजना, तो आपको ये पांच बातें जाननी चाहिए

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। एनपीएस या नेशनल पेंशन सिस्टम एक खास किस्म की रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है। यह एक प्रकार की पेंशन कम इन्वेस्टमेंट स्कीम है जो कि बाजार आधारित रिटर्न की गारंटी देती है। एनपीएस सब्सक्राइबर्स जिस फंड में निवेश करते हैं उसे पेंशन फंड मैनेजर के माध्यम से पैसा बनाने वाली अलग-अलग स्कीम्स में निवेश किया जाता है। इसकी देखरेख पेंशन निधि विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) की ओर से की जाती है। पीएफआरडीए की देखरेख में संचालित एनपीएस खाते में जमा सब्सक्राइबर्स के पैसों को इक्विटी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, सरकारी प्रतिभूतियों (गवर्मेंट सिक्योरिटीज) और अन्य फिक्स्ड इनकम विकल्पों में निवेश किया जाता है। यह जानकारी एनएसडीएल की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

एनएसडीएल या नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के हिस्से के रूप में एनएसडीएल ई-गर्वनेंस इंन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के लिए केंद्रीय रिकॉर्ड रखने वाली एक एजेंसी है। हम अपनी इस खबर में आपको एनपीएस से जुड़ी पांच ऐसी बातें बता रहे हैं जो आपको जाननी चाहिए। नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) सरकारी कर्मचारियों के लिए जनवरी 2004 में शुरू की गई एक एक सरकार प्रायोजित पेंशन योजना है। हालांकि वर्ष 2009 में इसका विस्तार सभी नागरिकों के लिए कर दिया गया। एनपीएस सब्सक्राइबर्स के पैसों को पेशन फंड्स की ओर से निवेश किया जाता है और यही पेंशन कार्पस प्रबंधन के लिए भी जवाबदेह होता है। एनपीएस दो तरह के खातों की पेशकश करता है। टियर-1 और टियर-2। टियर-1 खाते में जमा पैसों को आप तब तक नहीं निकाल सकते हैं जब तक की आपकी उम्र 60 वर्ष की न हो जाए। टियर-2 एनपीएस अकाउंट बचत खाते की तरह काम करता है, जहां सब्सक्राइबर्स को पैसों की निकासी की अनुमति होती है। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों में सब्सक्राइबर्स को आंशिक निकासी की अनुमति मिलती है। इस तरह की विशेष परिस्थितियों में गंभीर बीमारी और बच्चों की शादी शामिल होती है। निवेशक अपने रिटायरमेंट खाते में योगदान देता है और नियोक्ता भी कर्मचारी के खाते में इस तरह का योगदान देता है। ग्राहक किसी भी निश्चित लाभ के बिना अपने खाते में योगदान देते हैं और इस पर रिटर्न की राशि कुल कार्पस एवं उस पैसों से हुई आय पर निर्भर करती है। वर्तमान में एनपीएस में कर्मचारी का योगदान मूल वेतन का 10 फीसद हिस्सा है हालांकि इसमें अपने योगदान को 14 फीसद कर सकती है। एनपीएस के टियर वन अकाउंट में एक वित्त वर्ष के दौरान न्यूनतम योगदान 1,000 रुपये है। एनएसडीएल के मुताबिक जहां प्रत्येक योगदान 500 रुपये होना चाहिए। एनपीएस के टियर वन अकाउंट में एक साल के भीतर कम से कम एक योगदान जरूरी होता है। वहीं एनपीएस के टियर-2 अकाउंट में मिनिमम अमाउंट जिसकी जरूरत होती है उसमें प्रत्येक योगदान 250 रुपये होना चाहिए। वहीं इसमें मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने की जरूरत नहीं होती है। एनपीएस सब्सक्राइबर्स आयकर अधिनियम की धारा 80 CCD (1) के अंतर्गत कुल आय के 10 फीसद तक आयकर कटौती का दावा कर सकते हैं और 80 CCE के अंतर्गत कुल 1.5 लाख रुपये की कर छूट का दावा कर सकते हैं।

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