Startups में Invest करने की सोच रहे, तो एक्सपर्ट की इस सलाह पर जरूर करें गौर

Startups के IPO शेयर बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। निवेशकों में उनके प्रति अच्छा उत्साह भी देखा गया है। निवेश में स्थापित सत्य है कि जो कंपनी खुद लगातार लाभ कमाने में सक्षम नहीं हो वह निवेशकों को लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न नहीं दे सकती है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 08:46 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 03:13 PM (IST)
Startups में Invest करने की सोच रहे, तो एक्सपर्ट की इस सलाह पर जरूर करें गौर
निवेशकों को समझना होगा कि एक समय के बाद वे कंपनी के कारोबार के हिसाब से ही कमाई कर सकेंगे।

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। Startups के IPO शेयर बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। निवेशकों में उनके प्रति अच्छा उत्साह भी देखा गया है। लेकिन निवेश में एक स्थापित सत्य यह है कि जो कंपनी खुद लगातार लाभ कमाने में सक्षम नहीं हो, वह निवेशकों को लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न नहीं दे सकती है। देश के Startups की यह क्षमता अभी निखरकर सामने नहीं आ सकी है। हाल के कुछ सप्ताह में निवेशकों और निवेश विशेषज्ञों के एक वर्ग ने घाटे में चल रहे हाई प्रोफाइल Startups में निवेश का सख्ती से विरोध किया है। यह जोमैटो के बारे में नहीं है, क्योंकि अभी ऐसे कई मामले आएंगे। व्यक्तिगत तौर पर मैं भी इसी समूह के साथ हूं। मेरा मानना है कि ज्यादा से ज्यादा व्यक्तिगत निवेशकों को यही नजरिया अपनाना चाहिए।

हालांकि, इससे अलग और उलट राय रखने वालों का मानना है कि जोमैटो IPO आने के बाद सात-आठ सप्ताह की लंबी अवधि बीत चुकी है और निवेशकों व कंपनी का नजरिया सामने आ चुका है। ऐसे में इसी तरह के दूसरे IPO की ओर जाना भी फायदे का सौदा हो सकता है।

इसे समझने के लिए बुनियादी बातों पर गौर करते हैं और खुद से पूछते हैं कि कंपनी का लक्ष्य क्या है? कंपनी का लक्ष्य है - रकम बनाना। शेयरधारकों का भी आखिरी लक्ष्य यही है - रकम बनाना। जब तक पहला कदम काम नहीं करता है तब तक उसके बाद उठाए जाने वाला कदम काम नहीं करेगा। शेयरधारकों के पास लगातार वैध तरीके से कमाई करने का एकमात्र तरीका यह है कि कंपनी लगातार मुनाफा कमा रही हो। इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। एक बार निवेशक जब इस सच्चाई को समझ जाता है तो उसका निवेश के प्रति पूरा नजरिया बदल जाता है।

निवेशकों को यह भी समझना होगा कि एक समय के बाद वे कंपनी के कारोबार के हिसाब से ही कमाई कर सकेंगे। यह रकम कभी ज्यादा तो कभी कम जरूर हो सकती है। लेकिन यह तो कतई नहीं हो सकता कि कंपनी घाटे में चल रही हो और निवेशक कमाई कर रहा हो। यह निवेश की बुनियादी बात है। और जब मैं यह लिख रहा हूं तो मुझे यह सरल और स्वाभाविक चीज लिखने में थोड़ा संकोच हो रहा है। हालांकि, प्रचार आधारित वर्तमान निवेश माहौल में कई निवेशक इस बात से ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखते।

पारंपरिक तौर पर यह बात स्वत: सिद्ध थी कि मैनेजमेंट की गुणवत्ता का मतलब मुनाफे वाला बिजनेस चलाने की क्षमता है। आप देख सकते हें कैसे यह बदल गया है। आज हमारे पास बहुत से ऐसे लोग हैं जो उद्यमियों और बिजनेस लीडर्स के तौर पर रोल माडल तो बन गए, लेकिन वे लगातार कमाऊ कारोबार खड़ा नहीं कर सके हैं। हालांकि इस प्रक्रिया में बहुत से रोल माडल बड़े पैमाने पर रकम बनाने में सफल रहे हैं। लेकिन निवेश की संभावना तलाश रहे इक्विटी निवेशक के लिए वैसी कंपनियां चाहिए जो लगातार मुनाफा देने में सक्षम हों।

रोल मॉडल बन चुके उद्यमियों द्वारा निवेशकों के लिए मुनाफा कमाने वाला बिजनेस खड़ा करने के मामले में ट्रैक रिकार्ड लगभग शून्य है। ऐसे में एक व्यावहारिक निवेशक को सोचना चाहिए कि उसे इन कंपनियों में कितने निवेश का जोखिम लेना चाहिए। हालांकि उद्यमियों और वेंचर कैपिटल फंड्स को ऐसे जोखिम जरूर लेने चाहिए और वे ले भी रहे हैं, कमाई भी कर रहे हैं। लेकिन क्या इक्विटी निवेशक को ऐसा करना चाहिए, फिलहाल मैं सहमत नहीं हूं।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)

chat bot
आपका साथी