कोरोना काल में आपको भूलकर भी नहीं करनी चाहिए ये वित्तीय गड़बड़ी, होगा बहुत नुकसान
जब इमरजेंसी का समय आता है तो इंसान डर जाता है और कोई गलती कर जाता है। इसलिए ऐसे समय में वित्तीय योजना के लिए घबराहट के बजाये निष्पक्षता के साथ बुनियादी बातों पर विचार करना चाहिए।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। COVID-19 के चलते लागू लॉकडाउन के बाद आर्थिक दृष्टिकोण से दुनियाभर में हर कोई प्रभावित हुआ है। चाहें नकदी की कमी से जूझ रहा एक व्यवसाय का मालिक हो या नौकरी करने वाला कोई व्यक्ति, सबको नुकसान उठाना पड़ा है। अभी का हाल और चुनौतीपूर्ण है। दूसरी ओर वित्तीय योजनाओं के लिए सुरक्षित रणनीतियों पर विचार किया जा रहा है। अगर कोरोना काल में आप भी वित्तीय तनाव से गुजर रहे हैं तो कुछ गलतियां से बचिए।
भावनात्मक निर्णय लेना
जब इमरजेंसी का समय आता है तो इंसान डर जाता है और कोई गलती कर जाता है। इसलिए ऐसे समय में वित्तीय योजना के लिए घबराहट के बजाये निष्पक्षता के साथ बुनियादी बातों पर विचार करना चाहिए।
उदाहरण के लिए, कोरोना महामारी ने भारत के विकास के दृष्टिकोण को काफी कमजोर कर दिया है। नतीजतन, शेयर बाजारों ने पिछले 2-3 महीनों में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की है। अस्थिरता इक्विटी निवेश की प्रकृति है इसलिए अपने म्यूचुअल फंड एसआईपी के लिए भुगतान करना जारी रखें।
यह मानना कि इमरजेंसी फंड में काफी देर हो चुकी है
आपके पास कोई इमरजेंसी फंड नहीं था और लॉकडाउन के दौरान आर्थिक रूप से आपको कठिनाई से गुजरना पड़ा। इसलिए समय का उपयोग करें और इमरजेंसी फंड तैयार करें। कहते हैं जब जगो तभी सवेरा। COVID -19 की बढ़ती अनिश्चितता को देखते हुए दीर्घकालिक सोच रखें।
ईपीएफ निकासी
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) आपके चिकित्सा उपचार, बच्चों की शादी, या घर की खरीद जैसी आवश्यक जरूरतों के लिए हमेशा उपलब्ध है। कोरोना संकट में सरकार ने नकदी के मुद्दों पर ईपीएफ से निकासी की अनुमति देने के मानदंडों को सुविधाजनक किया है। लेकिन विकल्प की खोज करने से पहले यह जान लें कि भविष्य में होने वाले कंपाउंडिंग प्रभाव के कारण समय से पहले ईपीएफ निकासी आपके रिटायरमेंट को प्रभावित कर सकती है। यदि आप नकदी की कमी का सामना कर रहे हैं, तो ईपीएफ निकालना आपकी अंतिम प्राथमिकता होनी चाहिए।