हेल्थ से जुड़े खर्चों के लिए केवल इंश्योरेंस काफी नहीं, अलग से फंड बनाना भी जरूरीः एक्सपर्ट

हाल के वर्षों में हेल्थकेयर से जुड़े खर्चे इतने बढ़ गए हैं कि हम सभी सोचने को मजबूर हैं। हेल्थकेयर सेक्टर में महंगाई दर बहुत चिंताजनक रूप से आगे बढ़ रही है। जून 2021 में सेक्टर की महंगाई दर 7.7 फीसद पर रही थी।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 06:47 PM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 09:35 AM (IST)
हेल्थ से जुड़े खर्चों के लिए केवल इंश्योरेंस काफी नहीं, अलग से फंड बनाना भी जरूरीः एक्सपर्ट
आप अपनी सेविंग्स को हेल्थकेयर फंड बनाने के लिए ऑटोमेट कर सकते हैं।

नई दिल्ली, राहुल जैन। हाल के वर्षों में हेल्थकेयर से जुड़े खर्चे इतने बढ़ गए हैं कि हम सभी सोचने को मजबूर हैं। हेल्थकेयर सेक्टर में महंगाई दर बहुत चिंताजनक रूप से आगे बढ़ रही है। जून, 2021 में सेक्टर की महंगाई दर 7.7 फीसद पर रही थी। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए इसे बुद्धिमानी से भरा फैसला कहा जा सकता है कि हम सभी को मेडिकल इंश्योरेंस के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक अलग से फंड बनाकर रखना चाहिए।

हेल्थकेयर के लिए अलग से फंड बनाना इसलिए जरूरी है कि हेल्थ से जुड़ी किसी तरह की समस्या आने पर आपका फाइनेंस ना चरमरा जाए। आप हेल्थकेयर के लिए अलग से फंड कैसे बना सकते हैं? आइए पता लगाते हैंः

जरूरी फंड का आकलन कीजिए

अलग से हेल्थकेयर फंड बनाने से पहले यह समझना महत्वपूर्ण है कि आपको कितने फंड की आवश्यकता है। यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि निवेश की तरह ही सबके लिए एक तय रकम का हेल्थकेयर फंड काफी साबित नहीं होता है। यह आपके मौजूदा हेल्थ और आपके एरिया में उपचार पर आने वाले खर्च पर निर्भर करता है। टियर-2 और टियर-3 शहरों के मुकाबले महानगरों में इलाज का खर्च ज्यादा आता है।

इसकी गणना करते समय हमें अन्य चीजों के साथ-साथ डॉक्टर को दिखाने, दवाइयों और एहतियात के तौर पर कराये जाने वाले चेकअप पर आने वाले खर्च को भी ध्यान में रखना चाहिए। आपका फंड इन सभी चीजों पर होने वाले खर्चों के पांच गुने के बराबर होना चाहिए।

अगर आप अपने लिए यह फंड बनाने की सोच रहे हैं तो आपको तकरीबन पांच लाख रुपये का फंड बनाना चाहिए। दूसरी ओर, अगर आप पूरे परिवार को सोचकर फंड बनाने जा रहे हैं तो आपको कम-से-कम 10 लाख रुपये इस मद में रखना चाहिए, खासकर अगर आप महानगरों में रह रहे हैं तो।

समर्पित और अनुशासित निवेश

ये आंकड़े आपको बड़े लग सकते हैं लेकिन अलग-अलग फाइनेंशियल इंस्ट्रुमेंट्स में समर्पित और अनुशासित तरीके से निवेश से आप इस जरूरी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। आप अपनी सेविंग्स को हेल्थकेयर फंड बनाने के लिए ऑटोमेट कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIPs) ना सिर्फ आपकी सेविंग्स को ऑटोमेट करते हैं बल्कि चिकित्सा क्षेत्र की महंगाई दर से भी पार पाने में सक्षम होते हैं इसकी वजह यह है कि इक्विटी में लंबी अवधि में महंगाई दर को मात देने वाले रिटर्न देने की क्षमता है।

अगर हम बहुत मॉडरेट तरीके से भी आकलन करें तो पांच साल के लिए हर महीने 10,000 रुपये के SIP पर अगर हम 10% के वार्षिक रिटर्न से गणना करें तो आप तकरीबन 8 लाख रुपये का फंड बना लीजिएगा। म्यूचुअल फंड में निवेश से आपको बड़ा फायदा ये होगा कि आपको जब जरूरत होगी आप अपने पैसे को रिडीम कर पाएंगे।

अपने फंड को और बढ़ाने के लिए आप हर साल कुछ प्रतिशत तक अपनी SIPs की राशि को और बढ़ा सकते हैं। यहां तक कि हर साल 10 प्रतिशत के टॉप अप से आप नौ लाख रुपये से अधिक का फंड बना लेंगे।

फंड को डाइवर्ट मत कीजिए

यह बहुत अहम पहलू है। यह सुनिश्चित कीजिए कि इस फंड का इस्तेमाल आप मेडिकल उद्देश्यों को छोड़कर अन्य जरूरतों के लिए नहीं करेंगे। ऐसा बहुत बार देखा जाता है कि अचानक कोई बढ़िया ऑफर देखकर हम इस फंड में जमा रकम को गैर-जरूरी खर्चों में लगा देते हैं। यह आपके लिए जोखिम भरा हो सकता है और किसी भी तरह के मेडिकल क्राइसिस में आप काफी नाजुक स्थिति में फंस सकते हैं।

आपको इस फंड को मेडिकल इंश्योरेंस के विकल्प के तौर पर नहीं देखना चाहिए क्योंकि अगर आपके इस फंड में जमा रकम खर्च हो जाती है तो दोबारा इसे जल्दी भरना मुमकिन नहीं हो पाएगा। इस फंड से आपको एक खास अवधि में मेडिकल के बड़े खर्चे भरने में मदद मिलेगी लेकिन बाद के लिए कुछ भी नहीं बचेगा। ऐसे में मेडिकल इंश्योरेंस रखिए और इस फंड का इस्तेमाल बफर के रूप में कीजिए।

(लेखक एडलवाइज वेल्थ मैनेजमेंट के प्रेसिडेंट और प्रमुख हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)

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