मल्टी कैप फंड बन जाएंगे फ्लेक्सी कैप फंड, निवेशकों के लिए इन बातों को जानना है जरूरी

Stock Market Tips सेबी ने फ्लेक्सी कैप फंड के नाम से म्यूचुअल फंड की नई कैटेगरी पेश की है। फ्लेक्सी कैप टर्म म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए नया नहीं है क्योंकि इस नाम से फंड लंबे समय से अस्तित्व में हैं।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sun, 22 Nov 2020 10:27 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 07:32 AM (IST)
मल्टी कैप फंड बन जाएंगे फ्लेक्सी कैप फंड, निवेशकों के लिए इन बातों को जानना है जरूरी
भारतीय इक्विटी मार्केट गुणवता और मात्रा दोनों लिहाज से मिडकैप और स्मॉल कैप के लिए बहुत छोटा है।

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। सेबी ने फ्लेक्सी कैप फंड के नाम से म्यूचुअल फंड की नई कैटेगरी पेश की है। फ्लेक्सी कैप टर्म म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए नया नहीं है क्योंकि इस नाम से फंड लंबे समय से अस्तित्व में हैं। अब मल्टीकैप कैटैगरी में आने वाले लगभग सभी फंड नई कैटेगरी में शिफ्ट हो जाएंगे। ऐसे में निवेशकों को समझना जरूरी है कि उनके इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में क्या हो रहा है। वर्तमान में ज्यादातर मल्टी कैप फंड, खासतौर पर बड़े मल्टी कैप फंड्स, ने कुल रकम का बड़ा हिस्सा लार्ज कैप स्टॉक्स में निवेश किया हुआ है। वास्तव में ये एक तरह से लार्ज कैप फंड्स के ही समान हैं। सेबी का कहना है कि मल्टीकैप का मतलब है कि पूरी रकम को लार्ज, मिड और स्मॉल कैप में समान रूप से निवेश किया जाए। इसलिए सेबी इन सभी में कम से कम 25 फीसद रकम निवेश करने का नियम लेकर आया। 

हालांकि, इसके साथ कुछ सैद्धांतिक और कुछ व्यावहारिक दिक्कतें हैं। अगर इक्विटी मार्केट के लिए सेबी की ही परिभाषा लागू करें तो मार्केट की कुल वैल्यू का 74.1 फीसद लार्ज कैप, 15.6 फीसद मल्टी कैप और बाकी 11.3 फीसद स्मॉल कैप में है। अगर कोई मल्टी कैप फंड सही मायने में मल्टी कैप फंड है तो निवेश की सीमा इन्हीं वैल्यू के आसपास होनी चाहिए। हालांकि, भारतीय इक्विटी मार्केट गुणवता और मात्रा दोनों लिहाज से मिडकैप और स्मॉल कैप के लिए बहुत छोटा है।

नाम से ही पता चलता है कि नई कैटेगरी रकम निवेश करने के लिहाज से फंड मैनेजर्स को पूरी आजादी देती है। इसके तहत इक्विटी में सिर्फ 25 फीसद निवेश करने की बाध्यता है और इसके बाद पूरी आजादी है। ऐसे में पहले जो मल्टी कैप फंड हुआ करते थे उन्हें खुद को फ्लेक्सी कैप कैटेगरी में लाना होगा। हालांकि, इसमें व्यावहारिक समस्या बरकरार है। सेबी का 25:25:25 का अनुपात बाजार के लिहाज से शायद सही नहीं हो, लेकिन सैंद्धांतिक रूप से निश्चित तौर पर सही था।

एक जानकार निवेशक जो लार्ज, मिड और स्मॉल कैप में संतुलित निवेश चाहता है वह मल्टी कैप फंड में निवेश करेगा लेकिन उसे वास्तव में लार्ज कैप फंड मिलेगा। ऐसा इसलिए नहीं होगा क्योंकि यह निवेश की सही रणनीति है, बल्कि यह इसलिए होगा क्योंकि फंड स्मॉल और मिड कैप स्टॉक खरीदने के लिहाज से बहुत बड़ा होगा। इसका कोई समाधान नहीं है और आगे भी लंबे समय तक इसका कोई समाधान नहीं होगा। तो सवाल उठता है कि जो निवेशक अच्छे स्माल और मिड कैप स्टॉक्स में निवेश करना चाहते हैं उनको क्या करना चाहिए। ऐसा करने के दो तरीके हैं। पहला, खुद में विशेषज्ञता विकसित करें और ऐसे स्टॉक्स सीधे खरीदने के लिए रिसर्च करें। 

निवेश के लिए म्यूचुअल फंड का इस्तेमाल न करें। बाहरी मदद के लिए वैल्यू रिसर्च स्टॉक एडवाइजर जैसी सेवाओं का उपयोग करें। निश्चित तौर पर बहुत से लोगों के लिए ऐसा करना संभव नहीं होगा और उनको म्यूचुअल फंड के जरिये निवेश करने का तरीका अपनाना होगा। ऐसे लोगों को अपेक्षाकृत छोटे फंड चुनने चाहिए जो स्मॉल और मिड कैप स्टॉक्स में विशेषज्ञता रखते हैं।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी है।) 

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