Tax बचाने के लिए NPS में निवेश की बना रहे हैं योजना, तो आपको ये 10 बातें जाननी चाहिए
एनपीएस सब्सक्राइबर्स आयकर अधिनियम की धारा 80 CCD (1) के अंतर्गत कुल आय के 10 फीसद तक आयकर कटौती का दावा कर सकते हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। एनपीएस या नेशनल पेंशन सिस्टम जो कि एक रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है एक पेंशन कम इन्वेस्टमेंट स्कीम मानी जाती है। इस स्कीम में बाजार आधारित रिटर्न हासिल होता है। एनपीएस सब्सक्राइबर्स जिस फंड में निवेश करते हैं उसे पेंशन फंड मैनेजर के माध्यम से पैसा बनाने वाली अलग-अलग स्कीम्स में निवेश किया जाता है। इसकी देखरेख पेंशन निधि विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) की ओर से की जाती है।
पीएफआरडीए की देखरेख में संचालित एनपीएस खाते में जमा सब्सक्राइबर्स के पैसों को इक्विटी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, सरकारी प्रतिभूतियों (गवर्मेंट सिक्योरिटीज) और अन्य फिक्स्ड इनकम विकल्पों में निवेश किया जाता है। यह जानकारी एनएसडीएल की वेबसाइट पर उपलब्ध है। एनएसडीएल या नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के हिस्से के रूप में एनएसडीएल ई-गर्वनेंस इंन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के लिए केंद्रीय रिकॉर्ड रखने वाली एक एजेंसी है। हम अपनी इस खबर में आपको एनपीएस से जुड़ी दस ऐसी बातें बता रहे हैं जो आपको जाननी चाहिए।
जानिए एनपीएस में निवेश से जुड़ी 10 बड़ी बातें:
नेशनल पेंशन सिस्टम सरकारी कर्मचारियों के लिए जनवरी 2004 में शुरू की गई एक एक सरकार प्रायोजित पेंशन योजना है। हालांकि वर्ष 2009 में इसका विस्तार सभी नागरिकों के लिए कर दिया गया। एनपीएस सब्सक्राइबर्स के पैसों को पेशन फंड्स की ओर से निवेश किया जाता है और यही पेंशन कार्पस प्रबंधन के लिए भी जवाबदेह होता है। सब्सक्राइबर का पैसा पेंशन फंड द्वारा निवेश किया जाता है, जो पेंशन कॉर्पस के प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार हैं। एनपीएस दो तरह के खातों की पेशकश करता है। टियर-1 और टियर-2। टियर-1 खाते में जमा पैसों को आप तब तक नहीं निकाल सकते हैं जब तक की आपकी उम्र 60 वर्ष की न हो जाए। टियर-2 एनपीएस अकाउंट बचत खाते की तरह काम करता है, जहां सब्सक्राइबर्स को पैसों की निकासी की अनुमति होती है। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों में सब्सक्राइबर्स को आंशिक निकासी की अनुमति मिलती है। इस तरह की विशेष परिस्थितियों में गंभीर बीमारी और बच्चों की शादी शामिल होती है। एनपीएस विशेष मामलों में ग्राहक की सेवानिवृत्ति से पहले आंशिक निकासी की अनुमति देता है जैसे कि क्रिटिकल इलनेस या बच्चों की शादी। निवेशक अपने रिटायरमेंट खाते में योगदान देता है और नियोक्ता भी कर्मचारी के खाते में इस तरह का योगदान देता है। ग्राहक किसी भी निश्चित लाभ के बिना अपने खाते में योगदान देते हैं और इस पर रिटर्न की राशि कुल कार्पस एवं उस पैसों से हुई आय पर निर्भर करती है। सरकार ने एनपीएस में अपना योगदान 10 फीसद से बढ़ाकर अब 14 फीसद कर दिया है। हालांकि इसमें कर्मचारियों का न्यूनतम योगदान 10 फीसद ही रहेगा। एनपीएस के टियर वन अकाउंट में एक वित्त वर्ष के दौरान न्यूनतम योगदान 1,000 रुपये है। एनएसडीएल के मुताबिक जहां प्रत्येक योगदान 500 रुपये होना चाहिए। एनपीएस के टियर वन अकाउंट में एक साल के भीतर कम से कम एक योगदान जरूरी होता है। वहीं एनपीएस के टियर-2 अकाउंट में मिनिमम अमाउंट जिसकी जरूरत होती है उसमें प्रत्येक योगदान 250 रुपये होना चाहिए। वहीं इसमें मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने की जरूरत नहीं होती है। केंद्र सरकार की ओर से उसके योगदान को 14 फीसद करने के करीब 36 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को फायदा होगा। एनपीएस सब्सक्राइबर्स आयकर अधिनियम की धारा 80 CCD (1) के अंतर्गत कुल आय के 10 फीसद तक आयकर कटौती का दावा कर सकते हैं और 80 CCE के अंतर्गत कुल 1.5 लाख रुपये की कर छूट का दावा कर सकते हैं। एनपीएस इसके अलावा निवेश पर टियर वन खाते में 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट पाने की सुविधा देता है। यह छूट आयकर की धारा 80CCD (1B) के अंतर्गत मिलती है। यह आयकर की धारा 80C के अंतर्गत मिलने वाली 1.50 लाख रुपये की छूट से इतर की छूट है।यह भी पढ़ें: भूलकर भी न करें ऐसा, आपका EMV चिप वाला एटीएम कार्ड हमेशा के लिए हो सकता है डैमेज