Income tax से जुड़े इन कामों की तारीख आगे बढ़ी, जानिए पूरी डिटेल यहां

आयकर विभाग (Income tax department) ने Tax से जुड़े काम के लिए समयसीमा बढ़ा दी है। इनमें ‘इक्वलाइजेशन’ शुल्क और धन प्रेषण से जुड़े ब्योरा (Tax Audit Reports) शामिल हैं। ‘इक्वलाइजेशन’ शुल्क भारत से प्रवासी सेवा प्रदाताओं को होने वाली आय पर काटा जाने वाला टीडीएस है।

By Ashish DeepEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 08:01 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 08:01 AM (IST)
Income tax से जुड़े इन कामों की तारीख आगे बढ़ी, जानिए पूरी डिटेल यहां
Form 1 में समयसीमा 30 जून की मूल नियत तारीख से 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है। (Pti)

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। आयकर विभाग (Income tax department) ने Tax से जुड़े काम के लिए समयसीमा बढ़ा दी है। इनमें ‘इक्वलाइजेशन’ शुल्क और धन प्रेषण से जुड़े ब्योरा (Tax Audit Reports) शामिल हैं। ‘इक्वलाइजेशन’ शुल्क भारत से प्रवासी सेवा प्रदाताओं को होने वाली आय पर काटा जाने वाला टीडीएस है।

कारोबारी साल 2020-21 के लिए फॉर्म -1 (Form 1) में इक्वलाइजेशन शुल्क ब्योरा दाखिल करने की समयसीमा 30 जून की मूल नियत तारीख से 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है।

इसी प्रकार, अप्रैल-जून तिमाही के लिये किये गये प्रेषण के संबंध में अधिकृत डीलरों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले फॉर्म 15सीसी (Form 15CC) में त्रैमासिक विवरण अब 31 अगस्त तक फाइल किये जा सकते हैं। यह ब्योरा जमा करने की मूल तारीख 15 जुलाई थी।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने कहा कि करदाताओं और अन्य पक्षों ने कुछ फॉर्मों के इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरे जाने को लेकर समस्या होने की बात कही थी। इसको देखते हुए इन फॉर्मों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरे जाने की समयसीमा बढ़ाने का फैसला किया गया है।

इसके अलावा, कुछ फॉर्म की ई-फाइलिंग के लिए सुविधाओं की अनुपलब्धता को देखते हुए, सीबीडीटी ने पेंशन फंड और सरकारी संपत्ति कोष द्वारा सूचना से संबंधित फॉर्म को इलेक्ट्रॉनिक रूप से दाखिल करने की नियत तारीखों को बढ़ाने का निर्णय किया है।

नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के भागीदार शैलेश कुमार ने कहा कि नये आयकर पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ियों को देखते हुए करदाताओं को इस तरह की समयसीमा का अनुपालन करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था और कई करदाता नियत तारीख के भीतर अनुपालन भी नहीं कर सके।

उन्होंने कहा कि कर संबंधी अनुपालन के लिए समयसीमा बढ़ाने से करदाताओं को काफी राहत मिलेगी। साथ ही यह उन्हें आयकर पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण पहले की समयसीमा का पालन नहीं कर पाने को लेकर दंडात्मक कार्रवाई से भी बचाएगा।

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