Investment Tips: अपने जीवनकाल में इन 4 चरणों के हिसाब से करें निवेश, खुशहाल होगा सेवानिवृत्त जीवन
कोई भी अच्छी वित्तीय योजना शुरू होती है वित्तीय लक्ष्य की पहचान से। आज के समय में निवेश और वित्तीय योजनाएं निवेशकों के जीवन का एक आवश्यक अंग बन गई हैं लेकिन दीर्घकालिक वित्तीय योजना का मार्ग अभी भी जवाब के बजाय सवालों से भरा है।
नई दिल्ली, डीपी सिंह। निवेशकों में निवेश योजनाओं के प्रति उनकी सोच के बीच एक रोचक विरोधाभास है। पिछले कुछ सालों में लोग कठिन और आपात स्थितियों मसलन अप्रत्याशित बीमारी, दुर्घटना से मौत या नौकरी जाने जैसे हालात में नकदी प्रवाह बनाए रखने के लिए योजना बनाने के लिहाज़ से बेहतर हुए हैं, लेकिन आश्चर्य की बात है कि वे सेवानिवृत्ति जैसी ज़्यादा वास्तविक और दीर्घकालिक घटनाओं के लिए बहुत तैयार नहीं रहते है। दरअसल, ज़्यादातर लोगों के लिए सेवानिवृत्ति दूर की संभावना लगती है, जिससे वे वित्तीय योजना की आवश्यकता को समय पर समझ पाने में गलती कर देते हैं।
कोई भी अच्छी वित्तीय योजना शुरू होती है वित्तीय लक्ष्य की पहचान से। आज के समय में निवेश और वित्तीय योजनाएं निवेशकों के जीवन का एक आवश्यक अंग बन गई हैं, लेकिन दीर्घकालिक वित्तीय योजना का मार्ग अभी भी जवाब के बजाय सवालों से भरा है। परिसंपत्ति आवंटन की ज़रूरत, यह व्यक्तिगत जोखिम प्रोफ़ाइल से कैसे जुड़ता है और निवेश की समयावधि की समझ तैयार करना असली संघर्ष है। यह संघर्ष और बढ़ जाता है, जब निवेशक सिर्फ इक्विटी में निवेश के साथ दीर्घकालिक योजना को जोड़कर देखता है।
सेवानिवृत्ति योजना के चार चरण
सेवानिवृत्ति जैसे दीर्घकालिक लक्ष्य के लिए हर व्यक्ति का परिसंपत्ति आवंटन, इक्विटि और डेट में उनके निवेश के अनुपात, निवेशक की उम्र और जीवन के चरण के आधार पर निवेशक अवधि के जरिये बदलता है। ऐसे परिसंपत्ति आवंटन को चार चरणों में बांटा जा सकता है।
1. कर लो दुनिया मुट्ठी में वाला चरण (40 साल तक की उम्र)
इस चरण में ज़्यादातर लोग अपना व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन अभी भी तय कर रहे होते हैं। यह खुद को पेशेवर तौर पर स्थापित करने की इच्छा और व्यक्तिगत जीवन में परिवार शुरू करने, फिटनेस, सामाजिक कार्य या यात्रा जैसे किसी शौक को गंभीरता से आगे बढ़ाने की इच्छा से परिभाषित होता है। इस चरण में सेवानिवृत्ति दो-एक दशक या अधिक दूर होती है, जिसका अर्थ है कि जोखिम लेने की क्षमता शायद सबसे अधिक होती है। इसलिए एक आक्रामक आवंटन रणनीति बनाएँ और इक्विटि निवेश पर ध्यान दें। इक्विटी दीर्घकालिक स्तर पर उल्लेखनीय मुद्रास्फीति-संयोजित मुनाफा पैदा कर सकता है और इसलिए यह जीवन के इस चरण के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है। यह पहला चरण अंतिम चरण के लिए महत्वपूर्ण होगा, तो जितना जल्दी हो सके इसे शुरू करें। आप इसे 25 साल की आयु में शुरू कर सकते हैं।
2. ठहराव का चरण (सेटल्ड डाउन चरण - 40-50 साल)
इस चरण में पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन की समरसता स्थापित हो जाती है। अब शुरुआती दौर का उतावलापन खत्म हो चुका होता है, और रफ्तार धीमी करने पर ध्यान रहता है। मुख्य वित्तीय चिंता अब होती है। इसमें बच्चों की शिक्षा और परिवार का स्वास्थ्य भी शामिल है। ज़्यादातर इक्विटी निवेश हो चुके होते हैं, इसलिए अब समय होता है, अग्रेसिव हाइब्रिड तरीके से अपने पोर्टफोलियो में डेट जोड़ने का। इसका अर्थ है इक्विटी में उल्लेखनीय निवेश और छोटे हिस्से का डेट में निवेश। यह कुल पोर्टफोलियो को मदद करने के लिए होता है, क्योंकि पिछले चरण के मुक़ाबले अब जोखिम लेने की क्षमता थोड़ी कम होती है और पोर्टफोलियो मुनाफे को थोड़ी स्थिरता प्रदान करता है, क्योंकि डेट निवेश इक्विटी के मुक़ाबले कम उतार-चढ़ाव वाला होता है।
3. चिंतन का चरण (रिफ़्लेक्शन स्टेज - 50-60 साल)
यह चरण अपेक्षाकृत अधिक शिथिलता का होता है। अब तक लघु से मध्यम अवधि के लक्ष्य पूरे हो चुके होते हैं, तो समय होता है सेवानिवृत्ति जैसे दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित करने का। यहाँ, इक्विटी निवेश को लेकर थोड़ा अधिक सतर्क हों। वे पोर्टफोलियो के अंग बने रहेंगे, लेकिन संतुलित रूप में। कंजरवेटिव हाइब्रिड तरीका अपनाएं, जिसमें ध्यान पूंजी सुरक्षा पर हो। निवेश का छोटा सा हिस्सा इक्विटी में रखने से पोर्टफोलिओ में कुछ पूंजी बढ़ती रहेगी, जबकि अपेक्षाकृत बड़ा डेट वाला हिस्सा निवेश को बाजार में होने वाले किसी भी तरह के तेज उतार-चढ़ाव से बचाएगा।
4. नई शुरुआत का चरण/आराम का चरण (60 साल से ऊपर)
यह आपके जीवन की दूसरी शुरुआत है। इस चरण में आप या तो सेवानिवृत्त हो चुके होते हैं या सेवानिवृत्त होने की दिशा में अग्रसर होते हैं। अब, आप कोई जोखिम नहीं ले सकते, क्योंकि सेवानिवृत्ति से पहले किए गए निवेश जीवनशैली को बरकरार रखने के लिए ज़रूरी हैं। यह वक़्त होता है, जब बीमारी का खर्च, छुट्टियों और अन्य विलासिता वाले खर्च आपकी जेब से अपने लिए बराबरी का हिस्सा मांगते होते हैं। इसलिए इस मौके पर आप निवेश के लिए कंजरवेटिव हों और सिर्फ डेट में निवेश करें। इक्विटी निवेश से अपने पोर्टफोलियो को बचाएं, ताकि आपका पोर्टफोलियो इक्विटी बाज़ार में होने वाले अल्प-कालिक उतार-चढ़ाव से बचा रहे।
आप इस चरण में ज्यादा जोखिम नहीं ले सकते और बेहतर होगा कि आप सिर्फ डेट में ही निवेश करते रहें। रिटायरमेंट योजना को आसान बनाने के लिए म्युचुअल फंड समाधान केन्द्रित योजनाओं की पेशकश करते हैं, जो विशेष तौर पर सेवानिवृत्ति को लक्षित है। इनमें से कुछ फंड विभिन्न योजनाओं की भी पेशकश करते हैं, जो विभिन्न उम्र वर्ग और जोखिम प्रोफाइल पर आधारित होती हैं। कुछ इससे भी आगे बढ़कर स्वतः परिवर्तन सुविधा प्रदान करती हैं, जो उम्र के आधार पर निवेश को अगली बेहतरीन योजना में भेज देता है। इन योजनाओं और सुविधाओं का लक्ष्य है, सेवानिवृत्ति की योजना को कम मुश्किल और ज़्यादा दक्ष बनाना, लेकिन अच्छी-खासी सेवानिवृत्ति निधि तैयार करने के लिए सबसे जरूरी है कि निवेश हमेशा अनुशासित तरीके से और निरंतर करते रहें।
(लेखक एसबीआई म्युचुअल फंड के मुख्य कारोबार अधिकारी हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)