7,000 करोड़ रुपये की कर्ज वसूली के लिए DRT ने नीरव मोदी और उसकी कंपनियों को भेजा नोटिस
चालू वित्त वर्ष की सितंबर में खत्म हुई दूसरी तिमाही में सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 4,532.35 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकारी बैंक का पैसा लेकर देश से फरार हो चुके कारोबारी नीरव मोदी को एक और बड़ा झटका लगा है। कर्ज वसूली प्राधिकरण (डीआरटी) ने 7,000 करोड़ रुपये की वसूली के लिए नीरव मोदी, उनके पारिवारिक सदस्य और उनकी कंपनियों को नोटिस जारी किया है।
डीआरटी की तरफ से यह नोटिस पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) की याचिका पर जारी किया गया है। पीएनबी ने जुलाई महीने में 7,029 करोड़ रुपये की कर्ज वसूली के लिए डीआरटी का दरवाजा खटखटाया था। नोटिस जारी किए जाने के साथ ही संबंधित संपत्तियों की बिक्री, उसका ट्रांसफर या उससे जुड़ी किसी भी डील पर रोक लगा दी गई है।
नीरव मोदी को इस नोटिस पर जवाब देने के लिए 15 जुलाई का समय दिया गया है। गौरतलब है कि नीरव मोदी फर्जी एलआईयू के जरिए पंजाब नैशनल बैंक को करीब 14,000 करोड़ रुपये की चपत लगाकर देश से भाग चुका है।
इस घोटाले में नीरव मोदी और मेहुल चौकसी मुख्य आरोपी हैं। चौकसी भी देश से फरार हो चुका है।
पीएनबी को भारी घाटा घोटाले की वजह से पीएनबी को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चालू वित्त वर्ष की सितंबर में खत्म हुई दूसरी तिमाही में सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 4,532.35 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
घाटे का प्रमुख कारण फंसे हुए कर्जे (एनपीए) का प्रावधान (भरपाई करना) करना है।
शेयर बाजारों में नियामकीय फाइलिंग में पीएनबी ने कहा कि पिछली तिमाही में बैंक का घाटा 940 करोड़ रुपये रहा, जबकि एक साल पहले की समान तिमाही में बैंक को 560 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
बैंक ने कहा कि प्रावधान और आकस्मिकता के मद में पिछली तिमाही में 9,758 करोड़ रुपये का प्रावधान किया, जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंक ने 5,758 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था और पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 2,440 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था।
बैंक ने बताया कि फंसे हुए कर्जो (एनपीए) के लिए बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 7,733 करोड़ रुपये, पहली तिमाही में 4,982 करोड़ रुपये तथा पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 2,964 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था।
पीएनबी का कुल एनपीए जुलाई-सितंबर की अवधि में 17.16 फीसदी बढ़ा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसमें 13.31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
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