PPF Vs VPF: कर्मचारियों के लिए बढ़िया माने जाते हैं ये निवेश विकल्प, जानिए खास बातें
पब्लिक प्रोविडेंट फंड आयकर लाभों के साथ आता है। यह वित्त मंत्रालय के राष्ट्रीय बचत संस्थान द्वारा सन् 1968 में एक सेविंग इंस्ट्रूमेंट के रूप में लाया गया था। PPF में आपको अकाउंट एक्टिव रखने के लिए एक वित्त वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये का निवेश करना होता है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पिछले कुछ वर्षों से एफडी पर ब्याज दरें काफी घट गई हैं। इस कारण अब लोग अन्य निवेश विकल्पों की तलाश में हैं। सरकार समर्थित स्मॉल सेविंग स्कीम्स भी गारंटीड रिटर्न प्रदान करती हैं। वेतनभोगी कर्मचारियों की बात करें, उनके लिए पीपीएफ (PPF) और वीपीएफ (VPF) काफी बेहतर निवेश विकल्प हैं। आज हम आपको इन्हीं दोनों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
पब्लिक प्रोविडेंट फंड आयकर लाभों के साथ आता है। यह वित्त मंत्रालय के राष्ट्रीय बचत संस्थान द्वारा सन् 1968 में एक सेविंग इंस्ट्रूमेंट के रूप में लाया गया था। PPF में आपको अकाउंट एक्टिव रखने के लिए एक वित्त वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये का निवेश करना होता है। वहीं, आप एक वित्त वर्ष में पीपीएफ में अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश कर सकते हो। पीपीएफ 15 साल की लॉक-इन अवधि के साथ आता है। इस समय इस योजना में ब्याज दर 7.1 फीसद सालाना है। पीपीएफ आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 सी के तहत एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक की आयकर छूट की पेशकश करता है। इस योजना में अर्जित ब्याज भी पूरी तरह कर मुक्त होता है।
स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF)
वीपीएफ एक स्वैच्छिक योगदान है, जो वैधानिक ईपीएफ योगदान के अतिरिक्त होता है। केवल वेतनभोगी कर्मचारी, जो ईपीएफओ के सदस्य हैं, वीपीएफ में निवेश कर सकते हैं। कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी के 12 फीसद से अधिक ईपीएफ में योगदान नहीं दे सकते हैं। अगर कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी के 12 फीसद से अधिक का योगदान देना चाहते हैं, तो वीपीएफ के तहत कर सकते हैं। वीपीएफ पर मौजूदा ब्याज दर 8.50 फीसद है। वीपीएफ में योगदान धारा 80 सी के तहत कर छूट के योग्य होता है। ईपीएफ की तरह ही वीपीएफ भी EEE स्टेटस के साथ आती है। अर्थात इसमें निवेश राशि, ब्याज राशि और मैच्योरिटी की राशि सभी कर मुक्त होती हैं।