Share Market Investment TIPS: निवेशकों के लिए टाइमिंग समझना होता है बड़ी उलझन, यह रणनीति आएगी काम

Share Market Investment TIPS इस समय बहुत से इक्विटी निवेशकों को डर सता रहा है कि बाजार काफी ऊपर चला गया है और अब इसमें बड़ी गिरावट के हालत बन रहे हैं। कुछ निवेशकों को लग रहा है कि उन्हें अपना निवेश बेचकर लाभ कमा लेना चाहिए।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 08:42 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 10:58 AM (IST)
Share Market Investment TIPS: निवेशकों के लिए टाइमिंग समझना होता है बड़ी उलझन, यह रणनीति आएगी काम
निवेश के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Pixabay

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। बाजार जब भी तेजी के सफर पर होता है, तो अक्सर होल्डिंग पैनिक यानी निवेश को बनाए रखने का डर देखने को मिलता है। निवेशक इस उलझन में रहते हैं कि निवेश को बेचकर मुनाफा कमाने की सही टाइमिंग क्या है? ऐसे में समझना जरूरी है कि निवेश बेचकर निकल लेना टाइमिंग नहीं है। पोर्टफोलियो में सही असेट अलोकेशन ज्यादा जरूरी है।

इस समय बहुत से इक्विटी निवेशकों को डर सता रहा है कि बाजार काफी ऊपर चला गया है और अब इसमें बड़ी गिरावट के हालत बन रहे हैं। कुछ निवेशकों को लग रहा है कि उन्हें अपना निवेश बेचकर लाभ कमा लेना चाहिए। लेकिन फिर वे यह भी नहीं चाहते हैं कि उनकी रकम बैंक में बेकार पड़ी रहे और दूसरे लोग अमीर बनते रहें। ध्यान रहे, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि बाजार में गिरावट की आशंका को लेकर वे सही हैं या गलत हैं।

पिछले चार सप्ताह से सेंसेक्स नई ऊंचाई पर है और निवेशक इससे डर रहे हैं। निवेश की दुनिया में कई तरह के डर होते हैं। जब बाजार तेजी से गिरने लगता है तो निवेश बेचने का डर काम करता है। इसे सेलिंग पैनिक भी कहते हैं। कुछ लोग बाइंग पैनिक से भी परिचित होंगे। बाइंग पैनिक यानी निवेश खरीदने का डर। यह डर तब काम करता है जब बाजार तेजी से ऊपर चढ़ने लगता है।

अभी कुछ निवेशक जिस डर का अनुभव कर रहे हैं, वह तीसरे तरह का डर है। इसे होल्डिंग पैनिक कहा जा सकता है। यानी निवेश बनाए रखने को लेकर डर। वे अपना निवेश बनाए हुए हैं, लेकिन इस बात को लेकर डरे हुए हैं कि आगे क्या होगा। हाल में कई लोगों ने ऐसे सवाल किए हैं कि उन्हें अभी क्या करना चाहिए।

पिछले 20 साल में हमने ऐसे कई दौर देखे हैं। हर बार बाजार जब अपने उच्चतम स्तर पर होता है तो इसी तरह का होल्डिंग पैनिक पैदा होता है। हालांकि याद रखना चाहिए कि इस तरह के हालात का सबक यह नहीं है कि सही समय पहचान कर बाजार से निवेश बेचकर निकल लेना चाहिए।

निवेशक अक्सर सोचते हैं कि निवेश बेचकर निकलने का सही समय क्या है। उन्हें लगता है कि तेजी का यह दौर सही टाइमिंग है। हालांकि बाजार में तेजी का दौर लंबे समय तक बना रह सकता है। मुझे अब भी याद है कि बहुत से निवेशक 2004 में इस तरह की मनोदशा में थे और बाजार में तेजी का दौर लगभग चार साल तक जारी रहा। बाजार में तेजी का दौर सालों तक जारी रह सकता है।

टाइमिंग का मतलब निवेश बेचकर मुनाफा कमा लेना नहीं है। समाधान यह है कि जब बाजार में इस तरह के हालात बनें, तो आपका असेट अलोकेशन सटीक हो और आपके पास सिर्फ उच्च गुणवत्ता वाले स्टॉक्स होने चाहिए। निश्चित तौर पर जब बाजार में गिरावट आएगी तो आप रकम गंवाएंगे। हालांकि, अगर आपका असेट अलोकेशन तार्किक है और आप इसे बनाए रखते हैं, तो आपको फिक्स्ड असेट से काफी फायदा होगा। मैं कोई काल्पनिक बात नहीं कर रहा हूं, बल्कि हाल के दशकों में बाजार में तेजी, गिरावट और फिर तेजी के चक्र में स्मार्ट निवेशक इसी तरह से सफल हुए हैं।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)

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