Share Market Investment Tips: मोटा मुनाफा कमाने के लिए बाजार की अस्थिरता का करें वास्तविक निवेश में इस्तेमाल, जानिए कैसे

Share Market InvestmentTipsशुक्रवार को हमने बाजार में समान रूप से तेज उछाल देखी जिससे गिरावट अनुमान के अनुसार तीसरे स्तर अर्थात 10 फीसद तक सिमट गई। गिरावट की सबसे अच्छी विशेषताओं में एचएनआई की बिक्री डीआईआई की बिक्री बियर्स का छोटा होना और रिटेल एग्जिटिंग डिलीवरी शेयर्स शामिल हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 09:29 AM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 10:51 AM (IST)
Share Market Investment Tips: मोटा मुनाफा कमाने के लिए बाजार की अस्थिरता का करें वास्तविक निवेश में इस्तेमाल, जानिए कैसे
शेयर बाजार के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Pixabay

नई दिल्ली, किशोर ओस्तवाल। बीता सप्ताह एक बार फिर बाजार के लिए बियर्स वीक था। निफ्टी 11,600 से गिरकर 10,800 पर आ गया, जो कि 9.5 फीसद की एक विशिष्ट गिरावट है। हम पहले यह बात बता चुके हैं कि गिरावट एक फीसद, पांच फीसद या 10 फीसद की रह सकती है और अगर यह इससे आगे जाती है, तो यह 27 फीसद की होगी। शुक्रवार को हमने बाजार में समान रूप से तेज उछाल देखी, जिससे गिरावट हमारे अनुमान के अनुसार तीसरे स्तर अर्थात 10 फीसद तक सिमट गई। इस गिरावट की सबसे अच्छी विशेषताओं में एचएनआई की बिक्री, डीआईआई की बिक्री, बियर्स का छोटा होना और रिटेल एग्जिटिंग डिलीवरी शेयर्स शामिल हैं। इस गिरावट में इकलौता ब्राइट स्पॉट था एफपीआई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय शेयर बाजारों में विश्वास जताते हुए गिरते हुए बाजार में भी खरीदारी कर रहे थे।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) फर्स्ट ऑफ सितंबर में 6,000 करोड़ की विषम सीमा तक बिकवाल थे। वहीं, बाद के आधे भाग में उन्होंने 75,00 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस तरह एफपीआई ने सितंबर में बुधवार तक कुल 1500 करोड़ का कुल निवेश किया हुआ था। इसके बाद गुरुवार को उन्होंने केवल बाजार को बिगाड़ने के लिए 1800 करोड़ के शेयरों की बिकवाली कर दी। इस तरह एफपीआई ने सितंबर महीने में अब तक भारतीय बाजारों से 476 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी कर ली है। अब अगर हम इसकी तुलना अगस्त महीने के 47,000 करोड़ के शुद्ध निवेश के आंकड़े से करेंगे, तो अवश्य जानेंगे कि एफपीआई ने भारत में नकारात्मक रुख नहीं अपनाया है। उन्होंने एक्सपायरी के लिहाज से बाजार को सिर्फ तोड़ा है। हम थोड़ा बाद में इस बारे में बात करेंगे कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।

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एफपीआई के लगातार खरीदारी करने का कारण फेड लिक्विडिटी है। अमेरिका ने 13 लाख करोड़ डॉलर के राहत पैकेज की घोषणा की थी और अभी तक केवल दो से तीन लाख करोड़ डॉलर ही आए हैं। हमें उम्मीद है कि अगले दो सप्ताह में दो लाख करोड़ डॉलर की घोषणा होगी। इसका मतलब है कि हम अगले दो महीनों में 40,000 करोड़ रुपये का निवेश देख सकते हैं, जो कि निफ्टी को दोबारा 12,400 के स्तर तक ले जा सकता है। 

अब जब भी गिरावट होती है, हम इसे इस तरह देखते हैं, कि दुनिया डूब रही है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। अगर मूल्यांकन उचित नहीं होता, तो एफपीआई अगस्त में 11,500 स्तर के निफ्टी में 47,000 करोड़ रुपये का निवेश नहीं कर सकता था और निवेश के लिए निफ्टी के 10,000 के स्तर का इंतजार कर सकता था। वास्तव में, सितंबर में लगातार निवेश, यह दर्शाता है कि वे गिरते हुए निफ्टी के बाजजूद अच्छे शेयरों में निवेश कर रहे हैं। इसलिए हमारी धारणा के अनुसार, बाजार में चिंता का कोई कारण नहीं है।

ए ग्रुप शेयरों की कीमतों में सीधी गिरावट भारी जुएं के कारण है। नए मार्जिन नियमों के कारण वॉल्यूम पर अचानक प्रभाव पड़ा है। दलाल व्यापारियों को व्यापार करने की अनुमति नहीं देते हैं और उनकी सीमा 50 फीसद तक घट गई है। इसके अलावा कई मामलों में व्यापारी अपनी होल्डिंग की प्लेज़ क्रिएट करने में विफल होते हैं और इस तरह सीमा पाने से वंचित रह जाते हैं।

चूंकि, अधिकांश व्यापारी एफ और ओ में खेलना पसंद करते हैं, इसलिए बाजार संचालकों के साथ मिलकर एफपीआई व्यापारियों की कमर तोड़ने का फैसला करते हैं और उनके शेयरों को नुकसान शुरू हो जाता है। साथ ही ऐसे समय पर ही बियर्स  तेजी से कम होने के लिए उत्तेजित होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, जो समय-समय पर बतायी जाती है, वह यह है कि बड़ी कमाई ऑप्शंस मार्केट से आती है। हमारा अनुमान है कि निफ्टी में 800 अंकों की गिरावट ने ऑप्शंस राइटिंग में 30,000 से 40,000 करोड़ से अधिक का आसान क्रेडिट दिया होगा और अब आप समझ गए होंगे कि एक्सपायरी के दिन 1100 अंकों तक सेंसेक्स को तोड़ना और 1800 करोड़ की बिकवाली पहले से बनाई गई योजना का हिस्सा है।

यह दर्शााता है कि नीति निर्माताओं द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ देने पर भी एफपीआई भारत से बाहर नहीं जाएंगे! भारत में 32 लाख करोड़ रुपये के एक्पोजर में केवल ऑप्शंस के जरिए पांच लाख करोड़ की कमाई का मतलब है 15 फीसद सालाना रिटर्न, इससे भी बढ़कर पिछले 17 से अधिक वर्षों से 270 फीसद की सालाना पूंजी में मूल्य वृद्धि एफपीआई के भारत से बाहर जाने का संकेत नहीं देती है। इसलिए वे हर अवसर का फायदा उठाते रहेंगे, क्योंकि सिस्टम उनकी सहूलियत के अनुसार बना हुआ है, जहां खुदरा निवेशकों और व्यापारियों को पूंजी की सुरक्षा नहीं मिलती है। आप व्यापारियों के साथ व्यक्तिगत रूप से इसकी जांच कर सकते हैं और आप यह जानकर चौंक सकते हैं कि व्यापारियों ने तेजी से अपनी पूंजी खोई है। यह अब तक 80 फीसद हो सकती है।

खैर, जब बाजार गिरने लगता है, तो बियर्स उत्तेजित हो जाता है, लेकिन हमें यह आकलन करने की आवश्यकता है कि क्या वे बाजार को और नीचे ले जा सकते हैं, कि नहीं। 11,613 के स्तर पर वे निफ्टी में आक्रामक रुप से बिकवाली करना चाहते थे, तभी निफ्टी 11,800 के पार चला गया। दूसरे शब्दों में वे 11,600 पर शॉर्ट सेल नहीं करते हैं। जब निफ्टी में सीधी गिरावट आई, तो उन्होंने 11,300 के स्तर से 10,900 के स्तर तक बिकवाली की। इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि औसत बिक्री मिल्य 11,100 के स्तर पर है। इसलिए जिस समय निफ्टी 11,100 पार करेगा, वे अपने शॉर्ट को कवर करना शुरू करेंगे।  आइए जानते हैं कि बियर्स के पास बिकवाली के लिए कौन-कौनसे कारण हैं।

1. लंदन दूसरे लॉकडाउन पर विचार कर रहा है।

2.  पूरे यूरोप में व स्पेन, फ्रांस, इटली आदि देशों में दूसरे लॉकडाउन की बात हो रही है।

3. 9 नवंबर, 2020 को अमेरिका में चुनाव होने हैं। चूंकि चुनावों से पहले बाजारों ने एक नया उच्च स्तर बनाया है, इसलिए कुछ मुनाफावसूली के लिए बाध्य हैं।

4. चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव की स्थिति।

5. भारतीय अर्थव्यवस्था बिल्कुल खराब दौर से गुजर रही है। अधिकांश छोटे-मध्यम और अब बड़े व्यवसाय भी लगभग ध्वस्त हो गए हैं।

6. ओ/एस लोन्स क्लीयर नहीं होने के कारण बैंकों को भारी नुकसान होने की संभावना है।

7. प्रॉपर्टी की कीमतों में 30 फीसद की गिरावट है और अभी भी कोई खरीदार नहीं है।

8. तकनीकी रूप से सभी सूचकांक और शेयर सेल जोन में हैं।

9. फेड से हाल में कोई प्रोत्साहन नहीं मिलना।

10. डीआईआई में बड़ी निकासी देखने को मिल रही है और नया फंड नहीं आ रहा है।

ये सभी कारक 7,500 से 11,500 की यात्रा से जाने जाते थे, इसलिए हमें ऐसा कुछ नया दिखाई नहीं दिया, जो गिरावट के लिए जिम्मेदार होता, सिवाय उसके, जिसकी चर्चा हम पहले कर चुके हैं। एफपीआई ने इन सब कारकों को जानते हुए दो महीनों में 48,500 करोड़ रुपये निवेश किये हैं, इसलिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है। बाजार मांग और आपूर्ति पर चलता है। हम इस बात की व्याख्या कर चुके हैं कि क्यों एफपीआई ने एक्सपायरी के दिन बिकवाली की। हम सब ने शुक्रवार को बाजार को 800 अंक ऊपर चढ़ते देखा है।

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इसलिए हमारे दृष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि गिरावट और वृद्धि होगी और बड़ा रिटर्न ऑप्शंस से आता है। जनवरी 2018 से जनवरी 2020 तक 90 फीसद पूंजी नुकसान के बाद खुदरा निवेशक बी ग्रुप शेयरों में निवेश नहीं करना चाहते हैं और अब पूरी तरह एफ और ओ ग्रुप की तरफ उनका रुख हो गया है। यहां तक कि रॉबिनहुड निवेशक भी एफ और ओ ट्रेडिंग की तरफ चले गए हैं और इसलिए ऑपरेटर्स द्वारा नियंत्रित होने वाला ऑप्शंस मार्केट व एफपीआई संयुक्त रूप से आय की मुख्य धारा है।

संक्षेप में, हमारा मानना है कि बाजार में तेज गिरावट और तेज उछाल रहेगा, लेकिन अगर निवेशक इस अस्थिरता को वास्तविक निवेश के लिए उपयोग लेते हैं, तो वे अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

(लेखक सीएनआई रिसर्च के सीएमडी हैं। उक्त विचार लेखक के निजी हैं।)

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