Investment Tips: कोरोना जैसी विषम परिस्थिति में नुकसान से बचने का क्या है रास्ता, जानिए एक्सपर्ट की राय

Investment Tips इक्विटी और डेट में निवेश मुख्य रूप से डायवर्सिफिकेशन के विचार पर खड़ा है। यहां डायवर्सिफिकेशन से मतलब है कि एक ही बार में सबकुछ बर्बाद नहीं होगा PC Pixabay

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Sun, 16 Aug 2020 11:25 AM (IST) Updated:Mon, 17 Aug 2020 02:55 PM (IST)
Investment Tips: कोरोना जैसी विषम परिस्थिति में नुकसान से बचने का क्या है रास्ता, जानिए एक्सपर्ट की राय
Investment Tips: कोरोना जैसी विषम परिस्थिति में नुकसान से बचने का क्या है रास्ता, जानिए एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली धीरेंद्र कुमार। हालात अच्छी से अच्छी योजना को बुरी तरह धराशायी कर कर सकते हैं। अमेरिका में चोलुटेका नदी पर बना पुल इसका जीवंत उदाहरण है। इस पुल के बनने के कुछ ही समय बाद जोरदार तूफान और भयंकर बाढ़ ने नदी का रास्ता ही बदल दिया, और वह पुल अब सूखी जमीन पर खड़ा है। यही कोरोना संकट के मौजूदा माहौल के लिए भी सच है। कोरोना से ठीक पहले तक जो सेक्टर दमदार प्रदर्शन कर रहे थे, उनमें से कई जबर्दस्त दबाव में हैं।

मूवी थिएटर का कारोबार इनमें से एक है। लेकिन इसने प्रेशर कुकर बनाने वाली उन कंपनियों तक पर बुरा असर छोड़ा है, जिनके उत्पादों का रोज अमूमन हर घर में उपयोग होता है और जिनमें मंदी का कोई अंदेशा नहीं था। सवाल यह है कि अगर मूवी थिएटर के कर्मचारी नया प्रेशर कुकर नहीं खरीदेंगे, तो प्रेशर कुकर कंपनी के कर्मचारी किस कमाई पर सिनेमा देखने जाएंगे और पॉपकॉर्न खाएंगे? पर्सनल फाइनेंस के शब्दों में कहें तो ऐसे माहौल में डायवर्सिफिकेशन ही निवेशकों के समक्ष विकल्प है। अभी तक यह अच्छा विकल्प साबित होता रहा है। लेकिन क्या यह कोरोना जैसी किसी विषम परिस्थिति में नुकसान से पूरी तरह बचा लेगा?

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कुछ दिनों पहले मैंने एक आलेख पढ़ा। यह आलेख किसी ने ट्विटर पर पोस्ट किया था। आलेख में एक पुल के बारे में बात की गई थी। यह पुल अमेरिका के मध्य क्षेत्र में चोलुटेका नामक नदी पर बना है। यह पुल काफी जाना-माना है। लेकिन यह इतना जाना-माना क्यों है और मैं पर्सनल फाइनेंस के कॉलम में इसकी बात क्यों कर रहा हूं, यह जानने के लिए आपको पुल का फोटो देखना होगा। तो आप थोड़ा रुकिए और चोलुटेका नदी पर पुल को इंटरनेट पर सर्च कीजिए।

आपको पुल और पर्सनल फाइनेंस का संबंध तुरंत दिख जाएगा। आपको अच्छी तरह से बना हुआ पुल दिखेगा। लेकिन नदी इस पुल के नीचे नहीं बह रही, बल्कि यह पुल के बगल से गुजर रही है। जब आप इसे देखते हैं तो यह निश्चित तौर पर मजेदार लगेगा। लेकिन यह उन लोगों के लिए मजेदार नहीं है जो आवागमन के लिए इसी एक पुल पर निर्भर थे। जब यह पुल बनाया गया था तो यह सही जगह पर था। हालांकि पुल के निर्माण का काम खत्म होने के कुछ ही समय बाद वहां ताकतवर तूफान आया और भयंकर बाढ़ आई। बाढ़ ने संपर्क के लिए बनाई गई सड़क को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया और नदी को नए रास्ते पर बहने के लिए मजबूर कर दिया, जो पुल के नीचे से नहीं था। अब यह पुल सूखी जमीन पर खड़ा है।

यह दो दशक पहले की बात है। पुल को कुछ ही समय बाद दोबारा बनाया गया। लेकिन उस पुल की तस्वीर कहीं न कहीं याद दिलाती है कि हालात अच्छी से अच्छी योजना को भी पूरी तरह से बेकार बना सकते हैं। वर्षो से, या कहें तो दशकों से पर्सनल फाइनेंस की पूरी योजना इस तथ्य पर आधारित रही है कि भविष्य एक निर्धारित रास्ते पर चलेगा।

इक्विटी और डेट में निवेश मुख्य रूप से डायवर्सिफिकेशन या विविधीकरण के विचार पर खड़ा है। यहां डायवर्सिफिकेशन के विचार का मतलब है कि एक ही बार में सबकुछ बर्बाद नहीं होगा। सभी सेक्टर्स, सभी इंडस्ट्री और सभी देशों का बुरा समय एक साथ नहीं आएगा। अगर आप अपना निवेश इन सभी में फैला देते हैं तो कुछ न कुछ तो ठीक रहेगा, और यह आपके निवेश को एक हद तक बचा लेगा। डायवर्सिफिकेशन का मतलब यही है। लेकिन अभी इसका विचार चोलुटेका पर बने पुराने पुल की तरह दिख रहा है। मैं यह नहीं कह रहा कि डायवर्सिफिकेशन छोड़ दीजिए। यह अब भी सही तरीके से निवेश करने का एकमात्र तरीका है। लेकिन अगर चोट ज्यादा ही तेज है तो यह उतनी मदद नहीं कर पाता जितना सामान्य हालात में कर पाता। जिन निवेशकों ने बिल्कुल डायवर्सिफिकेशन नहीं किया है और जो निवेश के गलत विकल्प में फंस गए हैं उनको काफी बुरा समय देखना पड़ सकता है।

अब यह कहने की जरूरत नहीं है कि बाजार में सबकुछ ठीक है। बड़ी-छोटी कंपनियों के वित्तीय नतीजे आ रहे हैं। आप ऐसी कंपनियां देख सकते हैं कि उनकी बिक्री पर किस तरह से मार पड़ी है। कुछ कंपनियों की बिक्री तो एकदम से खत्म हो गई है। उदाहरण के लिए, चार माह पहले मैं सोचता था कि निवेश के लिए आइनॉक्स (मूवी थिएटर का संचालन करने वाली एक कंपनी) अच्छा स्टॉक है। लेकिन पहली तिमाही में उसकी बिक्री 371 करोड़ रुपये से घटकर 24 लाख रुपये रह गई।

यहां तक कि ऐसी कंपनियां जो कम से कम सैद्धांतिक तौर पर जोखिम से परे मानी जा रही थीं, उनकी बिक्री भी घट कर आधी रह गई है। उदाहरण के लिए प्रेशर कुकर को ले लीजिए। प्रेशर कुकर बनाने वाली कंपनी हॉकिन्स एक ताजा उदाहरण है जो मेरे दिमाग में आ रहा है।

अब सवाल उठता है कि ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है, क्योंकि भले ही प्रेशर कुकर के किसी हिस्से में कोई तकनीकी दिक्कत हो और वह काम नहीं कर रहा हो, आइनॉक्स के कर्मचारी नया प्रेशर कुकर खरीदने नहीं जा रहे हैं। वे उसे रिपेयर करा लेंगे। और चूंकि आइनॉक्स के कर्मचारी नया प्रेशर कुकर नहीं खरीदेंगे, तो हॉकिन्स की बिक्री नहीं बढ़ेगी। हॉकिन्स की बिक्री नहीं बढ़ेगी तो कर्मचारियों की कमाई नहीं होगी और सिनेमा हॉल दोबारा खुल जाने के बाद भी हॉकिन्स के कर्मचारी मूवी देखने पर खर्च नहीं कर पाएंगे। और अगर वे मूवी देखने पर खर्च वहन कर भी लें, तो शायद महंगे पॉपकॉर्न से परहेज करेंगे, जिसे अपने थिएटर में बेचकर आइनॉक्स मुनाफा कमाती है।

तो आपको कोविड संकट का दूसरा या तीसरा असर भी देखने को मिलेगा। यह काफी कुछ ऐसा है जिसके बारे में पहले से सोचा नहीं गया था और इसका पहले से पता भी नहीं चलेगा जब कि यह असर दिखना न शुरू हो जाए। काफी हद तक खुद कोविड की तरह रिकवरी के बाद इसके दूसरे असर क्या होंगे, इसके बारे में अभी जानकारी नहीं है। यह एक लंबा सफर है और काफी हद तक यह अभी शुरू भी नहीं हुआ है।

(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं।)

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