IRDAI पैनल ने दिया माइक्रो इंश्योरेंस कंपनियों के लिए शुरुआती पूंजी सीमा घटाने का सुझाव

IRDAI की एक समिति ने माइक्रो इंश्योरेंस कंपनियों के लिए प्रवेश स्तर पर न्यूनतम शेयर पूंजी मौजूदा 100 करोड़ रुपये से घटाकर 20 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया है। अगर ऐसा होता है तो देश में बीमा बाजार को खासतौर पर माइक्रो-इंश्योरेंस को बढ़ावा देने में बड़ी मदद मिलेगी।

By Manish MishraEdited By: Publish:Mon, 12 Oct 2020 08:54 AM (IST) Updated:Mon, 12 Oct 2020 08:54 AM (IST)
IRDAI पैनल ने दिया माइक्रो इंश्योरेंस कंपनियों के लिए शुरुआती पूंजी सीमा घटाने का सुझाव
Irdai panel proposes steep cut in capital for micro insurance companies (PC: pixabay.com)

नई दिल्ली, पीटीआइ। बीमा नियामक (IRDAI) की एक समिति ने माइक्रो इंश्योरेंस कंपनियों के लिए प्रवेश स्तर पर न्यूनतम शेयर पूंजी मौजूदा 100 करोड़ रुपये से घटाकर 20 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया है। अगर ऐसा होता है तो देश में बीमा बाजार को, खासतौर पर माइक्रो-इंश्योरेंस को बढ़ावा देने में बड़ी मदद मिलेगी। भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने माइक्रो इंश्योरेंस को बढ़ावा देने के उपाय सुझाने के लिए इस समिति का गठन किया था। 

रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया गया है कि IRDAI और केंद्र सरकार को एक लघु बीमा विकास कोष का गठन करना चाहिए। समिति ने कहा कि अगर भारत में भी दूसरे देशों की तरह भारत बीमा का प्रसार बढ़ाना है, तो ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को आकर्षित करना होगा। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोरोना संकट की मौजूदा परिस्थितियों में अनौपचारिक क्षेत्र सहित लाखों लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं और अब अधिक असुरक्षित जीवन जी रहे हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि माइक्रो इंश्योरेंस सेक्टर को बढ़ावा दिया जाए।

समिति का कहना है कि कम आय वाले परिवारों के लिए बीमारी, दुर्घटना, मृत्यु या संपत्ति के नुकसान जैसी आपदाओं के बहुत गंभीर वित्तीय परिणाम हो सकते हैं और इससे उनके संसाधनों में कमी हो सकती है। विपरीत परिस्थितियों में बहुत से लोग अपनी उत्पादक संपत्तियों की बिक्री, क्षमता से अधिक कर्ज और बच्चों को पढ़ाई छुड़ाने जैसे कदम उठाने को मजबूर होते हैं। कई बार आर्थिक तंगी के कारण मरीजों का उचित इलाज नहीं हो पाता है। 

वर्ष 2013 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए समिति का कहना था कि देश में माइक्रो इंश्योरेंस सेक्टर का बाजार आकार जनसंख्या का 14.7 प्रतिशत तक हो सकता है, जबकि यह सेक्टर अब तक सिर्फ नौ प्रतिशत जनसंख्या को ही सेवा दे रहा है।

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